अर्हम वन्दो जय पारस देवा भजन भगवान पारसनाथ की महानता और उनके प्रति भक्तों की गहरी श्रद्धा को प्रकट करता है। यह भजन भगवान पारसनाथ के दिव्य गुणों का गुणगान करता है, जो अहिंसा, सत्य और धर्म के प्रतीक हैं। भक्त इस भजन के माध्यम से भगवान पारसनाथ के आशीर्वाद की कामना करते हैं और उनके दिव्य मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। इस भजन में “अर्हम वन्दो” शब्द के साथ हम भगवान पारसनाथ की पूजा और वंदना करते हैं।
Arhaam Vando Jay Paras Deva
अर्हम वन्दो जय पारस देवा,
अर्हम वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा,
वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा।1।
श्रीमज जिनेन्द्र,स्याद्दवाद नायक,
तीर्थंकराय, दिगंबराय,
त्रिलोक्य व्याप्तम,त्रिकालदर्शी,
त्रिलोक्य लोचन,स्वयंभुवाय,
अर्हम,
वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा,
वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा।2।
हे वीतरागी,पञ्च परमेष्ठी,
मेरु प्रतिष्ठे,सम्यक प्रणम्य,
सौधर्म इन्द्र,कर जोड़ी हाथम,
तुभ्यम नमामी, हे पार्श्व नाथम,
अर्हम,
वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा,
वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा।3।
रत्नस्य वृष्टि,करी षष्ठ मासे,
कुबेर हर्षित,तुभ्यं नमामी,
वाराणसी,अधि,पति हे देवम,
गर्भस्य वामा, मां उर,तिष्ठे,
अर्हम,
वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा,
वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा।4।
अनन्तदर्शी,अनन्तवीर्या,
अनन्तचतुष्टय हो तुम जिनेश्वर,
पादौ पदानी,जिनेन्द्र धत्ते,
पद्मानी तत्रे,विबुधा रच्यांती,
अर्हम,
वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा,
वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा।5।
चिंतामणि त्वं,ज्योतिस्वरूपी,
निराकार हे, निरंजनाय,
त्रिलोक्य मंगल,दिव्य ध्वनि त्वं,
मुख्स्य उचरे, हे पार्श्व नाथम,
अर्हम,
वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा,
वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा।6।
त्वं कल्पवृक्षम, त्वं कामधेनु,
विषहर, विनाशम,उवसग्गहारम,
धरनेंद्र पद्मा, नागेंद्र पूजित,
जिनेन्द्र देवम, हे पार्श्व नाथम,
अर्हम,
वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा,
वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा।7।
अर्हम वन्दो जय पारस देवा,
वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा,
वन्दो (वन्दो),
वन्दो (वन्दो),
जय पारस देवा।8।
अर्हम वन्दो जय पारस देवा जैसे भजन भगवान पारसनाथ की महिमा और उनके आशीर्वाद को महसूस कराते हैं। पारसनाथ जी के दिव्य मार्ग का अनुसरण करके भक्त अपने जीवन को शुद्ध और दिव्य बना सकते हैं। इस भक्ति को और गहरा करने के लिए चरणों में चारो धाम भजन, मेरे मन में पारसनाथ, मालपूरा तेरा सच्चा है धाम – भजन, कुंडलपुर में त्रिशला माता ने ललना जाया है जैसे अन्य जैन भजनों को पढ़ें और अपनी भक्ति को सशक्त करें। 🙏
मैं धर्म पाल जैन, जैन धर्म का एक निष्ठावान अनुयायी और भगवान महावीर की शिक्षाओं का प्रचारक हूँ। मेरा लक्ष्य है कि लोग भगवान महावीर के संदेशों को अपनाकर अपने जीवन में शांति, संयम और करुणा का संचार करें और अपने जीवन को सदाचार और आध्यात्मिक शांति से समृद्ध कर सके। मैं अपने लेखों के माध्यम से भगवान महावीर के उपदेश, भक्तामर स्तोत्र, जैन धर्म के सिद्धांत और धार्मिक अनुष्ठान को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर जैन अनुयायी इनका लाभ उठा सके।View Profile ॐ ह्रीं अर्हं नमः 🙏