सूरी राया रे म्हारा गुरु राया रे

गुरु ही वह प्रकाश हैं, जो हमें अज्ञानता के अंधकार से निकालकर सत्य और धर्म के प्रकाश की ओर ले जाते हैं। सूरी राया रे म्हारा गुरु राया रे भजन में गुरुदेव की महिमा और उनकी दिव्य शिक्षाओं का गुणगान किया गया है। जब हम इस भजन को पढ़ते हैं, तो हमारे मन में अपने गुरु के प्रति अटूट श्रद्धा और समर्पण की भावना जाग्रत होती है।

Suri Raya Re Mhara Guru Raya Re

सूरी राया रे म्हारा गुरु राया रे,
प्यारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे मनडे भाया रे,
म्हारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे आँगण आया रे।1।

गुरु कुमकुम पगलिये पधारियाँ,
भगतो रा भाग्य सँवारीया,
गुरु ज्ञान की ज्योत जगाई,
म्हारे आँगण खुशियाँ छाई,
गुरु दर्श है म्हाने दिखाया,
म्हारे मनडे भाया रे,
म्हारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे आँगण आया रे।2।

है माँ देमी रा नंदन,
थाने कोटि कोटि वन्दन,
गुरु कृपा रो बरसे सावन,
हुयो धन्य यो म्हारो जीवन,
दिलबर महेश ने गाया,
म्हारे मनडे भाया रे,
म्हारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे आँगण आया रे।3।

सूरी राया रे म्हारा गुरु राया रे,
प्यारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे मनडे भाया रे,
म्हारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे आँगण आया रे।4।

जैन जी के भजन हमें भक्ति, श्रद्धा और आत्मिक शांति की ओर प्रेरित करते हैं। सूरी राया रे म्हारा गुरु राया रे भजन भी हमें यह सिखाता है कि गुरु का सान्निध्य ही सच्ची उन्नति का मार्ग है। यदि यह भजन आपको प्रेरणादायक लगा, तो “गुरुदेव का आशीर्वाद अनमोल , “श्री जिनचंद्रसूरी जी की महिमा , गुरु बिना जीवन अधूरा” और “जिन शासन के गौरव गुरुजी” जैसे अन्य भजन भी पढ़ें और गुरु भक्ति के इस पावन प्रवाह में लीन हो जाएं। 🙏

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