भक्ति का सबसे पवित्र स्वरूप तब प्रकट होता है जब भक्त अपने आराध्य से अटूट जुड़ाव महसूस करता है और उनसे कृपा की याचना करता है। हमें ना भुलाना दादा, हमें ना भुलाना भजन इसी गहरी आस्था और विनम्र प्रार्थना को दर्शाता है। यह भजन नाकोड़ा भैरव जी के प्रति हमारी अटूट श्रद्धा को प्रकट करता है। आइए, इस भजन के माध्यम से अपनी भक्ति को और अधिक गहराई से अनुभव करें और भैरव देव की छत्रछाया में आत्मिक शांति प्राप्त करें।
Hame Na Bhualana Dada Hame Na Bhulana
तेरी भक्ति में मैं रम जावां,
दादा हर पल गुण तेरे गाँवा,
हमें ना भुलाना दादा,
हमें ना भुलाना,
दूर नहीं करना मुझसे,
दूर नहीं जाना,
अपने भक्तों का दादा,
साथ निभाना,
हमे ना भुलाना दादा,
हमे ना भुलाना।1।
अपना तो नसीबा,
क्या खूब मिला है,
नाकोड़ा के जैसा,
दरबार मिला है,
तेरी पूजा तेरी भक्ति,
मेरी ज़िंदगानी,
अपना बनालो दादा,
तेरी मेहरबानी,
तेरी भक्ति में मैं रम जावां,
दादा हर पल गुण तेरे गाँवा,
हमे ना भुलाना दादा,
हमे ना भुलाना,
दूर नहीं करना मुझसे,
दूर नहीं जाना।2।
हर चौदस पूनम,
नाकोड़ा आउ,
तेरे चरणों में,
दादा शिश झकाऊ,
तेरी ही कृपा से दादा,
नाम ये मिला है,
तेरा गुणगान गाये,
तेरा ये दीवाना,
तेरी भक्ति में मैं रम जावां,
दादा हर पल गुण तेरे गाँवा,
हमे ना भुलाना दादा,
हमे ना भुलाना,
दूर नहीं करना मुझसे,
दूर नहीं जाना।3।
बन जाऊ मै चाकर,
दादा तेरे शरण का,
दुख मिट जाये सारा,
मेरे जीवन का,
‘कुशल कुसुम’ की दादा,
दुनिया सजाई,
हर पल तु साथ रहना,
हमें ना बिसराना,
तेरी भक्ति में मैं रम जावां,
दादा हर पल गुण तेरे गाँवा,
हमे ना भुलाना दादा,
हमे ना भुलाना,
दूर नहीं करना मुझसे,
दूर नहीं जाना।4।
तेरी भक्ति में मैं रम जावां,
दादा हर पल गुण तेरे गाँवा,
हमें ना भुलाना दादा,
हमें ना भुलाना,
दूर नहीं करना मुझसे,
दूर नहीं जाना,
अपने भक्तों का दादा,
साथ निभाना,
हमे ना भुलाना दादा,
हमे ना भुलाना।5।
जैन जी के भजन हमें भक्ति और समर्पण की अनमोल भावना से जोड़ते हैं। “हमें ना भुलाना दादा, हमें ना भुलाना भजन भी हमें यह सिखाता है कि सच्ची श्रद्धा और विश्वास से की गई प्रार्थना कभी निष्फल नहीं जाती। यदि यह भजन आपके मन में भक्ति की ज्योत जला दे, तो “नाकोड़ा भैरव जी की अपार कृपा , जय हो भैरव बाबा की , भक्तों के संकट हरने वाले भैरव” और “नाकोड़ा जी का चमत्कारी दरबार” जैसे अन्य भजन भी पढ़ें और नाकोड़ा भैरव जी की भक्ति में रम जाएं। 🙏
मैं धर्म पाल जैन, जैन धर्म का एक निष्ठावान अनुयायी और भगवान महावीर की शिक्षाओं का प्रचारक हूँ। मेरा लक्ष्य है कि लोग भगवान महावीर के संदेशों को अपनाकर अपने जीवन में शांति, संयम और करुणा का संचार करें और अपने जीवन को सदाचार और आध्यात्मिक शांति से समृद्ध कर सके। मैं अपने लेखों के माध्यम से भगवान महावीर के उपदेश, भक्तामर स्तोत्र, जैन धर्म के सिद्धांत और धार्मिक अनुष्ठान को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर जैन अनुयायी इनका लाभ उठा सके।View Profile ॐ ह्रीं अर्हं नमः 🙏