आई रे आई अंजनशलाका आई रे

जब धर्म का प्रकाश फूटता है, तब आत्मा पवित्रता और भक्ति के आनंद में मग्न हो जाती है। आई रे आई अंजनशलाका आई रे भजन जैन धर्म की पवित्र अंजनशलाका विधि की महिमा का गुणगान करता है। यह भजन हमारे भीतर श्रद्धा, आस्था और धर्म के प्रति निष्ठा को जाग्रत करता है। आइए, इस भजन के भावों को आत्मसात करें और जैन धर्म की इस दिव्य परंपरा का सम्मान करें।

Aayi Re Aayi Anjanshalaka Aayi Re

आई रे आई अंजनशलाका आई रे,
आई आई पुणे नगरी माय,
छाई रे छाई खुशियाँ छाई रे,
छाई छाई हेमकुंज जैन संघ रे माय,
प्रभु प्रतिस्ठा मनोहार है,
श्री संघ में हर्ष अपार है,
हो रहियो स्वप्न्न साकार,
बोलो रे पार्श्व प्रभु री जय जयकार।1।

लागी रे लागी लगनी लागी रे,
हिवडा में वसिया पारसनाथ,
जागी रे जागी भक्ति ज्योत जागी रे,
मन्दिर बणवायो म्हारा नाथ,
विनती सुनलो ये हमारी,
प्रभु कृपा बरसे तुम्हारी,
मंदिर बाणियो है यो विशाल,
पधारो दादा बस आपरो है इंतजार।2।

आवो रे आवो सखियां आवो रे,
गावो रे मंगल गीत,
नगरी सजाओ तोरण बंधाओं रे,
आया है मनडा रा मीत,
अँगना में रंगोली सजाओ,
दीप जला दिवाली मनाओ,
झूमो झूमो नाचो रे आज,
आया है शंखेश्वर पारसनाथ।3।

होगी जब ये प्रभु की प्रतिस्ठा,
उड़ेगा रंग गुलाल,
निज मन्दिर में आएंगे प्रभुवर,
माँ वामा के लाल,
देगे बधाई हम सब मिलकर,
साथ निखिल के स्तवनो को गाकर,
“दिलबर” होगी जयकार,
ये गूंजेगा जयकारों से दरबार,
आई रे आई अंजनशलाका आई रे,
आई आई पुणे नगरी माय।4।

अंजनशलाका महोत्सव जैन धर्म की पवित्र विधियों में से एक है, जो आत्मा को शुद्धि और मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है। “आई रे आई अंजनशलाका आई रे” जैसे भजन इस पावन परंपरा की महिमा को उजागर करते हैं। इसी तरह, “नवकार मंत्र की महिमा,” “जिन शासन की आराधना, तीर्थंकरों की वंदना” और “साधु-संतों की महिमा” जैसे अन्य जैन भजनों को पढ़ें और अपनी आत्मा को धर्ममय करें। 🙏

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