महाराष्ट्र की पुण्यभूमि पर स्थित सोलाशी शनि टेम्पल न सिर्फ एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि श्रद्धा, विश्वास और आत्मशुद्धि का प्रतीक भी है। यह मंदिर सातारा जिले के कोरेगांव तालुका के सोलाशी गांव में स्थित है और शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए हजारों श्रद्धालु यहाँ आकर व्रत, पूजा और सेवा करते हैं। यहां हम आपको Solashi Shani Temple के इतिहास, महत्व और उसकी विशेषताओं के बारे में बताएंगे-

मंदिर का इतिहास एवं पौराणिक मान्यता
इस मंदिर का निर्माण कब हुआ, इसके बारे में स्पष्ट ऐतिहासिक प्रमाण तो उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है की यह स्थान सदियों से शनि उपासकों के लिए अत्यंत प्रभावशाली और जाग्रत स्थल बना हुआ है।
लोगों का ऐसा कहना है कि यहाँ आने वाले भक्तों की साढ़ेसाती, ढैय्या और अन्य शनि दोष शनिदेव की कृपा से दूर हो जाती हैं। इस मंदिर को उस शक्ति का केंद्र माना जाता है जहाँ शनिदेव अपने भक्तों की परीक्षा लेते हैं और सच्चे मन से पूजा करने पर अपने भक्तों पर कृपा भी बरसाते हैं।
मंदिर की वास्तुकला और सौंदर्य
- Solashi Shani Temple का परिसर प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। मंदिर के चारों ओर हरियाली और पहाड़ी इलाका है जो भक्तों को आत्मिक शांति प्रदान करता है।
- विशेष बात यह है कि मंदिर के भीतर एक सुंदर शिव मंदिर भी स्थित है, जिसे रंगीन कांच के टुकड़ों से सजाया गया है। मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही एक आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है।
- मंदिर में शनि महाराज की प्रतिमा अत्यंत प्रभावशाली रूप में विराजमान है, जिनके दर्शन मात्र से भय और चिंता दूर हो जाती है।
पूजा और नियम
सोलाशी शनि टेम्पल में प्रतिदिन विशेष पूजा-अर्चना होती है। यह मंदिर सुबह 6 बजे से रात के 9 बजे तक खुला रहता है। यहाँ शनिदेव की पूजा विशेष विधि से की जाती है। भक्तजन शनिदेव को तेल, नीले फूल, काले तिल, और उड़द अर्पण करते हैं। विशेषतः शनिवार के दिन यहाँ हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ते हैं।
कुछ नियमों का पालन करना इस मंदिर में अत्यंत आवश्यक माना गया है:
- पुरुषों को मंदिर में चमड़े की वस्तुएँ पहनकर प्रवेश नहीं करना चाहिए।
- कुछ स्थानों पर महिलाओं के प्रवेश की मनाही है, जिसे स्थानीय परंपरा और आस्था का हिस्सा माना जाता है।
- मंदिर परिसर में पूर्णतः सात्त्विक वातावरण बनाए रखा जाता है।
Solashi Shani Temple तक कैसे पहुँचें ?
- स्थान: सोलाशी गांव, कोरेगांव तालुका, जिला सातारा, महाराष्ट्र।
- पुणे से दूरी: लगभग 75 किलोमीटर
- सातारा से दूरी: लगभग 20 किलोमीटर
- नजदीकी रेलवे स्टेशन: सातारा
- सड़क मार्ग से टैक्सी और बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
प्रमुख त्योहार और मेले
शनि देव के इस मंदिर में प्रमुख लोकप्रिय त्योहारों और मेलों का आयोजन किया जाता है, जिसके विषय में चर्चा किया गया है:
- शनि अमावस्या: यह पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भक्तजन शनिदेव की विशेष पूजा करते हैं और मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं।
- शनि जयंती: शनि जयंती के अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।
यदि आप इन स्थलों की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो शनिवार के दिन विशेष भीड़ को ध्यान में रखते हुए अपनी यात्रा की योजना बनाएं। यात्रा के दौरान स्थानीय नियमों और परंपराओं का पालन करें।
मंदिर से जुड़ी विशेष मान्यताएँ
- माना जाता है कि इस मंदिर में आने से कुंडली में शनि से जुड़ी सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
- कई श्रद्धालु शनिदेव को ‘न्याय का देवता’ मानकर यहाँ न्याय प्राप्ति के लिए भी आते हैं।
- यहाँ व्रत रखने और कथा सुनने से शनि साढ़ेसाती में भी राहत मिलती है।
आसपास के दर्शनीय स्थल
Shani Temple Solashi के आसपास कई दर्शनीय स्थल भी मौजूद हैं, जिन्हें आप शनि देव के दर्शन के साथ-साथ उन स्थलों का भी आनंद उठा देख सकते हैं:
वीर डैम बैकवाटर्स

सातारा घाट

महागणपति मंदिर

सोलाशी शनि मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना का केंद्र है जहाँ भक्ति और तप का संगम होता है। अगर आप जीवन में शनि देव के प्रकोप से ग्रसित हैं, तो एक बार इस मंदिर की यात्रा अवश्य करें। यदि आप Shani Vrat Kath“, “शनि की साढ़े साती“, या “शनि दोष के लक्षण” जैसे विषयों पर भी जानकारी चाहते हैं, तो संबंधित लेख अवश्य पढ़ें।
FAQ
मंदिर में दर्शन का उपयुक्त समय क्या है?
मंदिर हर दिन खुला रहता है, लेकिन शनिवार को विशेष भीड़ होती है। दर्शन के लिए सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।
मंदिर में पूजा कैसे की जाती है?
भक्तजन शनिदेव को सरसों का तेल, काले तिल, उड़द, नीले फूल और लोहा चढ़ाते हैं। यहाँ विशेष रूप से शनि मंत्रों का जाप और व्रत किया जाता है।
क्या मंदिर में महिलाएँ प्रवेश कर सकती हैं?
मंदिर परिसर में महिलाएँ प्रवेश कर सकती हैं, लेकिन मुख्य गर्भगृह तक कुछ विशेष स्थानों पर प्रवेश की मनाही होती है।
क्या यहाँ रुकने की सुविधा उपलब्ध है?
सोलाशी गाँव छोटा स्थान है, लेकिन आसपास के क्षेत्रों में सातारा और कोरेगांव में धार्मिक यात्रियों के लिए होटल, धर्मशाला, और लॉजिंग की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। जय सनातन धर्म