नगरी हो अयोध्या सी रघुकुल सा घराना हो

नगरी हो अयोध्या सी रघुकुल सा घराना हो भजन में हम भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या की महिमा को देखते हैं। इस भजन में एक ऐसी स्थिति की कल्पना की जा रही है, जहाँ हर घर में रघुकुल के आदर्श और राम के गुणों का प्रचार हो। यह भजन हमें यह प्रेरणा देता है कि हमारे घर और समाज में भी वही आदर्श स्थापित होने चाहिए, जो रघुकुल के थे – सत्य, धर्म, और निष्ठा के। जैसे अयोध्या में श्रीराम का राज्य स्थापित था, वैसे ही हर घर में भी राम के आदर्श का पालन होना चाहिए।

Nagri Ho Ayodhya Si Raghukul Sa Gharana Ho

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो,
चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो,
चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो।1।

लक्ष्मण सा भाई हो,
कौशल्या माई हो,
स्वामी तुम जैसा,
मेरा रघुराई हो,
स्वामी तुम जैसा,
मेरा रघुराई हो।2।

हो त्याग भरत जैसा,
सीता सी नारी हो,
लव कुश के जैसी,
संतान हमारी हो,
लव कुश के जैसी,
संतान हमारी हो।3।

श्रद्धा हो श्रवण जैसी,
शबरी सी भक्ति हो,
हनुमत के जैसी,
निष्ठा और शक्ति हो,
हनुमत के जैसी,
निष्ठा और शक्ति हो।4।

मेरी जीवन नैया हो,
प्रभु राम खिवैया हो,
राम कृपा की सदा,
मेरे सिर पर छैया हो,
राम कृपा की सदा,
मेरे सिर पर छैया हो।5।

सरयू का किनारा हो,
निर्मल जलधारा हो,
दर्श मुझे भगवन,
जिस घड़ी तुम्हारा हो,
दर्श मुझे भगवन,
जिस घड़ी तुम्हारा हो।6।

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो,
चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो,
चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो।7।

नगरी हो अयोध्या सी रघुकुल सा घराना हो भजन हमें यह समझाता है कि हमें अपने जीवन में राम के आदर्शों का पालन करना चाहिए, ताकि हमारा जीवन भी रघुकुल के जैसे पवित्र और सुखमय हो। जैसे राम लला घर आए है मिलकर सारे दीप जलाओ और राम राज ये आ गया भजन में राम के राज्य की ओर इशारा किया गया है, वैसे ही इस भजन में हमें अयोध्या के शांति और समृद्धि का आदर्श प्रस्तुत किया गया है। अगर हम सभी मिलकर राम के आदर्शों को अपनाएं, तो हमारे समाज और घर भी अयोध्या जैसी पुण्य भूमि बन सकते हैं। जय श्रीराम!

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