संयम और तपस्या ही वह आधार हैं, जिन पर जैन धर्म की मजबूत नींव टिकी हुई है। ये संयम सुमेरू का भार है भजन इसी महान संदेश को प्रकट करता है। संयम को पर्वत सुमेरू के समान भार स्वरूप मानते हुए, यह भजन हमें आत्मसंयम, त्याग और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। आइए, इस भजन के माध्यम से हम भी संयम के महत्व को समझें और अपने जीवन में इसे अपनाने का संकल्प करें।
Ye Sanyam Sumeru Ka Bhar Hai Jain Bhajan Lyrics
जरा सोच लो समझ लो भैया,
ये संयम सुमेरू का भार है,
यूँ कठिन व्रतों का पालना,
बच्चो का नही खिलवाड़ है।1।
कोस हजारों पैदल चलना,
हाथों से लोचन करना,
लेने को निर्दोष आहार ग्रहण,
ग्रहण को घर घर फिरना,
साधू बनने में कष्ट अपार है,
कहो आत्मा तुम्हारी तैयार है,
यूँ कठिन व्रतों का पालना,
बच्चो का नही खिलवाड़ है।2।
कभी पैर में छाले होगें,
कभी पैर छिल जायेंगे,
गर्मी और सर्दी के मारे,
कष्ट सामने आयेंगे,
साधू बनने में कष्ट अपार है,
कहो आत्मा तुम्हारी तैयार है,
यूँ कठिन व्रतों का पालना,
बच्चो का नही खिलवाड़ है।3।
जरा सोच लो समझ लो भैया,
ये संयम सुमेरू का भार है,
यूँ कठिन व्रतों का पालना,
बच्चो का नही खिलवाड़ है।4।
जैन जी के भजन हमें धर्म, संयम और साधना का सही मार्ग दिखाते हैं। ये संयम सुमेरू का भार है भजन हमें यह सिखाता है कि आत्मसंयम ही वह शक्ति है, जो हमें आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की ओर ले जाती है। यदि यह भजन आपके हृदय में भक्ति और संयम की भावना जागृत करे, तो “संयम का ये पथ भैया, आत्मा का ठिकाना है , पर्वराज पर्युषण प्यारे, हमें जगाने आए हैं , संवत्सरी का शुभ दिन है ये, आओ कर लें क्षमापना” और “मन, वचन और काया से क्षमा याचना कर लेना” जैसे अन्य भजन भी पढ़ें और संयम के इस दिव्य संदेश को आत्मसात करें। 🙏

मैं धर्म पाल जैन, जैन धर्म का एक निष्ठावान अनुयायी और भगवान महावीर की शिक्षाओं का प्रचारक हूँ। मेरा लक्ष्य है कि लोग भगवान महावीर के संदेशों को अपनाकर अपने जीवन में शांति, संयम और करुणा का संचार करें और अपने जीवन को सदाचार और आध्यात्मिक शांति से समृद्ध कर सके। मैं अपने लेखों के माध्यम से भगवान महावीर के उपदेश, भक्तामर स्तोत्र, जैन धर्म के सिद्धांत और धार्मिक अनुष्ठान को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर जैन अनुयायी इनका लाभ उठा सके।View Profile ॐ ह्रीं अर्हं नमः