पूनम का मेला ये दादा जब जब भी आता है – नाकोड़ा जी भजन

जब भक्ति का मौसम होता है, तो हर भक्त अपने आराध्य देव के पास जाने का उत्साह और श्रद्धा से भरा होता है। पूनम का मेला ये दादा जब जब भी आता है भजन नाकोड़ा जी के पावन मेले और उनकी दिव्यता की महिमा को प्रस्तुत करता है। यह भजन न केवल भक्तों की श्रद्धा को दर्शाता है, बल्कि नाकोड़ा जी के पवित्र मेले की रौनक और उसमें भाग लेने वाले भक्तों के उल्लास को भी प्रकट करता है। आइए, इस भजन के माध्यम से हम नाकोड़ा जी के मेले में शामिल हों और उनकी कृपा का अनुभव करें।

Poonam Ka Mela Ye Dada Jab Jab Bhi Aata Hai

पूनम का मेला ये,
दादा जब जब भी आता है,
नाकोडा जी जाने को,
मेरा मन ललचाता है,
पूनम का मेला यें,
दादा जब जब भी आता है।1।

दादा तेरे मंदिर में,
भक्तो की है लगती कतार,
दूर दूर से आते है,
तेरे दर्शन को नर और नार,
किस्मतवाला है,
जो मेवानगर जाता है,
पूनम का मेला यें,
दादा जब जब भी आता है।2।

प्रभु पारस के दरबार में,
रंग भक्ति का बरसता है,
प्रभु पारस के संग संग में,
डमरू वाला भी सजता है,
है ये निराला दरबार,
जहाँ संसार झुकता है,
पूनम का मेला यें,
दादा जब जब भी आता है।3।

टुकलिया परिवार की,
दादा विनती तुम सुन लेना,
तेरे दरबार आते रहे,
बस इतनी कृपा करना,
‘दिलबर’ ‘नितिन’ का तो,
तुमसे गहरा ये नाता है,
पूनम का मेला यें,
दादा जब जब भी आता है।4।

पूनम का मेला ये,
दादा जब जब भी आता है,
नाकोडा जी जाने को,
मेरा मन ललचाता है,
पूनम का मेला यें,
दादा जब जब भी आता है।5।

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