पंखिड़ा तू मोतियों की ला बहार रे भजन एक अद्भुत प्रेम और समर्पण की अभिव्यक्ति है, जो भगवान के प्रति भक्त की आस्था और प्रेम को प्रकट करता है। यह भजन अपने आराध्य देव को पंखिड़ा यानी एक सुंदर पक्षी के रूप में दर्शाता है, जो मोतियों की बहार लाता है। यह भजन भक्त के हृदय में भगवान की दिव्यता और प्रेम को जागृत करता है। आइए, इस भजन के माध्यम से हम भगवान के प्रति अपने प्रेम और श्रद्धा का समर्पण करें।
Pankhand Tu Motiyon Ki La Bhar Re Bhajan Lyrics
पंखिड़ा ओ पंखिड़ा,
पंखिड़ा ओ पंखिड़ा,
पंखिड़ा तू मोतियों की ला बहार रे,
पंखिड़ा तू फूलों की ला बहार रे,
मेरे वीर का है आज जन्मोत्सव रे,
त्रिशला नंदन का है आज जन्मदिवस रे।1।
नगरी नगरी में जाके बजा दे तू थाल,
आज धरती पे जन्मे हैं त्रिशला के लाल,
जिनको गोद में बिठाए हैं मेरु गिरिराज,
जिनको न्हवन कराते हैं इंद्र महाराज,
देव देवियां रुमझुम नाचे मंगल गावे रे,
देव देवियां रुमझुम नाचे मंगल गावे रे,
आज मेरे वीर का है जन्मोत्सव रे,
त्रिशला नंदन का है आज जन्मदिवस रे।2।
दूर पावन नदी से तू पानी ले आ,
उनके प्यारे से चरणों में न्हवन करा,
दूर अंबर से कोई सितारा तो ला,
उनके माथे पे टीका लगाऊं जरा,
चंपा चमेली फूलों का पालना रे,
चंपा चमेली फूलों का पालना रे,
सोए मेरे वीरजी मीठी नींद रे,
सोए मेरे वीरजी मीठी नींद रे।3।
जाके काली घटा से तू काजल ले आ,
उनकी कजरारी आंखों में अंजन लगा,
उनके केशुओं में चंदन की खुशबू बसा,
उनके नाज़ुक से हाथों में राखड़ी सजा,
हार लाओ कुंडल लाओ मुकुट लाओ रे,
हार लाओ कुंडल लाओ मुकुट लाओ रे,
मेरे वीर का मैं करूंगा श्रृंगार रे,
मेरे वीर का मैं करूंगा श्रृंगार रे।4।
पंखिड़ा ओ पंखिड़ा,
पंखिड़ा ओ पंखिड़ा,
पंखिड़ा तू मोतियों की ला बहार रे,
पंखिड़ा तू फूलों की ला बहार रे,
मेरे वीर का है आज जन्मोत्सव रे,
त्रिशला नंदन का है आज जन्मदिवस रे।5।
भगवान की महिमा और आशीर्वाद से भरा हर भजन हमारी भक्ति को और सशक्त करता है। पंखिड़ा तू मोतियों की ला बहार रे जैसे भजन हमें भगवान की कृपा का अहसास कराते हैं और हमारे जीवन को सुख, शांति और आशीर्वाद से भरते हैं। इस भक्ति को और गहरा करने के लिए नवकार मंत्र की महिमा, जिन शासन की आराधना, धार्मिक उपदेशों की शक्ति, और जैन भजन की आराधना” जैसे अन्य जैन भजनों को पढ़ें और अपनी भक्ति को सशक्त करें। 🙏

मैं धर्म पाल जैन, जैन धर्म का एक निष्ठावान अनुयायी और भगवान महावीर की शिक्षाओं का प्रचारक हूँ। मेरा लक्ष्य है कि लोग भगवान महावीर के संदेशों को अपनाकर अपने जीवन में शांति, संयम और करुणा का संचार करें और अपने जीवन को सदाचार और आध्यात्मिक शांति से समृद्ध कर सके। मैं अपने लेखों के माध्यम से भगवान महावीर के उपदेश, भक्तामर स्तोत्र, जैन धर्म के सिद्धांत और धार्मिक अनुष्ठान को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर जैन अनुयायी इनका लाभ उठा सके।View Profile ॐ ह्रीं अर्हं नमः