भक्ति का सर्वोच्च स्वरूप तब प्रकट होता है जब हृदय श्रद्धा से भर जाता है और आत्मा अपने आराध्य के चरणों में समर्पित हो जाती है। नमामी प्रभु पार्श्व, नमामी भैरव देवा भजन भगवान पार्श्वनाथ और नाकोड़ा भैरव देव की वंदना का सुंदर स्वरूप है। यह भजन हमें उनकी दिव्यता, कृपा और आशीर्वाद का स्मरण कराता है, जो हर भक्त के जीवन को पवित्रता और शांति से भर देते हैं। आइए, इस भजन के माध्यम से हम भी अपनी आस्था को और अधिक प्रगाढ़ करें।
Namami Prabhu Pashvar Namami Bhairav Deva Lyrics
नमामी प्रभु पार्श्व,
नमामी भैरव देवा,
बिराजे पार्श्व भैरव,
श्री नाकोडा धाम,
एक पालनहारे,
एक कष्ट निवारे,
जप लो सदा,
श्री पार्श्व भैरव नाम।1।
तीर्थोउधारक,
श्री हिमाचल सुरिस्वर,
लगता है नाकोडा,
स्वर्ग से सुंदर,
विश्व मे फैली है,
इस तीर्थ की कीर्ति,
मिलती है शांति,
धाम नाकोडा आकर।2।
पावन पुनीत पुण्य,
यहाँ की धन्य धरा है,
देव विमान तुल्य,
ये दिव्य मंदिर बना है,
कण कण में है,
पार्श्व भैरव की शक्ति,
आओ इस धरा की,
हम करे स्पर्शना है।3।
तीर्थधिपति श्री,
पार्श्वनाथ जिनेश्वर,
भैरव दादा बैठे है,
सेवक बनकर,
आदि व्याधि,
दुख दरिद्र टाले,
ध्यावे जो इनको,
धाम नाकोंडा आकर।4।
श्री नाकोडा दरबार,
की अर्जी को सुनना,
सदा पार्श्व भैरव के,
चरणों में रहना,
मनोज ‘दिलबर’ की,
यही भावना है,
भक्तो की करना पूरी,
हर मनोकामना।5।
नमामी प्रभु पार्श्व,
नमामी भैरव देवा,
बिराजे पार्श्व भैरव,
श्री नाकोडा धाम,
एक पालनहारे,
एक कष्ट निवारे,
जप लो सदा,
श्री पार्श्व भैरव नाम।6।
श्री पार्श्वनाथ भगवान की जय।
श्री नाकोड़ा भैरव देव की जय।
जैन जी के भजन हमें सच्ची भक्ति और श्रद्धा का मार्ग दिखाते हैं। नमामी प्रभु पार्श्व, नमामी भैरव देवा भजन हमें यह सिखाता है कि जब हम सच्चे हृदय से भगवान पार्श्वनाथ और नाकोड़ा भैरव देव की शरण में जाते हैं, तो वे हमें अपनी कृपा से निहाल कर देते हैं। यदि यह भजन आपके हृदय में भक्ति भाव उत्पन्न करे, तो “तेरी कृपा का कोई छोर नहीं, पार्श्व भैरव भजन , हर पूनम को दादा, मैं नाकोड़ा आऊँगा , भेरू दादा के दर्शन पाना, के हर पूनम नाकोड़ा जी आना” और “नगरी नाकोड़ा री प्यारी, दर्शन आवे दुनिया सारी” जैसे अन्य भजन भी पढ़ें और भक्ति की इस अद्भुत अनुभूति में डूब जाएँ। 🙏

मैं धर्म पाल जैन, जैन धर्म का एक निष्ठावान अनुयायी और भगवान महावीर की शिक्षाओं का प्रचारक हूँ। मेरा लक्ष्य है कि लोग भगवान महावीर के संदेशों को अपनाकर अपने जीवन में शांति, संयम और करुणा का संचार करें और अपने जीवन को सदाचार और आध्यात्मिक शांति से समृद्ध कर सके। मैं अपने लेखों के माध्यम से भगवान महावीर के उपदेश, भक्तामर स्तोत्र, जैन धर्म के सिद्धांत और धार्मिक अनुष्ठान को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर जैन अनुयायी इनका लाभ उठा सके।View Profile ॐ ह्रीं अर्हं नमः