मेरी सांस तू ही है अहसास तू ही है भैरव भजन

भक्ति की सबसे गहरी अभिव्यक्ति तब होती है, जब भक्त अपने आराध्य देवता को अपने अस्तित्व का हिस्सा मानता है। मेरी सांस तू ही है अहसास तू ही है भजन भैरव जी के प्रति समर्पण और उनके साथ आत्मिक जुड़ाव को प्रकट करता है। यह भजन हमें यह अहसास कराता है कि भैरव जी न केवल हमारे जीवन के मार्गदर्शक हैं, बल्कि हमारे हर क्षण में उनकी उपस्थिति महसूस होती है। आइए, इस भजन के माध्यम से भैरव जी की महिमा का गान करें और उनकी कृपा का अनुभव करें।

Meru Sans Tu Hi Hai Ahasas Tu Hi Hai Bhairav Bhajan

मेरी सांस तू ही है,
अहसास तू ही है,
कभी टूटे न दादा,
वो विश्वास तू ही है,
दादा जन्मो का है ये बंधन,
दादा आया मैं तेरी शरण।1।

अब काल भी मुझको,
डरा नही सकता,
जब साया बनकर के,
तू साथ मेरे चलता,
मुझे हरपल जो होता,
वो आभास तू ही है,
कभी टूटे न दादा,
वो विश्वास तू ही है,
दादा जन्मो का है ये बंधन,
दादा आया मैं तेरी शरण।2।

मेरे भेरू दादा की,
हर बात निराली है,
आता जो इनके द्वार,
जाता नही खाली है,
मेरे सुख दुख में रहता,
मेरे पास तू ही है,
कभी टूटे न दादा,
वो विश्वास तू ही है,
दादा जन्मो का है ये बंधन,
दादा आया मैं तेरी शरण।3।

किस्मत मेरी दादा,
तुमने ही सँवारी है,
रहे सर पे सदा तेरा हाथ,
ये अर्जी हमारी है,
ये शुभम की विनती,
तू कर लेना मंजूर,
मशहूर भी हो जाँऊ,
पर देना नही गुरुर,
‘दिलबर’ सदा दिल के,
एक पास तू ही है,
कभी टूटे न दादा,
वो विश्वास तू ही है,
दादा जन्मो का है ये बंधन,
दादा आया मैं तेरी शरण।4।

मेरी सांस तू ही है,
अहसास तू ही है,
कभी टूटे न दादा,
वो विश्वास तू ही है,
दादा जन्मो का है ये बंधन,
दादा आया मैं तेरी शरण।5।

भैरव जी की उपस्थिति में ही भक्तों को वास्तविक शांति और आशीर्वाद प्राप्त होता है। मेरी सांस तू ही है अहसास तू ही है जैसे भजन हमें भैरव जी के दिव्य रूप और उनकी कृपा का आभास कराते हैं। इस भक्ति को और गहराई से महसूस करने के लिए “नाकोड़ा भैरव जी की वंदना , भेरू जी के दरबार में अरदास , नवकार मंत्र की महिमा , और “भैरव भजन की शक्ति” जैसे अन्य जैन भजनों को पढ़ें और अपनी भक्ति को सशक्त करें। 🙏

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