दीक्षा दिवस आत्मशुद्धि और त्याग का वह पावन अवसर होता है, जब कोई आत्मा सांसारिक बंधनों को छोड़कर मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होती है। दीक्षा दिवस है सिणधरी नगरे, श्री जिन मनोज्ञ सुरिवर का भजन पूज्य गुरुदेव के उस शुभ दिवस की महिमा का गुणगान करता है, जब उन्होंने सांसारिक मोह-माया त्यागकर संयम का व्रत लिया। आइए, इस भजन के माध्यम से हम उनके दीक्षा दिवस की पावन वेला का स्मरण करें और उनके चरणों में श्रद्धा अर्पित करें।
Diksha Diwas Hai Sinadhari Nagare Shree Jin Manogya Surivar Ka
दीक्षा दिवस है सिणधरी नगरे,
श्री जिन मनोज्ञ सुरिवर का,
सुविहित संयम स्वर्णोउत्सव है,
श्री जिन मनोज्ञ सुरिवर का,
गुरु भक्तो में हर्ष समाया,
आया शुभ मंगल अवसर है,
जिनशासन की शान,
माँ देमी नंदन है,
एकावनवां दीक्षा दिवस है,
झुमे धरती झुमें गगन है,
छाई गुरु भक्ति की लहर है।1।
ऐसे निराले है संत,
ज्यो लागे अरिहंत,
मुख मुद्रा ये मन को मोहे,
शांत सरल स्वभाव में रहे,
वैराग्य पथ पर बढ़ते जा रहे बस,
मुक्ति का लिये ये लक्ष्य है,
गुरु भक्तो में हर्ष समाया,
आया शुभ मंगल अवसर है।2।
है सौभाग्य हमारा,
मिला आशीष तुम्हारा,
गुरुवर तू ही सहारा,
तू ही प्राणों से प्यारा,
हम भक्तो पे तेरी महर,
स्वीकारो बधाई गुरूवर,
दीक्षा दिवस का शुभ अवसर,
स्वीकारो बधाई गुरूवर,
युग युग जियो गुरुवर मेरे,
‘दिलबर’ ये प्राची कहे,
गुरु चरणों मे सदा ही रहे,
गुरु भक्तो में हर्ष समाया,
आया शुभ मंगल अवसर है।3।
दीक्षा दिवस है सिणधरी नगरे,
श्री जिन मनोज्ञ सुरिवर का,
सुविहित संयम स्वर्णोउत्सव है,
श्री जिन मनोज्ञ सुरिवर का,
गुरु भक्तो में हर्ष समाया,
आया शुभ मंगल अवसर है,
जिनशासन की शान,
माँ देमी नंदन है,
एकावनवां दीक्षा दिवस है,
झुमे धरती झुमें गगन है,
छाई गुरु भक्ति की लहर है।4।
जैन जी के भजन हमें धर्म, संयम और गुरु भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। दीक्षा दिवस है सिणधरी नगरे, श्री जिन मनोज्ञ सुरिवर का भजन भी हमें यह सिखाता है कि त्याग और आत्मसंयम से ही सच्चे मोक्ष मार्ग की प्राप्ति होती है। यदि यह भजन आपके मन को श्रद्धा से भर दे, तो “कांतिसुरी जी रा लाडला श्री जिन मनोज्ञ सूरी गुरुराज , सूरी राया रे म्हारा गुरु राया रे , करे वंदन हम आपको गुरुवर” और “संयम का ये पथ भैया आतम का ठिकाना है” जैसे अन्य भजन भी पढ़ें और धर्म और भक्ति में लीन हों। 🙏

मैं धर्म पाल जैन, जैन धर्म का एक निष्ठावान अनुयायी और भगवान महावीर की शिक्षाओं का प्रचारक हूँ। मेरा लक्ष्य है कि लोग भगवान महावीर के संदेशों को अपनाकर अपने जीवन में शांति, संयम और करुणा का संचार करें और अपने जीवन को सदाचार और आध्यात्मिक शांति से समृद्ध कर सके। मैं अपने लेखों के माध्यम से भगवान महावीर के उपदेश, भक्तामर स्तोत्र, जैन धर्म के सिद्धांत और धार्मिक अनुष्ठान को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर जैन अनुयायी इनका लाभ उठा सके।View Profile ॐ ह्रीं अर्हं नमः