जैन धर्म में पर्युषण पर्व को आत्मशुद्धि, तपस्या और क्षमाभाव का महापर्व माना जाता है। आया महापर्व हमारा, ये पर्व पर्युषण प्यारा भजन इसी पावन अवसर की महिमा का गुणगान करता है। यह पर्व हमें आत्मविश्लेषण करने, अहिंसा और संयम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। जब हम हृदय से प्रायश्चित कर अपने दोषों का परिमार्जन करते हैं, तो आत्मा का उत्थान होता है और शांति प्राप्त होती है।
Aaya Mahaparv Hamara Ye Parv Payushan Pyara
धर्म ध्यान जप तप भक्ति की,
बहेगी निर्मल धारा,
आया महापर्व हमारा,
ये पर्व पर्युषण प्यारा,
सत्य अहिंसा को अपना,
चले धर्म राह जग सारा,
आया महा पर्व हमारा,
ये पर्व पर्युषण प्यारा।1।
आठ दिनों का पर्व ये प्यारा,
हम जैनो का ये त्योहार,
जिनवाणी की वर्षा होगी,
सजेंगे मंदिर और घर द्वार,
करके तपस्या सभी तपस्वी,
करेंगे आत्मा का उद्धार,
जिनशासन की बगियाँ में,
छायेगी एक अजब बहार,
त्रिशला नंदन महावीर का,
जब गूँजेगा जयकारा,
आया महा पर्व हमारा,
ये पर्व पर्युषण प्यारा।2।
प्रथम दिवस पर्युषण का,
प्रभु से प्रीत लगाना है,
दूसरे दिवस पर हमको,
मन के भरम मिटाना है,
तीसरे दिन जीवन के,
कर्म और कष्ट भगाना है,
चौथे दिन पर हम सबको,
अवगुण दोष मिटाना है,
पांचवे ओर छठे दिन का,
करो लेखा जोखा सारा,
आया महा पर्व हमारा,
ये पर्व पर्युषण प्यारा।3।
सातवां दिन जब आये,
पर्युषण का हो जाना तैयार,
वर्ष भर में मन वच काया से,
कैसा रहा अपना व्यवहार,
संवत्सरी पर बेर भाव को,
छोड़ तू बन जाना उदार,
मिच्छामि दुक्कड़म है कहना,
सबसे ‘दिलबर’ बारम्बार,
पर्व पर्युषण होगा ‘सूरज’,
तब ये सफल हमारा,
आया महा पर्व हमारा,
ये पर्व पर्युषण प्यारा।4।
धर्म ध्यान जप तप भक्ति की,
बहेगी निर्मल धारा,
आया महापर्व हमारा,
ये पर्व पर्युषण प्यारा,
सत्य अहिंसा को अपना,
चले धर्म राह जग सारा,
आया महा पर्व हमारा,
ये पर्व पर्युषण प्यारा।5।
जैन जी के भजन हमें धर्म, संयम और आत्मशुद्धि का मार्ग दिखाते हैं। आया महापर्व हमारा, ये पर्व पर्युषण प्यारा भजन हमें यह सिखाता है कि जब हम इस पावन पर्व को श्रद्धा और समर्पण से मनाते हैं, तो हमें आध्यात्मिक शांति और मोक्ष मार्ग की प्राप्ति होती है। यदि यह भजन आपके हृदय में भक्ति भाव उत्पन्न करे, तो “पर्व पर्युषण आया है, घर-घर में खुशियाँ लाया है , संवत्सरी का शुभ दिन है ये, आओ कर लें क्षमापना , मन, वचन और काया से क्षमा याचना कर लेना” और “संयम का ये पथ भैया, आत्मा का ठिकाना है” जैसे अन्य भजन भी पढ़ें और पर्युषण पर्व की सच्ची भावना को आत्मसात करें। 🙏
मैं धर्म पाल जैन, जैन धर्म का एक निष्ठावान अनुयायी और भगवान महावीर की शिक्षाओं का प्रचारक हूँ। मेरा लक्ष्य है कि लोग भगवान महावीर के संदेशों को अपनाकर अपने जीवन में शांति, संयम और करुणा का संचार करें और अपने जीवन को सदाचार और आध्यात्मिक शांति से समृद्ध कर सके। मैं अपने लेखों के माध्यम से भगवान महावीर के उपदेश, भक्तामर स्तोत्र, जैन धर्म के सिद्धांत और धार्मिक अनुष्ठान को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर जैन अनुयायी इनका लाभ उठा सके।View Profile ॐ ह्रीं अर्हं नमः 🙏