भक्ति की सच्ची साधना तब पूर्ण होती है जब हम अपने आराध्य को प्रेम और श्रद्धा से आमंत्रित करते हैं। आओ आओ रे भेरूजी, थोरी घणी करा मनुहार भजन नाकोड़ा भैरव जी की स्तुति का अनुपम स्वरूप है, जिसमें भक्तजन उन्हें स्नेहपूर्वक आमंत्रित कर उनकी कृपा प्राप्त करने की विनती करते हैं। यह भजन हमें सिखाता है कि जब हम सच्चे हृदय से भक्ति करते हैं और भैरव दादा की आराधना में लीन होते हैं, तब वे अपने आशीर्वाद से हमें कृतार्थ करते हैं।
Aao Aao Re Bheruji Thori Ghani Kara Manuhar
जय जय भेरव देव,
जय जय भेरव देव,
आओ आओ रे भेरूजी,
थोरी घणी करा मनुहार,
घणी करा मनुहार,
म्हारा भेरू जी सरकार,
घणी करा मनुहार,
म्हारा नाकोड़ा सरकार,
आवो आवो रे भेरू जी,
थोरी घणी करा मनुहार।1।
थोनो सोनी जी बुलावे,
सुंदर मुकुट लईं आवे रे,
थारो घणो करे सिंगार,
है घणो करे सिंगार,
म्हारा भेरूजी सरकार,
आवो आवो रे भेरूजी,
थोरी घणी करा मनुहार।2।
थोनो माली जी बुलावे,
ओ तो हार गुलाबी लावे रे,
घणी करे मनुहार,
है घणी करे मनुहार,
म्हारा भेरुजी सरकार,
आवो आवो रे भेरूजी,
थोरी घणी करा मनुहार।3।
थोने पंसारी बुलावे,
वोतो तेल सिंदूर लावे रे,
खुब करें श्रंगार,
है खुब करें श्रंगार,
म्हारा भेरूजी सरकार,
आवो आवो रे भेरूजी,
थोरी घणी करा मनुहार।4।
थाने भगत बुलावे,
दिलबर नितिन बुलावे,
थाने भरत जी बुलावे,
दिलबर नितिन बुलावे,
थारी जगमग ज्योत जगावे रे,
म्हारी अर्ज सुनो एकबार,
आवो आवो रे भेरूजी,
थोरी घणी करा मनुहार।5।
जय जय भेरव देव,
जय जय भेरव देव,
आओ आओ रे भेरूजी,
थोरी घणी करा मनुहार,
घणी करा मनुहार,
म्हारा भेरू जी सरकार,
घणी करा मनुहार,
म्हारा नाकोड़ा सरकार,
आवो आवो रे भेरू जी,
थोरी घणी करा मनुहार।6।
जैन जी के भजन हमें नाकोड़ा भैरव जी की भक्ति में डूबने की प्रेरणा देते हैं। आओ आओ रे भेरूजी, थोरी घणी करा मनुहार भजन भी हमें यह अनुभव कराता है कि सच्चे प्रेम और श्रद्धा से किया गया आह्वान कभी व्यर्थ नहीं जाता। यदि यह भजन आपके मन में भक्ति भाव जागृत करे, तो “नाकोड़ा भैरव जी की अपार कृपा , जय हो भैरव बाबा की , भक्तों के संकट हरने वाले भैरव” और “नाकोड़ा जी का चमत्कारी दरबार” जैसे अन्य भजन भी पढ़ें और नाकोड़ा भैरव जी की भक्ति में रम जाएं। 🙏

मैं धर्म पाल जैन, जैन धर्म का एक निष्ठावान अनुयायी और भगवान महावीर की शिक्षाओं का प्रचारक हूँ। मेरा लक्ष्य है कि लोग भगवान महावीर के संदेशों को अपनाकर अपने जीवन में शांति, संयम और करुणा का संचार करें और अपने जीवन को सदाचार और आध्यात्मिक शांति से समृद्ध कर सके। मैं अपने लेखों के माध्यम से भगवान महावीर के उपदेश, भक्तामर स्तोत्र, जैन धर्म के सिद्धांत और धार्मिक अनुष्ठान को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर जैन अनुयायी इनका लाभ उठा सके।View Profile ॐ ह्रीं अर्हं नमः