प्रभु मुझको मेरा वो बचपन लौटा दो

बचपन का समय हर किसी के लिए निष्कपट प्रेम, निर्मल आनंद और निश्छल भक्ति का प्रतीक होता है। जब मन संसार के बंधनों से मुक्त होता है और केवल प्रभु की भक्ति में डूबा रहता है। प्रभु मुझको मेरा वो बचपन लौटा दो भजन भी इसी भावना को प्रकट करता है, जहाँ भक्त अपने आराध्य श्रीकृष्ण से प्रार्थना करता है कि उसे फिर से वही निर्मल प्रेम और निश्चल भक्ति का जीवन प्राप्त हो। जब हम इस भजन को पढ़ते हैं, तो यह हमें हमारे बचपन के उस दिव्य भाव की याद दिलाता है, जब हम बिना किसी स्वार्थ के भगवान से प्रेम करते थे।

Prabhu Mujhko Mera Wo Bachpan Lauta Do

प्रभु मुझको मेरा,
वो बचपन लौटा दो,
ना छल ना कपट हो,
मेरी जिंदगी में,
प्रभु फिर से निर्मल,
मेरा मन बना दो,
प्रभु मुझ को मेरा,
वो बचपन लौटा दो।।1।।

नैना निश्छल मेरे,
मन में हो भोलापन,
तोतली हो जुबां,
गाऊं जब भी भजन,
वही मीठी बातों से,
तुझको रिझाऊं,
मेरे लाड में तुम भी,
सब कुछ लुटा दो,
प्रभु मुझ को मेरा,
वो बचपन लौटा दो।।2।

सोचता हूँ प्रभु,
क्यों बड़ा हो गया,
क्या मिला है मुझे,
क्या मेरा खो गया,
अगर अब गिरूँ जो,
उठाता ना कोई,
वो गिर गिर के उठना,
संभलना सिखा दो,
प्रभु मुझ को मेरा,
वो बचपन लौटा दो।।3।

सबने चाहा यही,
की मैं लायक बनूं,
बोझ परिवार का,
कांधो पर मैं धरूँ,
बस एक तुमने चाहा के,
बालक रहूं मैं,
ये मुरझाए पंकज को,
फिर से खिला दो,
प्रभु मुझ को मेरा,
वो बचपन लौटा दो।।4।

प्रभु मुझको मेरा,
वो बचपन लौटा दो,
ना छल ना कपट हो,
मेरी जिंदगी में,
प्रभु फिर से निर्मल,
मेरा मन बना दो,
प्रभु मुझ को मेरा,
वो बचपन लौटा दो।।5।

श्रीकृष्ण की भक्ति में वही आनंद है, जो एक नन्हा बालक अपनी माँ की गोद में पाकर अनुभव करता है। जब हम उनकी भक्ति में डूब जाते हैं, तो मन पुनः उसी निश्छल प्रेम से भर जाता है। इसी भावना को दर्शाने वाले कान्हा तेरी बंसी पागल कर जाती है, श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम, राधे-राधे जपो चले आएंगे बिहारी, बाल गोपाल मेरी नैया के खिवैया जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन होकर अपने हृदय को शुद्ध और आनंदमय बनाएं। जय श्रीकृष्ण! 🙏💛

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