मालिक हो तुम मेरे भूलूं ना आभार तेरा

मालिक हो तुम मेरे, भूलूं ना आभार तेरा —यह भजन कृतज्ञता और समर्पण का प्रतीक है। जब भक्त को यह अहसास होता है कि उसके जीवन का हर सुख-दुख, हर उपलब्धि और हर सांस श्याम की कृपा से ही संभव है, तब उसके हृदय से केवल आभार के भाव उमड़ते हैं। यह भजन हमें अपने आराध्य के प्रति निष्ठा और धन्यवाद प्रकट करने की प्रेरणा देता है। आइए, इस भजन के माध्यम से हम भी श्यामसुंदर के चरणों में अपनी भक्ति अर्पित करें।

Malik Ho Tum Mere Bhulu Na Aabhar Tera

मालिक हो तुम मेरे,
भूलूं ना आभार तेरा,
तुमसे ही जीवन है,
तुम ही आधार मेरा।1।

मेरे शीश के दानी की,
हर बात निराली है,
हारे को जिताने की,
ये रीत पुरानी है,
जहां ज्योत जगे इनकी,
वहां श्याम बसे मेरा,
मालिक हों तुम मेरें,
भूलूं ना आभार तेरा।2।

तुझसे उम्मीद मुझे,
तेरा ही सहारा है,
बिन तेरे जीवन में,
कोई ना हमारा है,
स्वारथ की दुनिया में,
तू हीं सच्चा यार मेरा,
मालिक हों तुम मेरें,
भूलूं ना आभार तेरा।3।

खाटू ना बुलाते तो,
मैं निराश ही रह जाता,
सेवा में ना लेते गर,
ना पहचान बना पाता,
इस “अमन” को अपनाकर,
तूने सिर पर हाथ फेरा,
मालिक हों तुम मेरें,
भूलूं ना आभार तेरा।4।

मालिक हो तुम मेरे,
भूलूं ना आभार तेरा,
तुमसे ही जीवन है,
तुम ही आधार मेरा।5।

श्याम की कृपा अनंत है, और उनका आभार जितना भी प्रकट करें, वह कम ही लगता है। यह भजन हमें हमेशा कृतज्ञ रहने और श्याम भक्ति में लीन रहने की सीख देता है। यदि यह भजन आपके हृदय को छू गया, तो “क्यों हम तेरे दीवाने हुए, आजा कब से पुकारूं तेरा नाम रे, और “श्याम तेरा दीवाना” जैसे भजनों को भी अवश्य पढ़ें और श्याम नाम की भक्ति में खो जाएं। जय श्री श्याम! 🙏💙

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