तन में मन में रोम रोम में रहते है श्री राम जी भजन लिरिक्स

तन में मन में रोम रोम में रहते हैं श्री राम जी भजन भगवान श्रीराम की पवित्रता और उनकी दिव्य उपस्थिति को दर्शाता है। इस भजन में भक्त यह स्वीकारते हैं कि श्रीराम उनके तन, मन और आत्मा में समाए हुए हैं। उनका नाम, उनके गुण, और उनकी भक्ति हमारे जीवन के हर पहलू में बसे होते हैं। जब हम अपने ह्रदय में श्रीराम को महसूस करते हैं, तो जीवन की हर कठिनाई आसान हो जाती है।

Tan Me Man Me Rom Rom Me Rahate Hai


दोहा –
पवन तनय संकट हरण
मंगल मूरत रूप,
राम लखन सीता सहित
ह्रदय बसहुँ सुर भूप।

तन में मन में रोम रोम में,
रहते है श्री राम जी, राम जी
वाह रे वाह हनुमान जी,
वाह रे वाह हनुमान जी।।

श्री रघुवीर के नाम आगे,
त्याग दिए हीरे मोती
त्याग दिए हीरे मोती,
मेरे मन सिया राम बसे है
चीर के दिखला दी छाती,
चीर के दिखला दी छाती
और बोले श्री राम जी, राम जी,
वाह रे वाह हनुमान जी,
वाह रे वाह हनुमान जी।।

रहें हमेशा ब्रह्मचारी और,
सिया राम की भक्ति करें
सिया राम की भक्ति करें,
करें सहायता दिन दुखी की
अभिमानी का मान हरे,
अभिमानी का मान हरे
और हम बोले श्री राम जी, राम जी,
वाह रे वाह हनुमान जी,
वाह रे वाह हनुमान जी।।

यह अनुरोध है रघुवर तुमसे,
आपके दर्शन हो जाए
आपके दर्शन हो जाए,
पर निंदा को त्याग दे दिल से
सिया राम कुल बस जाए,
सिया राम कुल बस जाए
और बोले श्री राम जी, राम जी,
वाह रे वाह हनुमान जी
वाह रे वाह हनुमान जी।।

तन में मन में रोम रोम में,
रहते है श्री राम जी, राम जी
वाह रे वाह हनुमान जी,
वाह रे वाह हनुमान जी।।

यह भजन हमें यह सिखाता है कि भगवान श्रीराम के प्रति श्रद्धा और भक्ति से हम अपने जीवन को एक दिव्य मार्ग पर ले जा सकते हैं। जब राम हमारे तन, मन और रोम-रोम में निवास करते हैं, तो हम हमेशा उनकी कृपा और आशीर्वाद से भरे रहते हैं। जीवन की प्रत्येक समस्या और दुख से उबरने के लिए हमें केवल श्रीराम के नाम का स्मरण करना चाहिए, क्योंकि उनके आशीर्वाद से हम सच्ची शांति और सुख पा सकते हैं।

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