धन्य हुई सांवेर की धरती जहाँ लगे दरबार तुम्हारा लिरिक्स

धन्य हुई सांवेर की धरती जहाँ लगे दरबार तुम्हारा भजन भक्तों की अपार श्रद्धा और आस्था को दर्शाता है। यह भजन उस पावन भूमि की महिमा का गुणगान करता है, जहाँ भगवान हनुमानजी का दिव्य दरबार सजता है। सांवेर की यह धरती अपने आप में धन्य है, जहाँ भक्तों के कष्ट हरने वाले वीर हनुमानजी स्वयं विराजते हैं और अपने दर्शन मात्र से सबका कल्याण करते हैं।

Dhanya Huyi Sanvare Ki Dharati Jaha Lage Darbar Tumhara Lyrics

उल्टे है हनुमान जहाँ,
चोला सिंदूरी धारा,
धन्य हुई सांवेर की धरती,
जहाँ लगे दरबार तुम्हारा।1।

त्रेता मे लाँगूर यहीं,
पाताल विजय कर आया,
इस कलयुग में भी हम सब पर,
है इनका ही साया,
इनकी दया दृष्टि में आया,
ये सांवेर हमारा,
सबका रक्षक सबका सहारा,
बन गया राम दुलारा,
धन्य हुई साँवेर की धरती,
जहाँ लगे दरबार तुम्हारा।2।

इनकी भक्ति के सच्चे,
अदभुत ये रंग रहेंगे,
कलयुग मिट जायेगा पर,
मेरे बजरंग रहेंगे,
सेवक बलशाली इन जैसा,
होगा अब ना दोबारा,
मुझको अपनी सेवा देके,
मेरा जन्म सुधारा,
धन्य हुई साँवेर की धरती,
जहाँ लगे दरबार तुम्हारा।3।

रामायण इतिहास तुमने,
जग में अमर कर डाला,
जय उल्टे हनुमान महाप्रभु,
जय हो बजरंग बाला,
चंदा सूरज से ज्यादा,
तेरे नाम का है उजियारा,
दुनिया तरसे तेरे लिए,
‘संजय’ तरसे तेरे लिए,
हमें होता दर्श तुम्हारा,
धन्य हुई साँवेर की धरती,
जहाँ लगे दरबार तुम्हारा।4।

उल्टे है हनुमान जहाँ,
चोला सिंदूरी धारा,
धन्य हुई सांवेर की धरती,
जहाँ लगे दरबार तुम्हारा।5।

भजन “धन्य हुई सांवेर की धरती” हमें यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति और समर्पण से भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है। आइए, प्रेम और श्रद्धा के साथ हनुमानजी का स्मरण करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को मंगलमय बनाएं। जय बजरंगबली! 🚩🙏

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