म्हाने बालाजी री भोत मन में आवे म्हारा साथीड़ा

म्हाने बालाजी री भोत मन में आवे, म्हारा साथीड़ा भजन बालाजी हनुमान जी के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है। यह भजन भक्तों की उस भावना को अभिव्यक्त करता है जब वे अपने आराध्य के प्रति अगाध भक्ति रखते हैं और उनके दर्शन की लालसा मन में उमड़ती रहती है। बालाजी महाराज की महिमा अपरंपार है, और जब भक्त सच्चे मन से उन्हें पुकारते हैं, तो वे उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।

Mhane Balaji Ri Bhot Man Me Aave Mhara Sathida

म्हाने बालाजी री भोत मन में,
आवे म्हारा साथीड़ा
आवे म्हारा साथीड़ा,
म्हाने सालासर ले चालो जी
ले चालो म्हानै,
सालासर ले चालो जी।।

लाडू भी खाया म्हे तो,
पेड़ा भी खाया
म्हारे चूरमा री भोत मन में,
आवे म्हारा साथीड़ा
आवे म्हारा साथीड़ा,
म्हाने सालासर ले चालो जी
ले चालो म्हानै,
सालासर ले चालो जी।।

चंग भी बाजे और,
मंजीरा भी बाजे
म्हारे नाचवा री भोत मन में,
आवे म्हारा साथीड़ा
आवे म्हारा साथीड़ा,
म्हाने सालासर ले चालो जी
ले चालो म्हानै,
सालासर ले चालो जी।।

रात ने सोउ तो म्हाने,
नींद कोणी आवे
म्हारो मंदरिये में जिव,
उड़ उड़ जावे महारा साथीड़ा
जावे म्हारा साथीड़ा,
म्हाने सालासर ले चालो जी
ले चालो म्हानै,
सालासर ले चालो जी।।

म्हाने बालाजी री भोत मन में,
आवे म्हारा साथीड़ा
आवे म्हारा साथीड़ा,
म्हाने सालासर ले चालो जी
ले चालो म्हानै,
सालासर ले चालो जी।।

बालाजी हनुमान जी केवल संकट हरण करने वाले ही नहीं, बल्कि भक्तों के सच्चे साथी भी हैं। जब भी भक्त अपने जीवन में किसी भी कठिनाई का सामना करते हैं, तो बालाजी उनकी रक्षा करते हैं और उन्हें सही मार्ग दिखाते हैं। यह भजन हमें यह एहसास कराता है कि सच्ची श्रद्धा और समर्पण से की गई प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं जाती, और बालाजी अपने हर भक्त को प्रेमपूर्वक स्वीकार करते हैं। जब मन में भक्ति की लौ प्रज्वलित होती है, तो हनुमान जी के चरणों में आत्मसमर्पण करने का सुख अनमोल होता है।

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