हनुमत से बोली यूँ माता भजन लिरिक्स

हनुमान जी की भक्ति और साहस के बारे में जितना कहा जाए, उतना कम है। वे न केवल भगवान राम के परम भक्त हैं, बल्कि उनकी शक्ति और भक्ति की प्रेरणा हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए मजबूर करती है। इस भजन में, माता अंजनी अपने पुत्र हनुमान से संवाद करती हैं, और उनके साहस और भक्ति के बारे में विशेष बातें कहती हैं।

Hanumat Se Boli Yu Mata, Kyo Mukh Mujhe Dikhata

हनुमत से बोली यूँ माता,
क्यों मुख मुझे दिखाया है
तू वो मेरा लाल नहीं,
जिसे मैंने दूध पिलाया है।।

मैंने ऐसा दूध पिलाया,
तुझको क्या बतलाऊ मैं
पर्वत के टुकड़े हो जाये,
धार अगर जो मारू मै
मेरी कोख से जन्म लिया,
और मेरा दूध लजाया है
तू वो मेरा लाल नहीं,
जिसे मैंने दूध पिलाया है।।

भेजा था श्री राम के संग में,
करना उनकी रखवाली
लक्ष्मण शक्ति खा के पड़ा था,
रावण ने सीता हर ली
माँ का सीस कभी न उठेगा,
ऐसा दाग लगाया है
तू वो मेरा लाल नहीं,
जिसे मैंने दूध पिलाया है।।

छोटी सी एक लंका जलाके,
अपने मन में गरवाया
रावण को जिन्दा छोड़ और,
सीता साथ नहीं लाया
कभी न मुखको मुख दिखलाना,
माँ ने हुक्म सुनाया है
तू वो मेरा लाल नहीं,
जिसे मैंने दूध पिलाया है।।

हाथ जोड़कर बोले हनुमत,
इसमें दोष नहीं मेरा
श्री राम का हुक्म नहीं था,
माँ विश्वास करो मेरा
मैंने वो ही किया है जो,
श्री राम ने बतलाया है
तू वो मेरा लाल नहीं,
जिसे मैंने दूध पिलाया है।।

अंजनी माँ का क्रोध देखकर,
प्रकटे है मेरे श्री राम
धन्य धन्य है माता तुमको,
बोले है मेरे भगवान
दोष नहीं हनुमत का इसमें,
ये सब मेरी माया है,
ये सब मेरी माया है।।

हनुमत से बोली यूँ माता,
क्यों मुख मुझे दिखाया है
तू वो मेरा लाल नहीं,
जिसे मैंने दूध पिलाया है।।

“इस भजन के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि सही मार्ग पर चलते हुए, भक्ति और समर्पण से हम अपने जीवन के हर संकट से उबर सकते हैं। हनुमान जी की तरह हमें भी अपनी निष्ठा और भक्ति को बनाए रखना चाहिए, ताकि हम जीवन के हर पहलू में सफल हो सकें। माता अंजनी के इस आशीर्वाद भरे संदेश को हमारे दिलों में संजोकर हम अपनी मंजिल की ओर बढ़ें और हर संकट का सामना साहस से करें।

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