झालर शंख नगाड़ा बाजे ओ राजस्थानी भजन लिरिक्स

झालर शंख नगाड़ा बाजे ओ राजस्थानी भजन राजस्थान की संस्कृति, संगीत, और भक्ति की सुंदरता को व्यक्त करता है। इस भजन में राजस्थान की पारंपरिक ध्वनियाँ – शंख, नगाड़ा और झालर – बजने का चित्रण किया गया है, जो धार्मिक उत्सवों और आस्था के प्रतीक हैं। यह भजन राजस्थान की धार्मिक धरोहर और हनुमान जी की पूजा के प्रति भक्तों की गहरी श्रद्धा को दर्शाता है।

Jhalar Shank Nagada Baje Vo Rajsthani

झालर शंख नगाड़ा बाजे ओ…
सालासर रे मंदिर में,
हनुमान बिराजे रे…
हनुमान बिराजे ओ,
सदा बजरंग बिराजे ओ।।

भारत राजस्थान में,
सालासर एक गाँव…
सूरज सामे बनियो देवरो,
बालाजी रो धाम…
ज्यारे लाल धजा लहरावे रे,
सालासर रा मंदिर में,
हनुमान बिराजे रे।।

नारेला री गिनती कोणी,
सुमिरण छत्र अपार…
दूर देशा जात्री बाला,
आवे नर नार…
बाबो बेड़ा पार लगावे रे,
सालासर रा मंदिर में,
हनुमान बिराजे रे।।

चेत सुदी पूनम रो मेलो,
भीड़ लगे अति भारी…
नर नारी थारा दर्शन करवा,
आवे बारी बारी…
बाबो अटकीय कारज सारे रे,
सालासर रा मंदिर में,
हनुमान बिराजे रे।।

रामदूत अंजनी के लाला,
धरो हमेशा ध्यान…
सेन सिंह शरणा रो साकर,
दो भक्ति वरदान…
थारे हाथ जोडोला लागे रे,
सालासर रा मंदिर में,
हनुमान बिराजे रे।।

झालर शंख नगाड़ा बाजे ओ…
सालासर रे मंदिर में,
हनुमान बिराजे रे…
हनुमान बिराजे ओ,
सदा बजरंग बिराजे ओ।।

राजस्थानी संस्कृति की यह भक्ति रचनाएँ जीवन में आनंद और शांति लाती हैं। जब हम इस तरह के भजनों में अपनी आस्था और भक्ति का प्रदर्शन करते हैं, तो वह हमारी आत्मा को ऊँचा उठाता है और हमें सच्ची खुशी का अनुभव होता है। शंख और नगाड़े की ध्वनि में छिपा धार्मिक ऊर्जा हमारे जीवन को सकारात्मक दिशा देती है। यह भजन राजस्थान की भूमि की महानता और यहाँ के भव्य धार्मिक उत्सवों का प्रतीक है। हर बजने वाली ध्वनि हमें यह याद दिलाती है कि भगवान का आशीर्वाद हमारे साथ हमेशा बना रहता है। जय श्रीराम! जय बजरंगबली!

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