घुंघरू बाजे रे बजरंग नाचे रे भजन लिरिक्स

घुंघरू बाजे रे, बजरंग नाचे रे भजन हनुमान जी की भक्ति और उनके आनंदमय नृत्य का गुणगान करता है। जब भक्त प्रेमपूर्वक उनका गुणगान करते हैं, तो बजरंगबली स्वयं उनके बीच आकर आनंद में झूम उठते हैं। यह भजन हनुमान जी की असीम ऊर्जा, उत्साह और भक्तों के प्रति उनकी कृपा का प्रतीक है। जब उनके नाम का संकीर्तन होता है, तब संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो जाता है और भक्तों का मन भी भक्ति रस में डूब जाता है।

Ghungharu Baje Re Bajrang Nache Re

घुंघरू बाजे रे बजरंग नाचे रे,
सियाराम की धुन में ये गाये
घुँघरू बाजे रे बजरंग नाचे रे,
घुँघरू बाजे रे बजरंग नाचे रे।।

बजरंग बाला हुआ मतवाला,
दीवाना श्री राम का
हाथो में खड़ताल बजाये,
राम नाम गुण गाये
छम छम नाचे रे,
छम छम नाचे रे
सियाराम निरख के मुस्काये,
घुँघरू बाजे रे बजरंग नाचे रे,
घुँघरू बाजे रे बजरंग नाचे रे।।

ऐसी मस्ती बलि पर छाई,
भुलाई सुध आप की
सीने में सियाराम बिराजे,
झूम झूम कर नाचे
सुध बिसराई जी,
सुध बिसराई जी
सियाराम का मनवा हर्षाये,
घुँघरू बाजे रे बजरंग नाचे रे
घुँघरू बाजे रे बजरंग नाचे रे।।

तेरे जैसा नहीं कोई दूजा,
भगत श्री राम का
राम नाम का ओढ़ दुशाला,
थिरके बजरंग बाला
प्यारा लागे रे,
सोणा लागे रे
‘हर्ष’ रामसिया के मन भाये,
घुँघरू बाजे रे बजरंग नाचे रे
घुँघरू बाजे रे बजरंग नाचे रे।।

घुंघरू बाजे रे बजरंग नाचे रे,
सियाराम की धुन में ये गाये
घुँघरू बाजे रे बजरंग नाचे रे,
घुँघरू बाजे रे बजरंग नाचे रे।।

हनुमान जी केवल शक्ति और पराक्रम के देवता नहीं हैं, बल्कि वे भक्ति और प्रेम के प्रतीक भी हैं। जब भक्त उन्हें सच्चे मन से पुकारते हैं, तो वे अपने भक्तों की सुध लेने अवश्य आते हैं। “घुंघरू बाजे रे, बजरंग नाचे रे” भजन हमें इस दिव्य अनुभूति से परिचित कराता है कि जब हम पूर्ण श्रद्धा से उनकी स्तुति करते हैं, तो वे हमारे जीवन के हर दुःख को हर लेते हैं और हमें आनंद और शांति प्रदान करते हैं।

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