जबसे देखी ये प्यारी सी मूरत जैन भजन लिरिक्स

भक्ति का सच्चा आनंद तब मिलता है जब हम अपने आराध्य की मनमोहक छवि को निहारते हैं और उनकी महिमा का गुणगान करते हैं। जबसे देखी ये प्यारी सी मूरत भजन इसी दिव्य अनुभूति को दर्शाता है। जब भक्त पहली बार अपने आराध्य की अनुपम छवि के दर्शन करता है, तो उसका हृदय आनंद से भर जाता है और उसकी आत्मा परम शांति का अनुभव करती है। आइए, इस भजन के माध्यम से हम भी अपने आराध्य की दिव्य छवि का स्मरण करें और उनकी कृपा का अनुभव करें।

Jabse Dekhi Ye Pyari Si Murat

जबसे देखी,
ये प्यारी सी मूरत,
है बड़ी खूबसूरत,
माँ मरूदेवा के लाल की,
मेरे ऋषभ जिणन्द दयाल की,
हो मनोहारी,
ये लागे बड़ी प्यारी,
मैं जाँऊ बलिहारी,
ये मूरत है कमाल की,
मेरे ऋषभ जिणन्द दयाल की।1।

सूरज की किरणें आकर के जिनके,
मुख पे करती उजियारा,
चमक रहा दिव्य तेज ललाट पे,
नैनो से बहे अमिरस धारा,
शीश मुकुट है,
कानो में कुंडल,
गल मोतियन की माला,
डायमंड वाली,
ये अंगिया निराली,
नजर जिसने डाली,
वो हो गया निहाल जी,
मेरे ऋषभ जिणन्द दयाल की।2।

देख तुम्हारा श्रंगार हो दादा,
भक्तो का मन हर्षाये,
जी करता है दर्शन करके,
हम तुझमे ही खो जाये,
दर पे तुम्हारे,
आकर दादा,
फिर वापस न जाये,
‘दिलबर’ ‘दिनेश’,
की यही है तमन्ना,
तेरे चरणों में रहना,
ये अर्जी है तेरे लाल की,
दादा रखना मेरा भी ख्याल जी।3।

जबसे देखी,
ये प्यारी सी मूरत,
है बड़ी खूबसूरत,
माँ मरूदेवा के लाल की,
मेरे ऋषभ जिणन्द दयाल की,
हो मनोहारी,
ये लागे बड़ी प्यारी,
मैं जाँऊ बलिहारी,
ये मूरत है कमाल की,
मेरे ऋषभ जिणन्द दयाल की।4।

जैन जी के भजन हमें भक्ति, श्रद्धा और आत्मिक आनंद का अनुभव कराते हैं। जबसे देखी ये प्यारी सी मूरत भजन हमें यह सिखाता है कि जब हम सच्चे हृदय से अपने आराध्य के दर्शन करते हैं, तो वे हमें अपनी कृपा से भर देते हैं। यदि यह भजन आपके हृदय में भक्ति भाव उत्पन्न करे, तो “मेरे हृदय का बाग खिला, नाकोड़ा दरबार मिला , नगरी नाकोड़ा री प्यारी, दर्शन आवे दुनिया सारी , भेरूजी म्हाने थारो है, थारो दादा एक आसरो थारो” और “तेरी कृपा का कोई छोर नहीं, पार्श्व भैरव भजन” जैसे अन्य भजन भी पढ़ें और भक्ति की इस अद्भुत अनुभूति में डूब जाएँ। 🙏

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