पर्वराज पर्युषण प्यारे हमें जगाने आये है

धर्म और आत्मशुद्धि के महान पर्व पर्युषण का आगमन हमारे जीवन में नई ऊर्जा और जागृति लाता है। पर्वराज पर्युषण प्यारे हमें जगाने आए हैं भजन हमें यह स्मरण कराता है कि यह पर्व आत्मचिंतन, संयम और क्षमा का प्रतीक है। जब हम अपनी आत्मा को निर्मल करने के लिए तप, स्वाध्याय और प्रार्थना में लीन होते हैं, तब हमें सच्चे धर्म का बोध होता है। आइए, इस भजन के माध्यम से हम पर्युषण पर्व की महिमा को हृदय से स्वीकार करें और इसे जीवन में आत्मसात करें।

Parvaraj Paryushan Pyare Jagane Aaye Hai

पर्वराज पर्युषण प्यारे,
हमें जगाने आये है,
आत्म शांति का मधुर संदेशा,
हमें सुनाने आये है।1।

मोह माया से इस जीवन में,
फैला घोर अंधेरा है,
क्रोध मान छल राग द्वेष ने,
यहां लगाया डेरा है,
कर्म बंध की जंजीरो से,
हमें छुड़ाने आये है,
आत्म शांति का मधुर संदेशा,
हमें सुनाने आये है।2।

पर्युषण का सार यही है,
निज आत्म उद्धार करे,
संयम के पंथ को अपनाये,
धर्म ध्यान उपकार करे,
परहित अर्पण सर्वस्व करे,
यही बताने आये है,
आत्म शांति का मधुर संदेशा,
हमें सुनाने आये है।3।

यही पर्व उद्धार करेगा,
नवजीवन संचार करेगा,
जो जन इसको प्यार करेगा,
उसके सब संताप हरेगा,
पर्व आराधना जप तप करके,
ज्ञान का दीप जलाये है,
आत्म शांति का मधुर संदेशा,
हमें सुनाने आये है।4।

पर्वराज पर्युषण प्यारे,
हमें जगाने आये है,
आत्म शांति का मधुर संदेशा,
हमें सुनाने आये है।5।

जैन जी के भजन हमें धर्म और आत्मिक उत्थान का संदेश देते हैं। पर्वराज पर्युषण प्यारे हमें जगाने आए हैं भजन भी हमें आत्मविश्लेषण और संयम के महत्व को समझाता है। यदि यह भजन आपके हृदय में धर्म की अलख जगाए, तो “पर्व पर्युषण आया है, घर-घर में खुशियां लाया है , संवत्सरी का शुभ दिन है ये, आओ कर लें क्षमापना , पर्व पर्युषण द्वार पे आए, अंतर मन से वधाओं रे” और “संयम का ये पथ भैया, आतम का ठिकाना है” जैसे अन्य भजन भी पढ़ें और पर्युषण पर्व के शुभ अवसर का लाभ उठाएं। 🙏

Leave a comment