भक्ति का सबसे सुंदर रूप तब प्रकट होता है जब भक्त और आराध्य के बीच प्रेम का अटूट बंधन बन जाता है। थासू बांधी प्रीत की डोरी, नाकोड़ा भेरूजी भजन इसी प्रेम और आस्था को अभिव्यक्त करता है। जब भक्त नाकोड़ा भैरव जी की शरण में आता है, तो उसकी आत्मा एक अविचल विश्वास और श्रद्धा से भर जाती है। आइए, इस भजन के माध्यम से नाकोड़ा भेरूजी की अपार महिमा का गुणगान करें और उनकी भक्ति में लीन हों।
Dhasu Bandhi Preet Ki Dori Nakoda Bheruji Bhajan
थासु बांधी प्रीत ओ बाबा,
अब यूँ ना बिसराओ जी,
एक अरज है थासु बाबा,
हिवड़े से लगाओ जी,
नाकोड़ा रा भेरूजी,
थे पलका में बस जाओ जी,
दर्श बिना अब चेन न आवे,
अब तो दर्श दिखावो जी,
अब तो दर्श दिखावो जी।
थासू बांधी प्रीत की डोरी,
ज्यू चंदा के संग चकोरी राज,
दिलड़ा में थाने बसाऊगी हो,
भेरूजी भक्ति में थारी रम जाऊँगी।1।
प्यारी प्यारी सूरत थारी,
नैना माही डोले जी,
मन रो मोरिया हिवड़ा माही,
पल पल यु बोले जी,
ओलुड़ी आवे घणी म्हाने,
बेगा सा पधारो जी,
था बिण म्हारो कोई नही,
म्हाने एक आसरो थारो जी,
एक आसरो थारो जी।
आँगण चंदन चौक पुराऊँ,
मैं तो कुम कुम कलश सजाऊँ,
राज पलका ने राहों में बिछाऊंगी हो,
भेरुजी थारी सेवा में लग जाऊँगी।2।
मन री बाता थे सब जाणों,
थाने के बतावाँ जी,
म्हारे दिल री थे ना सुनो तो,
और किने में सुनावाँ जी,
एक बार म्हाने दर्शन देवो,
नीता सु नेह लगावो जी,
भक्तो ने थे देव भेरूजी,
चरणों माही बिठावो जी,
सगळा कष्ट मिटावो जी।
‘दिलबर’ निरख निरख हरखावां,
थाने हिवड़ा माही बिठावां राज,
चरणों मे उमर बिताऊगी हो,
भेरूजी थासू दूर कदी न जाऊँगी।3।
थासू बांधी प्रीत की डोरी,
ज्यू चंदा के संग चकोरी राज,
दिलड़ा में थाने बसाऊगी हो,
भेरूजी भक्ति में थारी रम जाऊँगी।4।
जैन जी के भजन न केवल भक्ति की गहराइयों को प्रकट करते हैं, बल्कि हमें नाकोड़ा भैरव जी की असीम कृपा से भी परिचित कराते हैं। थासू बांधी प्रीत की डोरी, नाकोड़ा भेरूजी भजन भी यही दर्शाता है कि जब हम भक्ति की डोर से भेरूजी से जुड़ जाते हैं, तो वे हमें कभी भी अकेला नहीं छोड़ते। यदि यह भजन आपके हृदय में श्रद्धा का संचार करे, तो “भैरव करो मेहर की नजरिया , हर पूनम को दादा, मैं नाकोड़ा आऊँगा , भेरूजी म्हाने थारो है, थारो दादा एक आसरो थारो” और “नगरी नाकोड़ा री प्यारी, दर्शन आवे दुनिया सारी” जैसे अन्य भजन भी पढ़ें और नाकोड़ा भैरव जी की भक्ति में रम जाएं। 🙏

मैं धर्म पाल जैन, जैन धर्म का एक निष्ठावान अनुयायी और भगवान महावीर की शिक्षाओं का प्रचारक हूँ। मेरा लक्ष्य है कि लोग भगवान महावीर के संदेशों को अपनाकर अपने जीवन में शांति, संयम और करुणा का संचार करें और अपने जीवन को सदाचार और आध्यात्मिक शांति से समृद्ध कर सके। मैं अपने लेखों के माध्यम से भगवान महावीर के उपदेश, भक्तामर स्तोत्र, जैन धर्म के सिद्धांत और धार्मिक अनुष्ठान को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर जैन अनुयायी इनका लाभ उठा सके।View Profile ॐ ह्रीं अर्हं नमः