थे तो जाम्भा जी म्हारे | Ye To Jambhaa Ji Mhare

थे तो जाम्भा जी म्हारे भजन राजस्थान की लोक भक्ति परंपरा का एक अद्भुत उदाहरण है। इसमें जाम्भा जी, जो एक लोकप्रिय लोक देवता हैं, के प्रति भक्तों की श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त किया जाता है। यह भजन भक्तों को भगवान के प्रति विश्वास और समर्पण की ओर प्रेरित करता है, खासकर जब जीवन में कठिनाइयाँ आ रही होती हैं। भजन में भगवान के साथ गहरी जुड़ाव और उनकी कृपा से हर संकट का निवारण होता है। यह हमें यह याद दिलाता है कि चाहे जो भी स्थिति हो, भगवान के चरणों में शरण लेने से हमारा जीवन संजीवित और समृद्ध हो जाता है।

Ye To Jambhaa Ji Mhare

थे तो जाम्भा जी म्हारे,घणा मन भावणा,
भक्त बुलावे थाने,आया सरसी ,
थे तो गुरू जी म्हारे,हिवङे रा चानणा
दर्शन री प्यास बुझाया सरसी

था बिन फीको है इण, जग माही जीवणो
दर्शन आस पुराया सरसी थे तो

था बिन सूनी लागे,समराथल री झाङियाँ
ग्वाला ने दरश दिखाया सरसी थे तो

था बिना सूनो-सूनो,लागे म्हाने आँगणियो
आकर जोत जगाया सरसी थे तो

पींपासर री झाङीयां मे,गाउवां चराई
पाणी सू दिवलो जगाया सरसी थे तो

सदानन्द री गुरू जी सुणियो बीणती
भव हूं पार लगाया सरसी थे तो

थे तो जाम्भा जी म्हारे भजन भगवान जाम्भा जी की दिव्य महिमा और उनके भक्तों के प्रति अनंत प्रेम को उजागर करता है। यह भजन हमें यह सिखाता है कि भगवान की कृपा से जीवन के सभी संकट समाप्त हो सकते हैं। जब हम सच्चे दिल से भगवान की भक्ति करते हैं, तब हमारे जीवन में खुशियाँ और समृद्धि का वास होता है। इस भक्ति रस को और गहराई से अनुभव करने के लिए आप श्री हरि की महिमा अपार, गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, नारायण, नारायण जय गोविंद हरे और संकट हरन श्री विष्णु जी जैसे अन्य भजनों का भी पाठ करें और भगवान श्री कृष्ण की कृपा का अनुभव करें। 🙏💛

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