नर रे नारायण री देह बनाई

भगवान विष्णु ने सृष्टि की रचना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने मनुष्य को एक सुंदर देह प्रदान की, जिससे वह धर्म, भक्ति और सत्कर्मों के मार्ग पर चल सके। लेकिन यह देह केवल भोग-विलास के लिए नहीं, बल्कि नारायण की भक्ति करने के लिए मिली है। नर रे नारायण री देह बनाई भजन हमें यह स्मरण कराता है कि हमें अपने जीवन का सदुपयोग करते हुए भगवान विष्णु की शरण में जाना चाहिए। आइए, इस भजन के माध्यम से प्रभु की महिमा का गुणगान करें।

Nar Re Narayan Ki Deh Banayi

( नुगरा मनक तो मिलो मति,
पापी मिलो हजार,
एक नुगरा रे सर पर,
लख पापियो रो भार॥ )

नर रे नारायण री देह बनाई,
नुगरा कोई मत रेवना,
नुगरा मनक तो पशु बराबर,
उनका संग नही करना,
राम भजन में हाल मेरा हंसा,
इन जग में जीवना थोड़ा रे…..

काया नगर में मेलो भरीजे,
नुगरा सुगरा सब आवे,
हरिजन हिरला बमना,
कमाया मुर्ख मोल गमाया,
राम भजन में हाल मेरा हंसा,
इन जग में जीवना थोड़ा रे……

अडारे वरन री गायों दुरावो,
एक वर्तन में लेवना जी,
मथे मथे नी मोखन लेना,
वर्तन उजला रखना जी,
राम भजन में हाल मेरा हंसा,
इन जग में जीवना थोड़ा रे……

आगलो आवे अगन स्वरूपी,
जल स्वरूपी रहना जी,
जोनु रे आगे अजोनु वेना,
सुनसुन वसन लेवना जी,
राम भजन में हाल मेरा हंसा,
इन जग में जीवना थोड़ा रे……

काशी नगर में रहता कबीरसा,
डोरा धागा वणता जी,
सारा संसारिया में धर्म चलायो,
निर्गुण माला फेरता जी,
राम भजन में हाल मेरा हंसा,
इन जग में जीवना थोड़ा रे……

अण संसारिया में आवणो जावणो,
वैर किसी से मत रखना,
केवे कमाली कबीरसा री शैली,
फिर जनम नही लेवना जी,
राम भजन में हाल मेरा हंसा,
इन जग में जीवना थोड़ा रे……

नर रे नारायण री देह बनाई,
नुगरा कोई मत रेवना,
नुगरा मनक तो पशु बराबर,
उनका संग नही करना,
राम भजन में हाल मेरा हंसा,
इन जग में जीवना थोड़ा रे……

मनुष्य जीवन का परम उद्देश्य श्रीहरि की भक्ति करना है। नर रे नारायण री देह बनाई भजन हमें यह प्रेरणा देता है कि हमें अपने जीवन का सदुपयोग करते हुए धर्म और भक्ति के मार्ग पर चलना चाहिए। इस सत्य को और अधिक गहराई से अनुभव करने के लिए आप “श्री हरि की महिमा अपार , गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो , नारायण, नारायण जय गोविंद हरे” और “संकट हरन श्री विष्णु जी” जैसे अन्य भजनों का भी पाठ करें और भगवान विष्णु की असीम कृपा का अनुभव करें। 🙏💛

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