मान्ने रंग दो नाथ थोरे रंग में

मान्ने रंग दो नाथ थोरे रंग में भजन भगवान श्री कृष्ण के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम की भावना को प्रकट करता है। इसमें भक्त भगवान कृष्ण से उनके दिव्य रंग और आशीर्वाद की कामना करता है, ताकि वह अपनी रंगीन दुनिया में रंगीन हो जाए। भगवान श्री कृष्ण का रंग-रूप निराकार और निरंतर रूप से बदलता रहता है, और जब भक्त उनके रंग में रंग जाते हैं, तो उनका जीवन हर पहलू में परिपूर्ण और सुंदर हो जाता है।

Mane Rang Do Nath Thore Rang Me

मान्ने रंग दो नाथ, थोरे रंग में ll
^हो म्हारा, ठाकुर लक्ष्मी रे नाथ,
म्हारे, सिर पर राखो हाथ l
मेरी नाथ वसो, म्हारे मन में,
मान्ने रंग दो नाथ, थोरे रंग में ll1ll

तेरा श्याम, रंग लागे प्यारा ll
मेरी आँखों ने, इसको निहारा l
हो अब तो, वस जाओ मेरे नयन में l
हो म्हारा ठाकुर………ll2ll

भोर भोर मैं, द्वारे आवाँ ll
चरणामृत, तुलसी पावाँ l
हो ऐसी लगन, लगाओ जीवन में l
हो म्हारा ठाकुर………..ll3ll

थोरे रूप में, मैं खो जावाँ ll
जब चाहवाँ, मैं दर्शन पावाँ l
हो ऐसी ज्योत, जलाओ ह्रदय में l
हो म्हारा ठाकुरll4ll

प्रीत राज मैं, जाऊँ बलिहारी* ll
आया नाथ, शरण मैं तिहारी l
हो अब तो रख लो, थोरी शरण में,
हो म्हारा ठाकुरll5ll

मान्ने रंग दो नाथ थोरे रंग में भजन हमें यह बताता है कि जब हम भगवान कृष्ण के रंग में रंग जाते हैं, तो हमारा जीवन प्रेम और आनंद से भर जाता है। भगवान कृष्ण के रंग में रंगने का मतलब है उनके प्रति निष्ठा और भक्ति में समर्पण करना। इस भक्ति रस को और गहराई से अनुभव करने के लिए आप श्री हरि की महिमा अपार, गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, नारायण, नारायण जय गोविंद हरे और “संकट हरन श्री विष्णु जी जैसे अन्य भजनों का भी पाठ करें और भगवान विष्णु की कृपा का अनुभव करें। 🙏💛

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