हरी के भजन में ना जावे मेरी बुढ़िया

भगवान के भजन, जिन्हें हम प्रेम और श्रद्धा के साथ गाते हैं, जीवन में अमूल्य आशीर्वाद लेकर आते हैं। हरी के भजन में ना जावे मेरी बुढ़िया” भजन में एक गहरी सिख है, जो हमें यह बताता है कि भगवान के भजन में सच्ची श्रद्धा और निष्ठा के साथ लीन होना चाहिए। यह भजन हमें यह समझाता है कि केवल शब्दों का उच्चारण ही नहीं, बल्कि हृदय से भगवान के भजनों में पूर्ण रूप से समर्पित होना चाहिए।

Hari Ke Bhajan Me Na Jave Meri Budiya

हरी के भजन में ना जावे मेरी बुढ़िया….

मैंने कहा कि मम्मी गीता पढ़ लेना,
सिर में दर्द बतावे मेरी बुढ़िया,
हरी के भजन में ना जावे मेरी बुढ़िया…..

मैंने कहा कि मम्मी सुमरण कर लो,
आंखो में दर्द बतावे मेरी बुढ़िया,
हरी के भजन में ना जावे मेरी बुढ़िया…..

मैंने कहा कि मम्मी दान करलो,
हाथो में दर्द बतावे मेरी बुढ़िया,
हरी के भजन में ना जावे मेरी बुढ़िया……

मैंने कहा कि मम्मी सत्संग चली जाओ,
पैरों में दर्द बतावे मेरी बुढ़िया,
हरी के भजन में ना जावे मेरी बुढ़िया……

हरी के भजन में ना जावे मेरी बुढ़िया भजन हमें यह सिखाता है कि भगवान के भजन में हृदय से जुड़कर भाग लेना चाहिए, तभी हम उसके वास्तविक लाभ को प्राप्त कर सकते हैं। भगवान की भक्ति में अगर हम पूरी श्रद्धा और समर्पण से ध्यान लगाते हैं, तो जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति होती है। इस भक्ति रस को और गहराई से अनुभव करने के लिए आप श्री हरि की महिमा अपार, गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, नारायण, नारायण जय गोविंद हरे और संकट हरन श्री विष्णु जी जैसे अन्य भजनों का भी पाठ करें और भगवान विष्णु की कृपा का अनुभव करें। 🙏💛

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