बृहस्पति देव की आरती

बृहस्पति देव को देवताओं के गुरु और ज्ञान, बुद्धि तथा धर्म के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। वे जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और सफलता प्रदान करते हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति को विद्या, विवेक और धर्म का सही मार्ग मिलता है। “बृहस्पति देव की आरती” का पाठ करने से भक्तों को शुभ फल प्राप्त होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है। आइए, इस पावन आरती के माध्यम से देवगुरु बृहस्पति महाराज का वंदन करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

Brihaspati Bev Ki Aarti

ॐ जय बृहस्पति देवा,
स्वामी जय बृहस्पति देवा,
छिन- छिन भोग लगाऊं,
छिन- छिन भोग लगाऊं,
कदली फल मेवा,
ॐ जय बृहस्पति देवा॥

तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी,
स्वामी तुम अंतर्यामी,
जगतपिता जगदीश्वर,
जगतपिता जगदीAश्वर, तुम सबके स्वामी,
ॐ जय बृहस्पति देवा॥

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता,
स्वामी सब पातक हर्ता,
सकल मनोरथ दायक,
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता,
ॐ जय बृहस्पति देवा॥

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े,
स्वामी जो जन शरण पड़े,
प्रभु प्रकट तब होकर,
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े,
ॐ जय बृहस्पति देवा॥

दीनदयाल दयानिधि भक्तन हितकारी,
स्वामी भक्तन हितकारी,
पाप दोष सब हर्ता,
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी,
ॐ जय बृहस्पति देवा॥

सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारी,
स्वामी सब संशय हारी,
विषय विकार मिटाओ,
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी,
ॐ जय बृहस्पति देवा॥

जो कोई तुम्हरी आरती, प्रेम सहित गावे,
स्वामी प्रेम सहित गावे,
जेष्ठानन्द आनन्दकर,
जेष्ठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावै,
ॐ जय बृहस्पति देवा॥

ॐ जय बृहस्पति देवा,
स्वामी जय बृहस्पति देवा,
छिन- छिन भोग लगाऊं,
छिन- छिन भोग लगाऊं,
कदली फल मेवा,
ॐ जय बृहस्पति देवा॥

|| बोलिए बिष्णु भगवान की, जय
बोलो बृहस्पति देव की, जय ||

बृहस्पति देव की कृपा से ज्ञान, विवेक और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। बृहस्पति देव की आरती हमें यह सिखाती है कि सच्चे मन से गुरु बृहस्पति की आराधना करने से वे हमारी बुद्धि को सही मार्ग पर ले जाते हैं। उनकी महिमा को और अधिक जानने के लिए आप “श्री हरि की महिमा अपार , गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो , नारायण, नारायण जय गोविंद हरे” और “संकट हरन श्री विष्णु जी” जैसे अन्य भजनों का भी पाठ करें और भगवान विष्णु की असीम कृपा का अनुभव करें। 🙏💛

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