तुलसी पूजा विधि जानना हर उस भक्त के लिए ज़रूरी है जो अपने जीवन में तुलसी माता की कृपा और सकारात्मक ऊर्जा चाहते हैं। हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा न केवल पवित्र माना गया है बल्कि इसे माता लक्ष्मी का रूप भी कहा गया है। इस लेख में आप Tulsi Puja Vidhi को विस्तार से जानेंगे और इसके कौन-कौन से नियम होते हैं और पूजा का सही समय क्या होता है।
तुलसी पूजा का महत्त्व
तुलसी माता की पूजा से घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी तुलसी अत्यंत लाभकारी है। माना जाता है कि जहां तुलसी माता की नियमित पूजा होती है वहां नकारात्मकता प्रवेश नहीं करती।
Tulsi Puja Vidhi: सरल लेकिन प्रभावी विधि
तुलसी पूजा विधि सरल होते हुए भी अत्यंत शुभ और फलदायक होती है। अगर आप भी घर में सुख-शांति और पुण्य चाहते हैं, तो नीचे दी गई विधि को जरूर अपनाएं-
1. स्थान की सफाई और तैयारी
सबसे पहले तुलसी माता को जिस स्थान पर रखा गया है, उसे अच्छे से साफ करें। तुलसी चौरे (चबूतरे) पर पानी और गंगाजल छिड़कें। वहां एक रंगोली या हल्दी से शुभ चिन्ह (स्वस्तिक आदि) बना सकते हैं।
2. दीपक और अगरबत्ती जलाएं
तुलसी माता के सामने घी या तेल का दीपक जलाएं। साथ ही अगरबत्ती से वातावरण को सुगंधित करें। यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
3. शुद्ध जल और पंचामृत से अभिषेक
- एक तांबे के लोटे में जल भरकर तुलसी जी को अर्पित करें।
- विशेष दिनों पर तुलसी जी का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शुद्ध जल) से अभिषेक करें।
- जल अर्पण करते समय यह मंत्र बोलें: “ॐ तुलस्यै नमः“
4. फूल, चावल और रोली अर्पित करें
- तुलसी माता को ताजे फूल, अक्षत (साबुत चावल) और हल्दी-रोली अर्पित करें।
- चाहें तो छोटी सी माला या चुनरी भी तुलसी माता को चढ़ा सकते हैं।
5. तुलसी मंत्र का जाप करें
तुलसी माता की कृपा पाने के लिए निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें (माला से): “ॐ श्री तुलसी-विष्णु-प्रिया नमः” या “ॐ तुलस्यै नमः“।
6. तुलसी माता की आरती करें
- अब तुलसी जी की आरती करें। आप “जय तुलसी माता जय” या “तुलसी महारानी की आरती” गा सकते हैं।
- आरती में पूरे परिवार को शामिल करना शुभ होता है।
7. तुलसी को प्रेम से नमन करें
- पूजा के बाद तुलसी जी को प्रणाम करें।
- चाहें तो तुलसी के एक या दो पत्ते तोड़कर प्रसाद के रूप में लें (लेकिन नियम अनुसार)।
8. तुलसी पूजा का सही समय
- प्रातः काल सूर्योदय के बाद और संध्या के समय सूर्यास्त के बाद तुलसी पूजा करना सबसे उत्तम माना जाता है।
- एकादशी, गुरुवार और कार्तिक मास में तुलसी पूजा का विशेष महत्त्व होता है।
Tulsi Puja Vidhi का पालन श्रद्धा और नियमपूर्वक किया जाए तो यह जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति लाती है। अगर आप तुलसी विवाह कैसे करें, तुलसी के औषधीय लाभ, या तुलसी लगाने का सही दिन जानना चाहते हैं, तो हमारे दूसरे लेख जरूर पढ़ें।
तुलसी पूजा में क्या न करें
- तुलसी को सोमवार, रविवार और एकादशी के दिन जल न चढ़ाएं।
- तूथब्रश या नुकीली चीज़ों से तुलसी के पत्ते न तोड़ें।
- रात के समय तुलसी पूजा न करें।
Tulsi Puja Ki Vidhi न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से शुभ होती है, बल्कि यह घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाने का भी माध्यम है।
FAQ
तुलसी पूजा में कौन-कौन सी चीजें चाहिए?
तुलसी पूजा में जल, दीपक, रोली, अक्षत, फूल, धूपबत्ती, नैवेद्य, और घंटी का प्रयोग किया जाता है।
तुलसी पर जल क्यों चढ़ाते हैं?
यह श्रद्धा और शुद्धता का प्रतीक होता है, और घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
तुलसी के पत्ते पूजा में कब लेने चाहिए?
सूर्योदय से पहले या सुबह के समय, रविवार और एकादशी को नहीं।
क्या रविवार को तुलसी को छू सकते हैं?
नहीं, रविवार और एकादशी को तुलसी को छूना वर्जित होता है।

मैं श्रुति शास्त्री , एक समर्पित पुजारिन और लेखिका हूँ, मैं अपने हिन्दू देवी पर आध्यात्मिकता पर लेखन भी करती हूँ। हमारे द्वारा लिखें गए आर्टिकल भक्तों के लिए अत्यंत उपयोगी होते हैं, क्योंकि मैं देवी महिमा, पूजन विधि, स्तोत्र, मंत्र और भक्ति से जुड़ी कठिन जानकारी सरल भाषा में प्रदान करती हूँ। मेरी उद्देश्य भक्तों को देवी शक्ति के प्रति जागरूक करना और उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत करना है।View Profile