पर्वत पर कुटिया बनाई रे

Parvat Par Kutiya Banai Re

पर्वत पर कुटिया बनाई रे भोले बाबा तुमने,
बाबा तुमने भोले बाबा तुमने,
सावन ने कुटिया छाई रे भोले बाबा तुमने…..

आधी कुटिया पर बेला चमेला,
आधी पर भंगिया बूबाई रे भोले बाबा तुमने….

आधी कुटिया पर चंदा और सूरज,
आधी पर गंगा बहाई रे भोले बाबा तुमने….

आधी कुटिया पर बिच्छू ततैया,
आधी पर नाम लहराई रे भोले बाबा तुमने…..

आधी कुटिया मैं नंदी बसाई,
आधी में गोरा बैठाई रे भोले बाबा तुमने….

आधी कुटिया में ऋषि मुनि गण,
आधी में अर्जी लगाई रे भोले बाबा तुमने…

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