साईं बाबा शेज आरती रात की वह अंतिम आरती होती है जो बाबा को विश्राम देने से पहले की जाती है। यह आरती भक्त और बाबा के बीच दिनभर के संवाद का समापन होती है, जिसमें श्रद्धालु अपने दिन भर की भक्ति अर्पित करते हैं। शांत वातावरण, दीपक की धीमी लौ और मीठे स्वर से की गई Sai Baba Shej Aarti मन को सुकून देती है। इस आरती के लिरिक्स कुछ इस प्रकार से है-
Sai Baba Shej Aarti
ओवाळू आरती
ओवाळू आरती माझ्या सद्गुरुनाथा । माझ्या साईनाथा ।
पाचाही तत्वांचा दीप लाविला आता ॥ धृ ॥
निर्गुणाची स्थिती कैशी आकारा आली । बाबा आकारा आली॥
सर्वा घटी भरुनी ऊरली साई माऊली ॥ ओवाळू आरती ॥ 1 ॥
रज तम सत्व तिघे माया प्रसवली । बाबा माया प्रसवली॥
मायेचीये पोटी कैसी माया उद्भवली ॥ ओवाळू आरती ॥ 2 ॥
सप्तसागरीं कैसा खेळ मांडीला । बाबा खेळ मांडीला ।
खेळुनिया खेळ अवघा विस्तार केला ॥ ओवाळू आरती ॥ 3 ॥
ब्रह्मांडीची रचना कैसी दाखविली डोळा । बाबा दाखविली डोळा ॥
तुका म्हणे माझा स्वामी कृपाळू भोळा ॥ ओवाळू आरती ॥ 4 ॥
आरती ज्ञानराजा
आरती ज्ञानराजा । महाकैवल्यतेजा ॥
सेविती साधुसंत । मनु वेधला माझा ॥ धृ ॥
लोपलें ज्ञान जगी । हित नेणती कोणी॥
अवतार पांडुरंग । नाम ठेविले ज्ञानी ॥ आरती ज्ञानराजा ॥ 1 ॥
कनकाचे ताट करी । उभ्या गोपिका नारी॥
नारद तुंबर हो । साम गायन करी ॥ आरती ज्ञानराजा ॥ 2 ॥
प्रकट गुह्य बोले । विश्र्व ब्रम्हाची केलें॥
रामजनार्दनी । पायी मस्तक ठेविले ॥ आरती ज्ञानराजा ॥ 3 ॥
आरती तुकारामा
आरती तुकारामा । स्वामी सद्गुरुधामा॥
सच्चिदानंद मूर्ती । पायी दाखवीं आम्हां ॥ धृ ॥
राघवें सागरांत । जैसे पाषाण तारिले॥
तैसे हे तुकोबाचे । अभंग उदकीं रक्षिले ॥ आरती तुकारामा ॥ 1 ॥
तुकितां तुलनेसी । ब्रम्ह तुकासी आलें॥
म्हणोनी रामेश्वरें । चरणी मस्तक ठेविलें ॥ आरती तुकारामा ॥ 2 ॥
जय जय साईनाथ हो
जय जय साईनाथ आता पहुडावे मंदिरी हो,
जय जय साईनाथ आता पहुडावे मंदिरी हो॥
आळवितो सप्रेमे तुजला, आरती घेऊनि करी हो,
जय जय साईनाथ आता पहुडावे मंदिरी हो ॥ धृ ॥
रंजवीसी तु मधुर बोलुनी माय जशी निज मुला हो,
रंजवीसी तु मधुर बोलुनी माय जशी निज मुला हो॥
भोगिसी व्याधी तूच हरुनिया निजसेवक दुःखाला हो,
भोगिसी व्याधी तूच हरुनिया निजसेवक दुःखाला हो॥
धावुनी भक्त व्यसन हरिसी दर्शन देसी त्याला हो,
धावुनी भक्त व्यसन हरिसी दर्शन देसी त्याला हो॥
झाले असतील कष्ट अतिशय तुमचे या,
देहाला हो ॥ जय जय साईनाथ ॥ 1 ॥
शमा शयन सुंदर हि शोभा, सुमन शेज त्यावरी हो,
शमा शयन सुंदर हि शोभा, सुमन शेज त्यावरी हो॥
घ्यावी थोडी भक्तजनांची पूजन अर्चा करी हो,
घ्यावी थोडी भक्तजनांची पूजन अर्चा करी हो॥
ओवाळितो पंच प्राण ज्योती सुमती करी हो,
ओवाळितो पंच प्राण ज्योती सुमती करी हो ।
सेवा किंकर भक्त प्रीती, अत्तर परिमळ वारी हो ॥
जय जय साईनाथ ॥ 2 ॥
सोडूनि जाया दुःख वाटते बाबांच्या चरणास हो,
सोडूनि जाया दुःख वाटते साईंच्या चरणास हो॥
आज्ञेसह हा आषीर्प्रसाद, घेऊनि निजसदनासी हो,
आज्ञेसह हा आषीर्प्रसाद, घेऊनि निजसदनासी हो॥
जातो आता येऊ पुनरुपी, तंव चरणांचे पाशी हो,
जातो आता येऊ पुनरुपी, तंव चरणांचे पाशी हो ।
उठवू तुजला साईमाऊली, निजहित साधायास हो॥
जय जय साईनाथ ॥ 3 ॥
आता स्वामी
आता स्वामी सुखे निद्रा करा अवधूता, बाबा करा साईनाथा॥
चिन्मय हे सुखधाम जाऊनि पहुडा एकांता ॥ धृ ॥
वैऱ्यागाचा कुंचा घेहूनि चौक झाडीला , बाबा चौक झाडीला॥
तयावरे सुखप्रेमाचा शिडकावा दीधला ॥ आता स्वामी ॥ 1 ॥
पायघड्या घातल्या सुंदर नवविधा भक्ती, बाबा नवविधा भक्ती॥
ज्ञानाच्या समया लावूनी उजळल्या ज्योती ॥ आता स्वामी ॥ 2 ॥
भावार्थाचा मंचक हृदया काशी टांगीला, हृदया काशी टांगीला॥
मनाची सुमने करोनि केले शेजेला ॥ आता स्वामी ॥ 3 ॥
द्वैताचे कपाट लावूनी एकत्र केले, बाबा एकत्र केले॥
दुर्बुद्धीच्या गाठी सोडूनि पडदे सोडिले ॥ आता स्वामी ॥ 4 ॥
आशा तृष्णा कल्पनेचा सोडूनि गलबला , बाबा सोडूनि गलबला॥
दया क्षमा शांती दासी उभ्या सेवेला॥ आता स्वामी ॥ 5 ॥
अलक्ष्य उन्मने घेऊनि नाजूक दृशेला, बाबा नाजूक दृशेला॥
निरंजन सदगुरु स्वामी निजविले शेजेला ॥ आता स्वामी ॥ 6 ॥
श्री सतचित्तानंद सद्गुरु साईनाथ महाराज की जय ॥
श्री गुरुदेव दत्त ॥
पाहीन प्रसादाची वाट
पाहे प्रसादाची वाट घ्यावे धुवोनिया ताट।
शेष घेवोनि जाईन तुमचे झालीया भोजन॥
झालो एकसवा तुम्हा आडुनिया देवा।
शेष घेवोनि जाईन तुमचे झालीया भोजन॥
तुका म्हणे चित्त करूनि राहिलो निवांत।
शेष घेवोनि जाईन तुमचे झालीया भोजन॥
आता स्वामी
पावला प्रसाद आता विठू निजावे, बाबा आता निजावे,
आपुला तो श्रम करो येतसे भावे ।
आता स्वामी सुखे निद्रा करा गोपाळा, बाबा साई दयाळा,
पुरले मनोरथ जातो आपुले स्थळा ॥
तुम्हांसी जागवू आम्ही आपुल्या चाडा, बाबा आपुल्या चाडा,
शुभाशुभ कर्मे दोष हरवया पीडा ।
आता स्वामी सुखे निद्रा करा गोपाळा, बाबा साई दयाळा,
पुरले मनोरथ जातो आपुले स्थळा ॥
तुका म्हणे दिधले उद्दिष्टांचे भोजन, उद्दिष्टांचे भोजन,
नाही निवडिलें आम्हां आपुल्या भिन्न।
आता स्वामी सुखे निद्रा करा गोपाळा, बाबा साई दयाळा,
पुरले मनोरथ जातो आपुले स्थळा॥
सदगुरु साईनाथ की जय॥
ओम राजाधिराज योगीराज परमब्रहम साईनाथ महाराज ॥
श्री सतचित्तानंद सद्गुरु साईनाथ महाराज की जय ॥
यदि आप साईं बाबा शेज आरती को अपनी रात्रि की साधना में शामिल कर ही रहे हैं, तो इनके अन्य आरती जैसे sai baba dhoop aarti lyrics और sai baba kakad aarti को भी अवश्य पढ़ें। ये सभी स्तुति और आरतियाँ आपको दिन के हर हिस्से में बाबा से जोड़े रखती हैं। आप चाहे तो sai baba aarti lyrics pdf के रूप में इन आरती को डाउनलोड करके अपने से हमेशा के लिए सुरक्षति भी रख सकते है।
शेज आरती की सरल और प्रभावी विधि
Shej Aarti Sai Baba Lyrics में समर्पण का गहरा अर्थ छिपा होता है, इसलिए इसे जानकर मधुर स्वर और सही तरिके से करना चाहिए। आइये आपको आरति की एक सरल विधि की बताते है-
- तैयारी करें: रात्रि की इस अंतिम आरती से पहले साईं बाबा की मूर्ति को शुद्ध जल से छिड़क कर पवित्र करें। उन्हें हल्के सफेद या पीले वस्त्र पहनाएं और पास में रेशमी चादर, फूल या तुलसी पत्र रखें, ताकि उनका विश्राम सुखद हो।
- वातावरण: घर की सभी तेज़ आवाजें बंद कर दें, मोबाइल, टीवी आदि। एक दीपक जलाएं और कुछ समय मौन धारण करें। इस समय को आप अपने मन की बात बाबा से कहने के लिए भी उपयोग कर सकते हैं।
- थाली सजाएं: थाली में एक दीपक, धूपबत्ती, चंदन, फूल, मिश्री या दूध जैसी किसी मीठी चीज़ को रखें। थाली को साईं बाबा के चरणों के पास श्रद्धापूर्वक रखें ।
- आरती करें: अब Shirdi Sai Baba Shej Aarti के लिरिक्स प्रेमपूर्वक गाएं और आँखें बंद कर बाबा का ध्यान करें। स्वर ऊँचा न हो, यह आरती विश्राम का संकेत है, इसलिए स्वर मधुर और धीमा होना चाहिए।
- शयन कराएं: आरती पूर्ण होने के बाद साईं बाबा की प्रतिमा को चादर से ढक दें। फिर हाथ जोड़कर प्रणाम करें और कुछ क्षण मौन रहकर बाबा की उपस्थिति का अनुभव करें।
साईं बाबा के चरणों में विश्रामपूर्वक श्रद्धा अर्पण करने का यह एक सुंदर अवसर होता है, जो आपके मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है। Sai Baba Shej Aarti के माध्यम से रात को भी बाबा का आशीर्वाद ।
FAQ
साईं बाबा शेज आरती कब की जाती है?
रात को सोने से पहले, लगभग 10 बजे के बाद शांति के वातावरण में यह आरती की जाती है।
क्या शेज आरती रोज़ करनी चाहिए या केवल गुरुवार को?
इसे प्रतिदिन करना शुभ माना जाता है, पर गुरुवार को इसका विशेष महत्व होता है।
क्या शेज आरती बिना दीपक जलाए की जा सकती है?
भक्ति में भाव प्रमुख होता है, लेकिन दीपक की ज्योति वातावरण को पवित्र करती है, इसलिए दीपक जलाना शुभ होता है।
क्या यह आरती परिवार के साथ मिलकर की जा सकती है?
जी हाँ, परिवार के सभी सदस्य मिलकर यह आरती करें तो वातावरण अधिक भक्ति मय हो जाता है।
मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 🚩 जय सनातन धर्म 🚩