जली है ज्योत जगमग अवध नगर में

जब श्रीराम 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तब पूरी नगरी दीपों की रोशनी से जगमगा उठी। जली है ज्योत जगमग अवध नगर में भजन उसी अद्भुत क्षण का वर्णन करता है जब अयोध्यावासियों ने अपने प्रिय राजा के स्वागत में घर-घर दीप जलाए थे। यह भजन हमें याद दिलाता है कि जब जीवन में सत्य, धर्म और प्रेम का प्रकाश फैलता है, तब हर ओर आनंद ही आनंद होता है।

Jali Hai Jyot Jagmag Awadh Nagar Mein

जली है ज्योत जगमग,
अवध नगर में,
अवध नगर में हाँ,
अवध नगर में,
जली है जोत जग मग,
अवध नगर में।1।

कनक भवन मणि दीप की माला,
दीप की माला दीप की माला,
आज पधारे है कौशल्या लाला,
कौशल्या लाला कौशल्या लाला,
पुरे है चौक गजमोती,
डगर डगर में,
जली है जोत जग मग,
अवध नगर में।2।

पथ में सुवासित कुसुम की कलियाँ,
कुसुम की कलियाँ कुसुम की कलियाँ,
कदली कलश है गलिया गलिया,
गलिया गालिया गलिया गलिया,
भरे है दृग बिंदु,
नजर नजर में,
जली है जोत जग मग,
अवध नगर में।3।

आज मनावत गौरी दिवाली,
गौरी दिवाली गौरी दिवाली,
नृत्य करत है दे दे ताली,
दे दे ताली दे दे ताली,
विभोर मन ‘शिकारी’,
सिया रघुपुर में,
जली है जोत जग मग,
अवध नगर में।4।

जली है ज्योत जगमग,
अवध नगर में,
अवध नगर में हाँ,
अवध नगर में,
जली है जोत जग मग,
अवध नगर में।5।

अवधपुरी में जलते दीपक केवल बाहरी प्रकाश नहीं थे, बल्कि भक्तों के हृदय में उमड़ते प्रेम और श्रद्धा के प्रतीक थे। जब भी श्रीराम का स्मरण किया जाता है, तब अज्ञान और अंधकार अपने आप मिट जाता है। यदि आपको यह भजन प्रिय लगा, तो आप “अवधपुरी में दीप जले हैं सिया संग मेरे राम चले हैं, श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन, राम नाम की महिमा, और “हनुमान जी के श्रीराम प्रेम की कथा” भी पढ़ सकते हैं। इन भजनों और लेखों से आपकी भक्ति और अधिक गहरी होगी। 🚩 जय श्रीराम! 🚩

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