बिना पैर धोए चढ़ाऊँ ना नैया पैर धुला करके आना पड़ेगा

भक्ति में शुद्धता और श्रद्धा का विशेष महत्व होता है। बिना पैर धोए चढ़ाऊँ ना नैया, पैर धुला करके आना पड़ेगा भजन हमें यह संदेश देता है कि जब भी हम भगवान की शरण में जाएं, तो मन, वचन और कर्म से पूरी तरह पवित्र हों। जैसे श्रीराम ने निषादराज के आग्रह पर गंगा पार करने से पहले अपने चरण धोए थे, वैसे ही यह भजन हमें सिखाता है कि प्रभु की कृपा प्राप्त करने के लिए हमें भी अपनी आत्मा को निर्मल बनाना होगा।

Bina Pair Dhoye Chadhau Na Naiya

बिना पैर धोए चढ़ाऊँ ना नैया,
पैर धुला करके आना पड़ेगा,
चढ़ेगा ना केवट चलेगी ना नैया,
पैर धुला करके आना पड़ेगा,
बिना पैर धोये चढ़ाऊं न नैया।1।

अभी जल मंगाऊं चरण को धुलाऊँ,
पीयूं जल मैं खुद और कुटुंब को पिलाऊं,
मेरी बात मानो ओ राम रमैया,
कहा मैंने जो वो निभाना पड़ेगा,
बिना पैर धोये चढ़ाऊं न नैया।2।

सुना है चरण में वो जादू है भारी,
कभी एक पत्थर बना डाला नारी,
मेरा तो सहारा यही एक नैया,
तुम्हें शंका मेरी मिटाना पड़ेगा,
बिना पैर धोये चढ़ाऊं न नैया।3।

किराया ना देना नहीं मुझको लेना,
किया जैसा मैंने वैसा तुम कर देना,
तुम्ही तो हो स्वामी जग के खिवैया,
कभी पास मुझको भी आना पड़ेगा,
बिना पैर धोये चढ़ाऊं न नैया।4।

बिना पैर धोए चढ़ाऊँ ना नैया,
पैर धुला करके आना पड़ेगा,
चढ़ेगा ना केवट चलेगी ना नैया,
पैर धुला करके आना पड़ेगा,
बिना पैर धोये चढ़ाऊं न नैया।5।

भक्ति का मार्ग सच्चाई और पवित्रता से होकर गुजरता है। जब हम अपने मन की अशुद्धियों को दूर कर भगवान के चरणों में जाते हैं, तभी हमें उनकी कृपा सहज रूप से प्राप्त होती है। यदि यह भजन आपको प्रभु की भक्ति में डुबो रहा है, तो आप “भगवान को करने पार भगत की नाव चली, राम जी ने शबरी के खाए झूठे बेर, राम का गुणगान करिए, और “छोड़कर सारे पागलपन राम गुण गा ले मेरे मन” जैसे अन्य भजन और लेख भी पढ़ सकते हैं। 🚩 जय श्रीराम! 🚩

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