ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया

भगवान श्रीराम अपने सौम्य और दिव्य स्वभाव के लिए समस्त संसार में पूज्य हैं। उनकी विनम्रता, करुणा, मर्यादा और धर्मपरायणता अनुपम हैं। ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया भजन उन्हीं गुणों का गुणगान करता है। जब हम श्रीराम के चरित्र को देखते हैं, तो हमें आदर्श पुत्र, आदर्श राजा, आदर्श पति और आदर्श मित्र की छवि दिखाई देती है। उनका सौम्य स्वभाव हमें प्रेम, त्याग और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

Aisa Sundar Swabhav Kaha Paya

ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,
राघव जी तुम्हें,
ऐसा किसने बनाया।1।

पर नारी पर दृष्टि ना डाली,
ऐसी तुम्हरी प्रकृति निराली,
तुम्हें वाल्मीकि,
तुलसी ने गाया,
राघव जी तुम्हें,
ऐसा किसने बनाया।2।

अवगुण देख के क्रोध ना आता,
भक्तों को देख के प्रेम ही समाता,
धन्य कौशल्याजू,
जिसने तुम्हें जाया,
राघव जी तुम्हें,
ऐसा किसने बनाया।3।

अपने किये का अभिमान ना तुमको,
निजजन का सनमान है तुमको,
तुम्हें रामभद्राचार्य,
अति भाया,
राघव जी तुम्हें,
ऐसा किसने बनाया।4।

ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,
राघव जी तुम्हें,
ऐसा किसने बनाया।5।

श्रीराम जी का जीवन हमें सिखाता है कि विनम्रता और धर्म का पालन ही जीवन की सच्ची पूँजी है। उनका सौम्य और दिव्य स्वभाव हर भक्त के हृदय को मोह लेता है। यह भजन हमें उनकी भक्ति में लीन होने और उनके आदर्शों को अपनाने का संदेश देता है। यदि आपको यह भजन प्रिय लगा, तो आप “श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन“, “राम नाम की महिमा“, “श्रीराम के वनवास की कथा”, और “हनुमान जी के श्रीराम प्रेम की कथा” भी पढ़ सकते हैं। इन भजनों और लेखों से आपकी भक्ति और अधिक प्रगाढ़ होगी। 🚩 जय श्रीराम! 🚩

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