krishna ashtakam lyrics

Krishna Ashtakam Lyrics | श्री कृष्ण अष्टकम लिरिक्स : श्रीकृष्ण की स्तुति का दिव्य पाठ

श्री कृष्ण अष्टकम लिरिक्स एक अत्यंत मधुर और भक्तिमय स्तोत्र के बोल है, जो भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान करता है। यह अष्टकम भक्तों के हृदय में भक्ति और प्रेम का संचार करता है। अगर आप Krishna Ashtakam Lyrics को पढ़ना या गाना चाहते हैं, तो यह आपको श्रीकृष्ण की लीलाओं और उनके दिव्य … Read more

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Krishna Ki Chetavani Lyrics | श्रीकृष्ण की चेतावनी के अद्भुत शब्द – संपूर्ण गीतिकाव्य

महाभारत के युद्ध से पहले, जब शांति की आखिरी कोशिश के रूप में श्रीकृष्ण कौरव सभा में गए, तब उन्होंने दुर्योधन को स्पष्ट चेतावनी दी थी। श्रीकृष्ण की चेतावनी केवल एक संवाद नहीं, बल्कि धर्म, सत्य और न्याय का प्रतीक थी। Krishna Ki Chetavani Lyrics महाभारत के इसी महत्वपूर्ण प्रसंग को शब्दों में पिरोता है। … Read more

Vindheshwari Chalisa Lyrics ॥ दोहा ॥ नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब। सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब॥ जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदिशक्ति जगविदित भवानी॥ सिंहवाहिनी जै जगमाता। जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता॥ कष्ट निवारण जै जगदेवी। जै जै सन्त असुर सुर सेवी॥ महिमा अमित अपार तुम्हारी। शेष सहस मुख वर्णत हारी॥ दीनन को दु:ख हरत भवानी। नहिं देखो तुम सम कोउ दानी॥ सब कर मनसा पुरवत माता। महिमा अमित जगत विख्याता॥ जो जन ध्यान तुम्हारो लावै। सो तुरतहि वांछित फल पावै॥ तुम्हीं वैष्णवी तुम्हीं रुद्रानी। तुम्हीं शारदा अरु ब्रह्मानी॥ रमा राधिका श्यामा काली। तुम्हीं मातु सन्तन प्रतिपाली॥ उमा माध्वी चण्डी ज्वाला। वेगि मोहि पर होहु दयाला॥10 तुम्हीं हिंगलाज महारानी। तुम्हीं शीतला अरु विज्ञानी॥ दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता। तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता॥ तुम्हीं जाह्नवी अरु रुद्रानी। हे मावती अम्ब निर्वानी॥ अष्टभुजी वाराहिनि देवा। करत विष्णु शिव जाकर सेवा॥ चौंसट्ठी देवी कल्यानी। गौरि मंगला सब गुनखानी॥ पाटन मुम्बादन्त कुमारी। भाद्रिकालि सुनि विनय हमारी॥ बज्रधारिणी शोक नाशिनी। आयु रक्षिनी विन्ध्यवासिनी॥ जया और विजया वैताली। मातु सुगन्धा अरु विकराली॥ नाम अनन्त तुम्हारि भवानी। वरनै किमि मानुष अज्ञानी॥ जापर कृपा मातु तब होई। जो वह करै चाहे मन जोई॥20 कृपा करहु मोपर महारानी। सिद्ध करहु अम्बे मम बानी॥ जो नर धरै मातु कर ध्याना। ताकर सदा होय कल्याना॥ विपति ताहि सपनेहु नाहिं आवै। जो देवीकर जाप करावै॥ जो नर कहँ ऋण होय अपारा। सो नर पाठ करै शत बारा॥ निश्चय ऋण मोचन होई जाई। जो नर पाठ करै चित लाई॥ अस्तुति जो नर पढ़े पढ़अवे। या जग में सो बहु सुख पावे॥ जाको व्याधि सतावे भाई। जाप करत सब दूर पराई॥ जो नर अति बन्दी महँ होई। बार हजार पाठ करि सोई॥ निश्चय बन्दी ते छुट जाई। सत्य वचन मम मानहु भाई॥ जापर जो कछु संकट होई। निश्चय देविहिं सुमिरै सोई॥30 जा कहँ पुत्र होय नहिं भाई। सो नर या विधि करे उपाई॥ पाँच वर्ष जो पाठ करावै। नौरातन महँ विप्र जिमावै॥ निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी। पुत्र देहिं ता कहँ गुणखानी॥ ध्वजा नारियल आन चढ़ावै। विधि समेत पूजन करवावै॥ नित प्रति पाठ करै मन लाई। प्रेम सहित नहिं आन उपाई॥ यह श्री विन्ध्याचल चालीसा। रंक पढ़त होवे अवनीसा॥ यह जन अचरज मानहु भाई। कृपा दृश्टि जापर होइ जाई॥ जै जै जै जग मातु भवानी। कृपा करहु मोहि निज जन जानी॥40

Vindheshwari Chalisa Lyrics | विन्धेश्वरी चालीसा लिरिक्स: 40 श्लोकों में दिव्य शक्ति

विन्धेश्वरी चालीसा लिरिक्स देवी विन्धेश्वरी के परम शक्तिशाली और दिव्य रूप की स्तुति है। विन्धेश्वरी देवी, जो विंध्याचल की महिमा से जुड़ी हुई हैं, उनके चालीस का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और आध्यात्मिक आशीर्वाद प्राप्त होता है। Vindheshwari Chalisa Lyrics में कुल 40 श्लोक होते हैं, जो देवी के विभिन्न रूपों और … Read more

हनुमान जी की आरती लिरिक्स आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। जाके बल से गिरवर काँपे, रोग-दोष जाके निकट न झाँके। अंजनि पुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभु सदा सहाई। आरती कीजै हनुमान लला की... दे वीरा रघुनाथ पठाए, लंका जारि सिया सुधि लाये। लंका सो कोट समुद्र सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई। आरती कीजै हनुमान लला की... लंका जारि असुर संहारे, सियाराम जी के काज सँवारे। लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे, लाये संजिवन प्राण उबारे। आरती कीजै हनुमान लला की... पैठि पताल तोरि जमकारे, अहिरावण की भुजा उखारे। बाईं भुजा असुर दल मारे, दाहिने भुजा संतजन तारे। आरती कीजै हनुमान लला की... सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें, जय जय जय हनुमान उचारें। कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करत अंजना माई। आरती कीजै हनुमान लला की... जो हनुमानजी की आरती गावे, बसहिं बैकुंठ परम पद पावे। लंक विध्वंस किये रघुराई, तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई। आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics | हनुमान जी की आरती लिरिक्स: शक्ति और भक्ति का संगम

हनुमान जी की आरती लिरिक्स, भगवान हनुमान की भक्ति में गाए जाने वाला एक विशेष भजन के बोल है, जो भक्तों के दिलों में असीम श्रद्धा और प्रेम को जगाता है। Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics हमारे जीवन में शक्ति, साहस और धैर्य का प्रतीक है। भगवान हनुमान को संकटमोचन कहा जाता है, और उनकी … Read more

गायत्री मंत्र लिरिक्स ॐ भूर्भुवः स्व:, तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो, देवस्य धीमहि, धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

Anuradha Paudwal Gayatri Mantra Lyrics : एक सरल मार्गदर्शन

अनुराधा पौडवाल गायत्री मंत्र लिरिक्स वेदों का सबसे पवित्र और शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। Anuradha Paudwal Gayatri Mantra Lyrics की महिमा और प्रभाव केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में फैली हुई है। इस मंत्र का हर शब्द सकारात्मक ऊर्जा, शांति और आत्मिक शुद्धि से भरा हुआ है। जब इसे अनुराधा पौडवाल … Read more

गणेश मंत्र वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ ॐ गं गणपतये नमः॥ ॐ वक्रतुंडा हुं॥ सिद्ध लक्ष्मी मनोहरप्रियाय नमः। ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये, वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:॥ गं क्षिप्रप्रसादनाय नम: ॥ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दंती प्रचोदयात्॥ श्री गणेशाय नम:॥ गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:, नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :। धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:, गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम। त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय, नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्॥

गणेश मंत्र लिरिक्स | Ganesh Mantra Lyrics : संपूर्ण गणपति मंत्र शब्दों सहित

गणेश मंत्र लिरिक्स का हमारे जीवन में एक विशेष स्थान है। Ganesh Mantra Lyrics के लय, शब्द और अर्थ में एक विशेष प्रकार की शक्ति और ऊर्जा समाई होती है। भगवान गणेश के मंत्रों का जप न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमारी मानसिक शांति, समृद्धि और सफलता के लिए भी अत्यंत … Read more

पंचमुखी हनुमान कवच लिरिक्स ॥श्री गणेशाय नमः॥ ॐ अस्य श्रीपञ्चमुख हनुमत्कवचमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषि: ॥गायत्री छंद:॥ पञ्चमुख-विराट् हनुमान् देवता। ह्रीं बीजम्। ॥श्रीं शक्ति:॥ क्रौं कीलकं। क्रूं कवचं। क्रैं अस्त्राय फट्। ॥श्री गरुड़ उवाच॥ अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि शृणु सर्वांगसुंदर, यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमतः प्रियम्। पञ्चवक्त्रं महाभीमं त्रिपञ्चनयनैर्युतम्, बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिद्धिदम्। पूर्वं तु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्यसमप्रभ, दंष्ट्रा कराल वदनं भ्रुकुटिकुटिलेक्षणम्। अस्यैव दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम्, अत्युग्र तेज वपुष् भीषणं भय नाशनम्। पश्चिमं गारुडं वक्त्रं वक्रतुण्डं महाबलम्, सर्व नाग प्रशमनं विषभूतादिकृन्तनम्। उत्तरं सौकरं वक्त्रं कृष्णं दीप्तं नभोपमम्, पातालसिंहवेतालज्वररोगादिकृन्तनम्। ऊर्ध्वं हयाननं घोरं दानवान्तकरं परम्, येन वक्त्रेण विप्रेन्द्र तारकाख्यं महासुरम्। जघान शरणं तत् स्यात् सर्व शत्रु हरं परम्, ध्यात्वा पञ्चमुखं रुद्रं हनुमन्तं दयानिधिम्। खड़्गं त्रिशूलं खट्वाङ्गं पाशमङ्कुशपर्वतम्, मुष्टिं कौमोदकीं वृक्षं धारयन्तं कमण्डलुं। भिन्दिपालं ज्ञानमुद्रां दशभिर्मुनिपुङ्गवम्, एतान्यायुधजालानि धारयन्तं भजाम्यहम्। प्रेतासनोपविष्टं तं सर्वाभरणभूषितम्, दिव्य माल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानुलेपनम्। सर्वाश्‍चर्यमयं देवं हनुमद्विश्‍वतो मुखम्, पञ्चास्यमच्युतमनेकविचित्रवर्णवक्त्रं। शशाङ्कशिखरं कपिराजवर्यम्, पीताम्बरादिमुकुटैरुपशोभिताङ्गं। पिङ्गाक्षमाद्यमनिशं मनसा स्मरामि। मर्कटेशं महोत्साहं सर्व शत्रु हरं परं, शत्रुं संहर मां रक्ष श्रीमन्नापदमुद्धर। ॐ हरिमर्कट मर्कट मंत्र मिदं परि लिख्यति लिख्यति वामतले, यदि नश्यति नश्यति शत्रुकुलं यदि मुञ्चति मुञ्चति वामलता। ॥ॐ हरि मर्कटाय स्वाहा॥ ॐ नमो भगवते पंचवदनाय पूर्वकपिमुखाय सकलशत्रुसंहारकाय स्वाहा। ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय दक्षिणमुखाय करालवदनाय नरसिंहाय सकलभूतप्रमथनाय स्वाहा। ॐ नमो भगवते पंचवदनाय पश्चिममुखाय गरुडाननाय सकलविषहराय स्वाहा। ॐ नमो भगवते पंचवदनाय उत्तरमुखाय आदिवराहाय सकलसंपत्कराय स्वाहा। ॐ नमो भगवते पंचवदनाय ऊर्ध्वमुखाय हयग्रीवाय सकलजनवशकराय स्वाहा। ॐ श्री पंचमुख हनुमंताय आंजनेयाय नमो नमः॥

पंचमुखी हनुमान कवच लिरिक्स | Panchmukhi Hanuman Kavach Lyrics

पंचमुखी हनुमान कवच लिरिक्स एक अत्यंत शक्तिशाली और दिव्य हनुमान मंत्र के बोल है, जिसे भगवान हनुमान के पंचमुखी रूप की पूजा करने के लिए विशेष रूप से रचा गया है। Panchmukhi Hanuman Kavach Lyrics में भगवान हनुमान जी का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया गया है। यह कवच उन भक्तों के लिए एक रक्षा … Read more

Shiv Chalisa Lyrics ॥दोहा॥   श्री गणेश गिरिजा सुवन। मंगल मूल सुजान॥ कहत अयोध्यादास तुम। देहु अभय वरदान॥ ॥चौपाई॥   जय गिरिजा पति दीन दयाला, सदा करत सन्तन प्रतिपाला। भाल चन्द्रमा सोहत नीके, कानन कुण्डल नागफनी के।   अंग गौर शिर गंग बहाये, मुण्डमाल तन छार लगाये। वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे, छवि को देख नाग मुनि मोहे।   मैना मातु की ह्वै दुलारी, बाम अंग सोहत छवि न्यारी। कर त्रिशूल सोहत छवि भारी, करत सदा शत्रुन क्षयकारी।   नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे, सागर मध्य कमल हैं जैसे। कार्तिक श्याम और गणराऊ, या छवि को कहि जात न काऊ।   देवन जबहीं जाय पुकारा, तब ही दुख प्रभु आप निवारा। किया उपद्रव तारक भारी, देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।   तुरत षडानन आप पठायउ, लवनिमेष महँ मारि गिरायउ। आप जलंधर असुर संहारा, सुयश तुम्हार विदित संसारा।   त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई, सबहिं कृपा कर लीन बचाई। किया तपहिं भागीरथ भारी, पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी।   दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं, सेवक स्तुति करत सदाहीं। वेद नाम महिमा तव गाई, अकथ अनादि भेद नहिं पाई।   प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला, जरे सुरासुर भये विहाला। कीन्ह दया तहँ करी सहाई, नीलकण्ठ तब नाम कहाई।   पूजन रामचंद्र जब कीन्हा, जीत के लंक विभीषण दीन्हा। सहस कमल में हो रहे धारी, कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।   एक कमल प्रभु राखेउ जोई, कमल नयन पूजन चहं सोई। कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर, भये प्रसन्न दिए इच्छित वर।   जय जय जय अनंत अविनाशी, करत कृपा सब के घटवासी। दुष्ट सकल नित मोहि सतावै , भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै।   त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो, यहि अवसर मोहि आन उबारो। लै त्रिशूल शत्रुन को मारो, संकट से मोहि आन उबारो।   मातु पिता भ्राता सब कोई, संकट में पूछत नहिं कोई। स्वामी एक है आस तुम्हारी, आय हरहु अब संकट भारी।   धन निर्धन को देत सदाहीं, जो कोई जांचे वो फल पाहीं। अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी, क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।   शंकर हो संकट के नाशन, मंगल कारण विघ्न विनाशन। योगी यति मुनि ध्यान लगावैं, नारद शारद शीश नवावैं।   नमो नमो जय नमो शिवाय, सुर ब्रह्मादिक पार न पाय। जो यह पाठ करे मन लाई, ता पार होत है शम्भु सहाई।   ॠनिया जो कोई हो अधिकारी, पाठ करे सो पावन हारी। पुत्र हीन कर इच्छा कोई, निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।  पण्डित त्रयोदशी को लावे, ध्यान पूर्वक होम करावे। त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा, तन नहीं ताके रहे कलेशा।   धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे। जन्म जन्म के पाप नसावे, अन्तवास शिवपुर में पावे। कहे अयोध्या आस तुम्हारी,जानि सकल दुःख हरहु हमारी।   ॥दोहा॥ नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

शिव चालीसा लिरिक्स | Shiv Chalisa Lyrics : भगवान शिव की महिमा और कृपा का पवित्र स्तोत्र

शिव चालीसा लिरिक्स भगवान शिव के महिमामय और अद्भुत गुणों का वर्णन करने वाला एक शक्तिशाली स्तोत्र है। इसमें 40 छंदों के माध्यम से शिवजी की आराधना की जाती है और उनके महान लीलाओं, शक्तियों, और सौम्य स्वरूप का वर्णन किया गया है। शिव भक्तों के लिए यह Shiv Chalisa Lyrics एक अद्वितीय साधना का … Read more

Sunderkand Lyrics | सुंदरकांड लिरिक्स

सुंदरकांड लिरिक्स, रामचरितमानस का एक अद्वितीय और प्रेरणादायक अध्याय है, जिसे पढ़ने और सुनने से मन को अपार शांति और शक्ति मिलती है। यह भगवान हनुमान की अद्वितीय वीरता, भक्ति और समर्पण की कथा है, जिसमें वे लंका की यात्रा कर सीता माता का पता लगाते हैं। Sunderkand Lyrics का पाठ करने से केवल धार्मिक … Read more

सूर्य देव की आरती ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान। जगत् के नेत्र स्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा। धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी॥ अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी किरण पसारे। तुम हो देव महान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते॥ फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ संध्या में भुवनेश्वर, अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते॥ गोधुली बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ देव दनुज नर नारी, ऋषि मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते॥ स्त्रोत ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ तुम हो त्रिकाल रचियता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार॥ प्राणों का सिंचन करके, भक्तों को अपने देते। बल बृद्धि और ज्ञान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ भूचर जल चर खेचर, सब के हो प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं॥ वेद पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्व शक्तिमान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ पूजन करती दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल॥ ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान। जगत के नेत्र रूवरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा॥ धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान॥

Surya dev ki Aarti lyrics | सूर्य देव की आरती लिरिक्स : कुष्ठरोग से छुटकारा

सूर्य देव को हिंदू धर्म में ऊर्जा, प्रकाश, और जीवन के स्रोत के रूप में पूजा जाता है। सूर्य देव की आरती लिरिक्स में उनकी महिमा और शक्ति का गुणगान करने के लिए किया जाता है, जो भक्तों को आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है। उन्हें नवग्रहों में प्रमुख स्थान प्राप्त है और वे … Read more