Krishna Ashtakam Lyrics | श्री कृष्ण अष्टकम लिरिक्स : श्रीकृष्ण की स्तुति का दिव्य पाठ

श्री कृष्ण अष्टकम लिरिक्स एक अत्यंत मधुर और भक्तिमय स्तोत्र के बोल है, जो भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान करता है। यह अष्टकम भक्तों के हृदय में भक्ति और प्रेम का संचार करता है। अगर आप Krishna Ashtakam Lyrics को पढ़ना या गाना चाहते हैं, तो यह आपको श्रीकृष्ण की लीलाओं और उनके दिव्य स्वरूप से जोड़ने में सहायक होगा। कृष्ण अष्टकम की रचना आदि शंकराचार्य जी ने की थी।

इस अष्टकम का हर श्लोक श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य, उनकी अलौकिक लीलाओं और उनकी भक्ति की महिमा को दर्शाता है। इस अष्टकम का नियमित पाठ करने से मन की शांति मिलती है, नकारात्मकता दूर होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। नीचे कृष्ण अष्टकम लिरिक्स इन हिंदी प्रस्तुत किया गया है, जिससे आप इसे सहजता से पढ़ और समझ सकें।

Krishna Ashtakam Lyrics

भजे व्रजैक मण्डनम्, समस्त पाप खण्डनम्
स्वभक्त चित्त रञ्जनम्, सदैव नन्द नन्दनम्॥
सुपिन्छ गुच्छ मस्तकम् , सुनाद वेणु हस्तकम्
अनङ्ग रङ्ग सागरम्, नमामि कृष्ण नागरम् ॥1॥

मनोज गर्व मोचनम् विशाल लोल लोचनम्
विधूत गोप शोचनम् नमामि पद्म लोचनम्॥
करारविन्द भूधरम् स्मितावलोक सुन्दरम्
महेन्द्र मान दारणम्, नमामि कृष्ण वारणम् ॥2॥

कदम्ब सून कुण्डलम् सुचारु गण्ड मण्डलम्
व्रजान्गनैक वल्लभम नमामि कृष्ण दुर्लभम॥
यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया
युतम सुखैक दायकम् नमामि गोप नायकम्॥3॥

सदैव पाद पङ्कजम मदीय मानसे निजम्
दधानमुत्तमालकम् , नमामि नन्द बालकम्॥
समस्त दोष शोषणम्, समस्त लोक पोषणम्
समस्त गोप मानसम्, नमामि नन्द लालसम्॥4॥

भुवो भरावतारकम् भवाब्दि कर्ण धारकम्
यशोमती किशोरकम्, नमामि चित्त चोरकम्॥
दृगन्त कान्त भङ्गिनम् , सदा सदालसंगिनम्
दिने दिने नवम् नवम् नमामि नन्द संभवम् ॥5॥

गुणाकरम् सुखाकरम् क्रुपाकरम् कृपापरम्
सुरद्विषन्निकन्दनम् , नमामि गोप नन्दनम्॥
नवीनगोप नागरम नवीन केलि लम्पटम्
नमामि मेघ सुन्दरम् तथित प्रभालसथ्पतम् ॥6॥

समस्त गोप नन्दनम् , ह्रुदम्बुजैक मोदनम्
नमामि कुञ्ज मध्यगम्, प्रसन्न भानु शोभनम्॥
निकामकामदायकम् दृगन्त चारु सायकम्
रसालवेनु गायकम, नमामि कुञ्ज नायकम् ॥7॥

विदग्ध गोपिका मनो मनोज्ञा तल्पशायिनम्
नमामि कुञ्ज कानने प्रवृद्ध वह्नि पायिनम्॥
किशोरकान्ति रञ्जितम, द्रुगन्जनम् सुशोभितम
गजेन्द्र मोक्ष कारिणम, नमामि श्रीविहारिणम॥8॥

यथा तथा यथा तथा तदैव कृष्ण सत्कथा
मया सदैव गीयताम् तथा कृपा विधीयताम॥
प्रमानिकाश्टकद्वयम् जपत्यधीत्य यः पुमान
भवेत् स नन्द नन्दने भवे भवे सुभक्तिमान॥9॥

॥ ॐ नमो श्रीकृष्णाय नमः॥
॥ ॐ नमो नारायणाय नमः॥

इसका पाठ न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि यह भक्तों को श्रीकृष्ण की असीम कृपा का अनुभव भी कराता है। यदि आप अपने जीवन में सकारात्मकता, भक्ति और शांति लाना चाहते हैं, तो इस अष्टकम का नियमित रूप से जाप करें। कृष्ण अष्टकम के साथ आप अन्य भक्ति मंत्र जैसे “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे” का जाप भी कर सकते हैं, जिससे भक्ति और ध्यान की शक्ति और बढ़ जाती है। इसके मधुर शब्द और भक्ति से भरे भाव मन को प्रसन्नता और सुकून देते हैं।

श्री कृष्ण अष्टकम पाठ विधि

  1. स्नान एवं शुद्धता: पाठ से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और एक शांत स्थान पर बैठें।
  2. पूजन सामग्री: भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं, पुष्प अर्पित करें, और भोग (माखन-मिश्री या फल) चढ़ाएं।
  3. संकल्प: श्रीकृष्ण का ध्यान करें और उनके चरणों में अपने मन को समर्पित करें।
  4. पाठ का समय: सुबह या संध्या के समय कृष्ण अष्टकम लिरिक्स का पाठ करना उत्तम माना जाता है। विशेष रूप से जन्माष्टमी, एकादशी, और बुधवार को पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
  5. उच्चारण: शुद्ध भाव और सही उच्चारण के साथ इस अष्टकम का पाठ करें। यदि संभव हो तो इसे सुनते हुए भी इसका भावपूर्वक स्मरण करें।
  6. प्रार्थना: अष्टकम समाप्त होने के बाद भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना करें और उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करें।
  7. आरती: अंत में श्रीकृष्ण की आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें तथा अपने परिवार और भक्तों में बाँटें।

इस विधि से Krishna Ashtakam का पाठ करने से श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है, मन को शांति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

FAQ

क्या इसका पाठ केवल हिंदू धर्म के लोग ही कर सकते हैं?

नहीं, कृष्ण अष्टकम का पाठ सभी धर्मों और पंथों के लोग कर सकते हैं, क्योंकि यह प्रेम, भक्ति और शांति का स्तोत्र है।

इसको कितनी बार पढ़ना चाहिए?

क्या कृष्ण अष्टकम का नियमित पाठ आवश्यक है?

क्या पाठ करते समय कोई विशेष ध्यान रखना चाहिए?

कृष्ण अष्टकम का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?

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