कान्हा ले गयी जिया तेरी मुरली मधुर

कान्हा की मधुर मुरली जब बजती है, तो हर जीव की आत्मा उसमें खो जाती है। कान्हा ले गयी जिया तेरी मुरली मधुर भजन उस दिव्य आकर्षण को दर्शाता है, जो श्रीकृष्ण की बांसुरी से निकलने वाली तान के माध्यम से भक्तों के हृदय को मोह लेता है। यह भजन प्रेम, भक्ति और आत्मसमर्पण की उस अनमोल भावना को प्रकट करता है, जहाँ भक्त का मन कान्हा की मुरली की मिठास में बह जाता है। आइए, इस भजन को पढ़ें और श्रीकृष्ण की माधुरी मुरली की मधुरिमा का आनंद लें।

Kanha Le Gayi Jiya Teri Murli Madhur

कान्हा ले गयी जिया,
तेरी मुरली मधुर।

दोहा – मोहन नैना आपके,
नौका के आधार,
जो जन इनमे बस गए,
सो जन हे गए पार।।1।

कान्हा ले गयी जिया,
तेरी मुरली मधुर,
कैसा जादू किया,
भूली मैं तो अपनी डगर,
कान्हा ले गई जिया,
तेरी मुरली मधुर।।2।।

पहले ये बाजे मधुवन में,
अब तो ये बाजे वन वन में,
क्या करूँ आली मैं तो,
जाऊं किधर,
कान्हा ले गई जिया,
तेरी मुरली मधुर।।3।

माना ये मुरली प्यारी है,
फिर भी ये सौत हमारी है,
हमसे ज्यादा प्रीत लगाई,
रहती अधर,
कान्हा ले गई जिया,
तेरी मुरली मधुर।।4।

कबसे ये मुरली बजाई है,
तबसे नींद नहीं आयी है,
सुन सुन के हम सबके दिल में,
उठती लहर,
कान्हा ले गई जिया,
तेरी मुरली मधुर।।5।

कान्हा ले गई जिया,
तेरी मुरली मधुर,
कैसा जादू किया,
भूली मैं तो अपनी डगर,
कान्हा ले गई जिया,
तेरी मुरली मधुर।।6।।

श्रीकृष्ण की मुरली केवल एक वाद्य नहीं, बल्कि वह प्रेम, शांति और भक्ति का संदेश है, जो हर हृदय को मोह लेता है। उनकी मधुर तान में वह शक्ति है, जो मन के हर द्वंद्व को समाप्त कर देती है। इस दिव्यता को तेरी सूरतिया जादूगारी रे सांवरा सांवरा, मन मोहन मूरत तेरी प्रभु, सांवरे का रंग जिसपे चढ़ जाता है, जिसका मेरे श्याम से लगाव हो गया जैसे भजनों में भी अनुभव किया जा सकता है। आइए, इन भजनों को भी पढ़ें और कान्हा की मधुर मुरली की धुन में खो जाएं। जय श्री कृष्ण! ????????????

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