जब जीवन के कठिन मार्ग पर निराशा घेर लेती है, तब एक भक्त की एकमात्र आशा श्रीकृष्ण ही होते हैं। वे दीनों के नाथ हैं, करुणा के सागर हैं, और हर भक्त की पुकार सुनते हैं। भजन दीनो के नाथ दीनानाथ हमारी सुध लो प्रभु जी इसी भाव को प्रकट करता है, जहाँ एक भक्त अपने मन की पीड़ा श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पित करता है और उनकी कृपा की याचना करता है। आइए, इस भजन के माध्यम से श्रीकृष्ण की करुणा और अनुकंपा का अनुभव करें।
Dino Ke Nath Dinanath Hamari Sudh Lo Prabhu Ji
दीनो के नाथ दीनानाथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी।1।
जन जन बेहाल प्रभु जी,
भीषण अकाल से,
कठिन है गुजारा अब तो,
पत्तों से छाल से,
विपत में निभावे कौन साथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी,
दीनों के नाथ दीनानाथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी।2।
नेत्र हिन पितृ हिन,
बालक बेचारा,
तुम बिन इस वन में,
कौन देगा सहारा,
आके पकड़ लो इसका हाथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी,
दीनों के नाथ दीनानाथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी।3।
दूर दिन के मारे दे दे,
भए बेसहारे,
नारायण प्रभु जी पल में,
बिगड़ी सँवारे,
जिन्होंने झुकाए सन्मुख माथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी,
दीनों के नाथ दीनानाथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी।4।
दीनो के नाथ दीनानाथ,
हमारी सुध लो प्रभु जी।5।
श्रीकृष्ण हमेशा अपने भक्तों के दुःख हरने वाले हैं, बस हमें सच्चे मन से पुकारने की देर है। उनकी भक्ति में जो डूब जाता है, उसे कभी अकेला नहीं रहना पड़ता। ऐसे ही भक्तिमय भजनों को पढ़ें और करें, जैसे सुना है तेरे दर पे आके मोहन, मुझको तो मेरे श्याम धणी का प्यार चाहिए, राधे राधे जपो चले आएंगे बिहारी और गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, जिससे श्रीकृष्ण की भक्ति और अधिक प्रगाढ़ हो जाए। 🙏💙