क्या पाया क्या छोड़ा हनुमान जी भजन लिरिक्स

यह भजन क्या पाया, क्या छोड़ा – हनुमान जी भक्ति, त्याग और हनुमान जी के आदर्श जीवन को दर्शाता है। इस भजन में यह संदेश निहित है कि सच्ची भक्ति में किसी प्रकार का लोभ, मोह या स्वार्थ नहीं होता। हनुमान जी ने अपने जीवन में हर सांस, हर कर्म और हर विचार को श्रीराम के चरणों में अर्पित कर दिया। उन्होंने न कुछ पाया, न कुछ छोड़ा, बस अपने आराध्य प्रभु की सेवा को ही अपना धर्म माना।

Kya Paya Kya chhora Hanuman Ji Bhajan Lyrics

दोहा –
हनुमान तेरी कृपा का, भंडारा चल रहा है,
हर ओर घना अँधेरा, मेरा दीप जल रहा है,
कोई रहा ना बेबस, ना कोई अभागा,
तूने दिया भगत को, किस्मतो से ज़्यादा।

सुध बुध खोई मैंने, मन हनुमान से जोड़ा,
अब काहे मैं सोचूं, क्या पाया क्या छोड़ा,
क्या पाया क्या छोडा।।

सूखे में सावन सा, तू कश्ती तूफानों की,
गिनती ना हो पाए, तेरे एहसानों की,
भक्तों ने जब भी पुकारा, तू आया दौड़ा दौड़ा,
क्या पाया क्या छोडा।।

जो भी हनुमान को पूजे, और चाहे सच्चे मन से,
कोसो दूर है रहता, दुःख उसके जीवन से,
सबने दुःख में छोड़ा, पर तूने मुख ना मोड़ा,
क्या पाया क्या छोडा।।

सुध बुध खोई मैंने, मन हनुमान से जोड़ा,
अब काहे मैं सोचूं, क्या पाया क्या छोडा।।

Kya Paya Kya chhora Hanuman Ji भजन हनुमान जी के नि:स्वार्थ प्रेम, त्याग और सेवा भावना का प्रतीक है। यह भजन हमें सिखाता है कि हमारे जीवन का उद्देश्य भी सेवा, प्रेम और परोपकार होना चाहिए। जय श्रीराम! जय हनुमान! 🚩🔥

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