बूटी ला दे रे बालाजी | Booti La De Re Balaji

जब भी संकट गहराता है और सारी उम्मीदें खत्म होने लगती हैं, तब हनुमान जी की कृपा ही भक्तों के जीवन में संजीवनी बूटी बनकर आती है। बूटी ला दे रे बालाजी भजन उसी दिव्य कृपा की याद दिलाता है, जब हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को पुनर्जीवित किया था। यह भजन हमें विश्वास दिलाता है कि बालाजी महाराज हर कठिनाई में हमारे सहायक बनते हैं और अपने भक्तों की रक्षा करने सदैव तत्पर रहते हैं।

Booti La e re balaji

बूटी ला दे रे बालाजी, बूटी ला दे रे,
कहे ये राम पुकार,
ओ मेरे पवनकुमार,
लखन के प्राण बचा ले रे,
बुटी ला दे रे बालाजी, बूटी ला दे रे……

असुरो ने इसे शक्ति लगाई,
मेरे लखन ने सुध बिसराई,
देखो ये कैसे सोया है,
मेरा सब कुछ ही खोया है,
संजीवन बूटी जो आए,
मेरा लखन जीवित हो जाए,
बुटी ला दे रे……..

ना इनका ना मेरे बस का,
काम है ये बस तेरे बस का,
जा जल्दी जा बूटी तू ले आ,
देर कहीं ना हो जाए ज्यादा,
बुटी ला दे रे, बुटी ला दे रे बालाजी,
बुटी ला दे रे……..

पहले वन में खोई नारी,
अब मुश्किल भाई पे भारी,
अवधपुरी कैसे जाऊंगा,
माँ को क्या मुंह दिखलाऊंगा,
लक्ष्मण है इकलौता बेटा,
सुधबुध खोकर ये है लेटा,
ओ बालाजी संकट टारो,
संकट मोचन नाम तिहारो,

द्रोणागिरी पर्वत पर जाओ,
संजीवन को ढूंढ के लाओ,
देखो ना ज्यादा देर लगाना,
भोर से पहले वापस आना,
बुटी ला दे रे, बुटी ला दे रे बालाजी,
बुटी ला दे रे ……

इतना सुनकर बजरंग बाला,
शीश नवाकर हो मतवाला,
उड़ गया ऊँचे अम्बर में वो,
ओझल हो गया नजरों से वो,
द्रोणगिरी पर वो जा पंहुचा,
माया रच दी असुरो ने वहाँ….

जब बूटी ना मिली हनुमत को,
ढूंढ ढूंढ के झुंझला गया वो,
कब पूरा पर्वत ही उठाया,
और अयोध्या पर जब आया,
तीर चलाया वीर भरत ने,
राम नाम बोला हनुमत ने,
धरती पर जब गिरे हनुमंता…….

वीर भरत को हो गई चिंता,
हनुमत ने सब हाल सुनाया,
सुन के भरत ने शीघ्र पठाया,
सूर्योदय से पहले बेखबर,
जोर जोर से बोले वानर,
बुटी ला दे रे, बुटी लाए रे बालाजी,
बुटी लाए रे…..

बालाजी महाराज की महिमा अपरंपार है। जो सच्चे मन से उन्हें पुकारता है, उसकी हर मुश्किल आसान हो जाती है। उनकी भक्ति हमें जीवन की हर बाधा से लड़ने की शक्ति देती है। अगर इस भजन आपका मन भक्ति से भर उठा है, तो [अगला भजन: “झोपड़िया छोटी सी”] भी अवश्य गाये, जिसमें भक्त और भगवान के स्नेह का अद्भुत वर्णन किया गया है। 🚩 जय श्री बालाजी!

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