गंगा आरती समय वाराणसी में: एक बार देख ली, तो जीवन भर दिल में बस जाती है

वाराणसी… केवल एक शहर ही नहीं, एक एहसास भी है, जहां शाम ढलते या सुबह होते ही सूरज की पहली किरण के साथ जो दृश्य सिर्फ आँखों से नहीं, रूह से देखा जाता है, वो है गंगा आरती। अगर आप वाराणसी आ रहे हैं, तो गंगा आरती समय वाराणसी में जरूर पता होना चाहिए । इसलिए हमने आपके लिए यहां Ganga Aarti Time In Varanasi की जानकारी विस्तार से दी है –

गंगा आरती का महत्व

गंगा आरती एक धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें गंगा माँ की पूजा की जाती है। आरती दीपों, शंखों, घंटियों और वेद-मंत्रों के साथ की जाती है। यह नज़ारा इतना अलौकिक होता है कि हजारों लोग हर रोज़ इसे देखने घाटों की ओर खिंचे चले आते हैं – कोई श्रद्धा से, कोई अनुभव की तलाश में।

Ganga Aarti Time In Varanasi

  • दशाश्वमेध घाट की आरती टाइमिंग
  • अस्सी घाट पर आरती टाइमिंग

दशाश्वमेध घाट की आरती टाइमिंग

वाराणसी की सबसे भव्य गंगा आरती हर शाम दशाश्वमेध घाट पर होती है। यहाँ आरती देखने का अनुभव शब्दों में बाँधना मुश्किल है। जैसे ही सूरज गंगा में डूबता है, दर्जनों पुरोहित एकसाथ दीप लेकर खड़े हो जाते हैं। शंख बजते हैं, मंत्र गूंजते हैं, और चारों तरफ रौशनी की लहरें दौड़ जाती हैं। यह सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं होता, ये मानो माँ गंगा को विदा देने का एक दिव्य उत्सव होता है।

दशाश्वमेध घाट की आरती

आरती का समय:

  • सुबह: 4:30 से 5:00 बजे तक (शांत, कम भीड़ और आत्मिक अनुभव)
  • शाम:
    • सर्दियों में – 6:30 बजे
    • गर्मियों में – 7:00 बजे

आरती शुरू होने से कम से कम 1 घंटा पहले घाट पर पहुँच जाना अच्छा रहता है, खासकर अगर आप अच्छी जगह से देखना चाहते हैं।

कैसे पहुँचे वाराणसी और घाट तक?

वाराणसी एक बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है, जहाँ पहुँचना बेहद आसान है:

  • रेल मार्ग से: वाराणसी जंक्शन और कैंट स्टेशन देश के लगभग हर कोने से जुड़े हुए हैं। स्टेशन से दशाश्वमेध घाट लगभग 4-5 किलोमीटर दूर है। ऑटो, रिक्शा या ओला-उबर से आराम से पहुँचा जा सकता है।
  • हवाई मार्ग से: लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट (बाबतपुर) शहर से 25 किलोमीटर दूर है। टैक्सी से 45 मिनट में घाट तक पहुँच सकते हैं।
  • सड़क मार्ग से: उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों से बस या कार से भी आसानी से पहुँचा जा सकता है।

सुबह-ए-बनारस: अस्सी घाट पर आरती टाइमिंग

जब शहर अभी नींद में होता है, तब बनारस का अस्सी घाट जागता है – न सिर्फ आँखों से, बल्कि आत्मा से। यहाँ की आरती सिर्फ दीप जलाने या मंत्र पढ़ने की रस्म नहीं है, यह एक जीवंत चेतना है, जहाँ हर शख्स, हर लहर जैसे प्रभु से जुड़ने की कोशिश करती है। इसे ही कहते हैं – “सुबह-ए-बनारस“, एक आध्यात्मिक सुबह जो याद बनकर जीवन भर आपके साथ रहती है।

सुबह-ए-बनारस: अस्सी घाट पर आरती

Ganga Aarti Time In Varanasi- Assi Ghat

  • हर रोज़ सुबह 4:30 से 5:30 बजे तक
  • शाम की आरती (गर्मी में) – शाम 6:30 बजे
  • शाम की आरती (सर्दियों में) – शाम 6:00 बजे
  • साल भर चलती है, चाहे मौसम कोई भी हो
  • विशेष आयोजनों में गंगा आरती समय वाराणसी में थोड़े बदलाव हो जाते है, जैसे कार्तिक महीने में

बेहतर अनुभव के लिए 4:15 बजे तक घाट पहुँच जाना सही रहता है।

यह आरती बाकी जगहों से अलग क्यों है?

दशाश्वमेध घाट पर जहाँ भव्यता और आकर्षण होता है, वहीं अस्सी घाट पर आरती का स्वरूप बहुत शांत, सौम्य और आत्मिक होता है। यहाँ आरती का मकसद है – भीतर झाँकना, स्वयं को महसूस करना, और गंगा माँ के सान्निध्य में एक नई सुबह की शुरुआत करना। यह जगह उन लोगों के लिए है जो भीड़ से दूर, खुद से मिलने आए हैं।

कैसे पहुँचे अस्सी घाट?

अस्सी घाट, वाराणसी के दक्षिणी छोर पर स्थित है और बहुत आसानी से पहुँचा जा सकता है:

  • रेलवे स्टेशन (वाराणसी जंक्शन) से लगभग 6–7 किलोमीटर की दूरी
  • ऑटो, टैक्सी, ई-रिक्शा सभी उपलब्ध हैं
  • अगर आप घाट के पास होटल या गेस्टहाउस लेते हैं, तो आप सुबह पैदल भी घाट तक पहुँच सकते हैं – और रास्ते में उठते बनारस की खूबसूरती देख सकते हैं

आरती के साथ क्या-क्या होता है?

Ghat Activites
  1. योग और प्राणायाम: सुबह 4:30 बजे जैसे ही घाट पर हल्की रोशनी और ठंडी हवा महसूस होती है, वहाँ पर योगगुरु और साधक मिलकर योग और प्राणायाम शुरू करते हैं।
  2. भजन: योग के बाद आरती से पहले गायक और वादक मिलकर भक्ति संगीत प्रस्तुत करते हैं। तबला, बाँसुरी, हारमोनियम और शांत सुरों में गूंजते भजन – हर एक धुन मानो दिल के तार छू जाती है।
  3. आरती का अद्भुत दृश्य: फिर जब सूरज की पहली किरण गंगा पर पड़ती है, आरती शुरू होती है। पंडित शंख बजाते हैं, दीप जलाते हैं और गंगा माँ की स्तुति होती है। आरती का हर शब्द, हर दीप, हर लहर एक सच्चे आशीर्वाद की तरह लगता है।

कब जाएं गंगा आरती देखने?

अब बात करते हैं सबसे सही समय की, ताकि आप अनुभव का भरपूर आनंद ले सकें:

  • अक्टूबर से मार्च: मौसम सुहावना होता है। शाम को घाट पर बैठना बेहद सुखद लगता है। यह पिक सीज़न होता है, इसलिए बुकिंग पहले करें।
  • अप्रैल से जून: गर्मी होती है, लेकिन शाम को ठंडी हवा राहत देती है। भीड़ थोड़ी कम होती है।
  • जुलाई से सितम्बर: मानसून के दौरान घाट पर आरती देखना बहुत खास होता है। हल्की बारिश, भीगे घाट और मंत्रों की गूंज – अलग ही अनुभूति।

आरती के कुछ विशेष दिन

कुछ दिन ऐसे होते हैं जब बनारस एक अलग ही जगमगाते रूप में नज़र आता है-

  • देव दीपावली (नवंबर)गंगा के दोनों किनारे दीपों से सजते हैं, आरती का भव्यतम रूप।
  • कार्तिक पूर्णिमापूर्णिमा की रात, गंगा किनारे आरती – जैसे पूरा चाँद नदी में उतर आया हो।
  • महाशिवरात्रि, मकर संक्रांति, गंगा दशहराघाटों पर विशेष आयोजन, भीड़ और भक्ति दोनों चरम पर।

आरती देखने के तरीके

  • घाट की सीढ़ियों से – सबसे क्लासिक तरीका, भीड़ होती है, पर मज़ा भी वहीं है।
  • VIP सीट्स से – कुछ एजेंसियाँ बुकिंग कराती हैं; शांतिपूर्वक आरती देखने के लिए बेहतर विकल्प।
  • नाव से – गंगा की लहरों पर बैठकर जब आप आरती देखते हैं, तो लगता है जैसे स्वर्ग से कोई दृश्य आपकी आँखों में उतर आया हो।

गंगा आरती सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं है, यह एक अनुभव है, जो दिल और आत्मा को छू जाता है, इसलिए Ganga Aarti Timing In Varanasi की यह जानकारी आपके लिए बहुत लाभदायक होगी। बनारस आओ, घाट पर बैठो, और जब दीप लहरों पर तैरते हैं, तो बस देखो… कैसे समय थम जाता है और मन शांत हो जाता है।

FAQ

वाराणसी में गंगा आरती कहाँ-कहाँ होती है?

यह कार्यक्रम किस संगठन द्वारा चलाया जाता है?

क्या गंगा आरती हर दिन होती है?

गंगा आरती देखने के लिए कोई टिकट लगता है क्या?

आम जनता के लिए कोई टिकट नहीं है।
VIP सीट्स और बोट से देखने के लिए बुकिंग करनी पड़ती है।

क्या गंगा आरती के समय फोटोग्राफी की जा सकती है?

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