दुर्गा स्तुति लिरिक्स एक अत्यधिक पवित्र और प्रभावशाली भक्ति गीत है, जिसे विशेष रूप से माँ दुर्गा की पूजा और आराधना में गाया जाता है। Durga Stuti Lyrics का पाठ या गायन करते समय भक्तों का मन शांति और श्रद्धा से भर जाता है। यह स्तुति माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की महिमा का वर्णन करती है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए गाई जाती है। इसमें माँ दुर्गा के रूपों की प्रशंसा के साथ-साथ उनके अद्भुत शक्तियों का भी बखान किया जाता है, जो सभी प्रकार की बाधाओं और संकटों से मुक्ति दिलाती हैं।
यह स्तुति माँ के शरण में आने का एक श्रेष्ठ तरीका है, जिसमें भक्त अपनी समस्त इच्छाओं, संकटों और शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए उनकी महिमा का गान करते हैं। दुर्गा स्तुति PDF में भी उपलब्ध है, जो आपके पाठ को आसान बनाता है और भक्त के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है। यहां हमने आपके लिए नीचे इस लिरिक्स को उपलब्ध कार्य है।
श्लोक
सर्व मंगल मांगल्ए शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ए त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥
दुर्गा स्तुति लिरिक्स
जय जग जननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी मां।
उमा रमा गौरी ब्रह्माणी,
जय त्रिभुवन सुख कारिणी मां॥
हे महालक्ष्मी हे महामाया,
तुम में सारा जगत समाया।
तीन रूप तीनों गुण धारिणी,
तीन काल त्रैलोक बिहारिणी॥
हरि हर ब्रह्मा इंद्रादिक क
सारे काज संवारिणी माँ।
जय जग जननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी मां॥
शैल सुता मां ब्रह्मचारिणी,
चंद्रघंटा कूष्मांडा माँ।
स्कंदमाता कात्यायनी माताम,
शरण तुम्हारी सारा जहां॥
कालरात्रि महागौरी तुम हो,
सकल रिद्धि सिद्धि धारिणी मां।
जय जग जननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी माँ॥
अजा अनादि अनेका एका,
आद्या जया त्रिनेत्रा विद्या।
नाम रूप गुण कीर्ति अनंता,
गावहिं सदा देव मुनि संता॥
अपने साधक सेवक जन पर,
सुख यश वैभव वारिणी मां।
जय जगजननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी मां॥
दुर्गति नाशिनी दुर्मति हारिणी दुर्ग निवारण दुर्गा मां,
भवभय हारिणी भवजल तारिणी सिंह विराजिनी दुर्गा मां।
पाप ताप हर बंध छुड़ाकर जीवो की उद्धारिणी माँ,
जय जग जननी आदि भवानी जय महिषासुर मारिणी माँ॥
यह स्तुति जीवन में यह स्तुति देवी माँ की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक उत्कृष्ट माध्यम है। माँ की कृपा को सदा अपने ऊपर बनाये रखने के लिए इसका नियमित पाठ करें और साथ-साथ Durga Devi Mantram, Durga Ji Ke 32 Naam और Durga Bhajan को भी अपने नियमित पाठ में शामिल करें।
Durga Stuti Lyrics पाठ की विधि
दुर्गा स्तुति का पाठ करने से पहले कुछ आवश्यक बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि पूजा और पाठ विधिपूर्वक संपन्न हो सके। सही विधि से किया गया पाठ भक्त के जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता लाता है। नीचे दुर्गा स्तुति के पाठ की विधि दी जा रही है:
- स्थान: सबसे पहले, एक शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें। यह स्थान पूजा करने के लिए उपयुक्त होना चाहिए, जहां आपको किसी प्रकार की विघ्न-बाधा न हो।
- स्नान: पूजा और पाठ करने से पहले स्नान करके शुद्ध हो जाएं, ताकि मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनी रहे। यह पूजा को और अधिक प्रभावशाली बनाता है।
- पूजा सामग्री: फूल, दीपक, धूप, सुपारी, चावल, और फल जैसे पूजा सामग्री तैयार करें। माँ दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति को पूजा स्थान पर रखें और उन्हें शुद्ध करें।
- संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले कुछ क्षणों के लिए शांत बैठकर माँ दुर्गा का ध्यान करें और उनका रूप और शक्ति का मानसिक रूप से कल्पना करें। मूर्ति के सामने संकल्प लें कि आप माँ दुर्गा से आशीर्वाद और जीवन में समृद्धि के लिए पाठ कर रहे हैं।
- पाठ का आरंभ: अब दुर्गा स्तुति के लिरिक्स का पाठ करें। अतः इसे पूरी श्रद्धा और भावनाओं के साथ पढ़ें। पाठ करते समय, मन को एकाग्र रखें और हर शब्द को ध्यानपूर्वक उच्चारण करें।
- समाप्ति और प्रार्थना: जब आप स्तुति का पाठ समाप्त कर लें, तो अंत में माँ दुर्गा से आशीर्वाद की प्रार्थना करें। अपनी और अपने परिवार की सुख-शांति, समृद्धि और सुरक्षा के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। पूजा स्थल को साफ करें और प्रसाद वितरण करें।
- प्रसाद अर्पण: पूजा के बाद आप माँ दुर्गा को फल, मिठाई, या अन्य अर्पित करें। इसके बाद प्रसाद के रूप में यह सब अपने परिवार के अन्य सदस्य और भक्तों को वितरित करें।
- सच्ची श्रद्धा: सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दुर्गा स्तुति का पाठ सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाए। माँ दुर्गा की उपासना में पूरी एकाग्रता और समर्पण आवश्यक है।
यह पाठ एक अद्भुत साधना है, जो भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और उन्हें हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करता है।
पाठ करने के लाभ
माँ दुर्गा के आशीर्वाद से यह पाठ भक्त के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। यहाँ दुर्गा स्तुति पाठ के कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं-
- शांति और संतुलन: दुर्गा स्तुति का नियमित पाठ मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: माँ दुर्गा के स्तुति पाठ से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह घर या पूजा स्थल के वातावरण को शुद्ध करता है, जिससे नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक विचारों का संचार होता है।
- साहस में वृद्धि: दुर्गा स्तुति का पाठ करने से व्यक्ति में मानसिक और शारीरिक साहस का संचार होता है। यह जीवन के कठिनतम क्षणों में भी हिम्मत और सहनशक्ति प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति समस्याओं का डटकर सामना करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: इसके पाठ से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- रक्षा और सुरक्षा: माँ दुर्गा की उपासना से जीवन में सुरक्षा की भावना बढ़ती है। स्तुति पाठ से न केवल व्यक्ति को शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है, बल्कि यह उसे नकारात्मक शक्तियों से भी रक्षा करता है।
- दुष्कर्म: इसका पाठ व्यक्ति को बुरे ग्रहों और दुष्कर्मों के प्रभाव से बचाता है। यह व्यक्ति को जीवन में आने वाली विपत्तियों और कष्टों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
- समृद्धि का वर्धन: पाठ करने से माँ दुर्गा की कृपा होती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में आर्थिक समृद्धि और संपत्ति की वृद्धि होती है।
- स्वास्थ्य में सुधार: दुर्गा स्तुति का पाठ शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार लाता है। यह व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक ऊर्जा स्तर को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति अधिक ऊर्जावान और स्वस्थ महसूस करता है।
दुर्गा स्तुति पाठ एक शक्तिशाली साधना है जो मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करती है। इसे सच्चे विश्वास और श्रद्धा से किया जाए तो यह जीवन को समृद्ध और सुखमय बना सकता है।
FAQ
पाठ करने का सबसे अच्छा समय क्या है ?
पाठ के लिए सबसे अच्छा समय ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह के 4-6 बजे का होता है।
इस स्तुति का पाठ कब करना चाहिए?
स्तुति का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान, मंगलवार और शुक्रवार को किया जाता है।
दुर्गा जी के स्तुति का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
इसे कम से कम 11, 51, 21 बार या 108 बार पढ़ने की सलाह दी जाती है। माला का उपयोग करने से पाठ की संख्या सुनिश्चित हो जाती है।
क्या इसका पाठ घर में किया जा सकता है?
हां, इसका पाठ घर में भी किया जा सकता है।
क्या दुर्गा का पाठ बिना माला के किया जा सकता है?
हां, स्तुति का पाठ बिना माला के भी किया जा सकता है। लेकिन माला का उपयोग करने से जाप की संख्या सुनिश्चित होती है
दुर्गा स्तुति का पाठ कब और क्यों करना चाहिए?
उत्तर: दुर्गा स्तुति का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान, मंगलवार और शुक्रवार को किया जाता है। यह पाठ जीवन में शांति, समृद्धि, और सकारात्मक ऊर्जा के लिए किया जाता है। कठिन परिस्थितियों में भी यह पाठ संकटों से उबारने में मदद करता है।
दुर्गा स्तुति पाठ की विधि क्या है?
उत्तर: दुर्गा स्तुति पाठ के लिए पहले एक शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर स्नान करके शुद्ध हो जाएं। फिर माँ दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और उनका ध्यान करके स्तुति का पाठ करें। पाठ को पूरे ध्यान और श्रद्धा के साथ पढ़ें।
दुर्गा स्तुति का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
उत्तर: दुर्गा स्तुति का पाठ एक बार में पूरे ध्यान और श्रद्धा से किया जा सकता है, लेकिन यदि नियमित रूप से करना है तो इसे कम से कम 11 बार या 108 बार पढ़ने की सलाह दी जाती है। माला का उपयोग करने से पाठ की संख्या सुनिश्चित हो जाती है।
क्या दुर्गा स्तुति का पाठ केवल महिलाओं को करना चाहिए?
उत्तर: नहीं, दुर्गा स्तुति का पाठ किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला। यह स्तुति सभी भक्तों के लिए समान रूप से लाभकारी है।
दुर्गा स्तुति के लाभ क्या हैं?
उत्तर: दुर्गा स्तुति का पाठ मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि, और स्वास्थ्य में सुधार लाता है। यह जीवन के कठिनाइयों से उबारने, संकटों को दूर करने और शत्रुओं से रक्षा करने में भी मदद करता है।
क्या दुर्गा स्तुति पाठ करने से स्वास्थ्य लाभ होता है?
उत्तर: हां, दुर्गा स्तुति का पाठ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह तनाव और चिंता को दूर करता है, जिससे शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
क्या दुर्गा स्तुति का पाठ घर में किया जा सकता है?
उत्तर: हां, दुर्गा स्तुति का पाठ घर में भी किया जा सकता है। घर में एक पवित्र स्थान पर माँ दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति रखकर पाठ करना अधिक प्रभावी होता है। घर में किया गया यह पाठ सुख-शांति और समृद्धि का कारण बनता है।
क्या दुर्गा स्तुति का पाठ बिना माला के किया जा सकता है?
उत्तर: हां, दुर्गा स्तुति का पाठ बिना माला के भी किया जा सकता है। लेकिन माला का उपयोग करने से जाप की संख्या सुनिश्चित होती है और ध्यान को स्थिर बनाए रखने में मदद मिलती है।