नाकोड़ा भैरव चालीसा एक अत्यंत प्रभावशाली स्तुति है, जो राजस्थान के प्रसिद्ध नाकोड़ा भैरव जी को समर्पित है। यह चालीसा भक्तों द्वारा संकट, भय, और व्यापारिक बाधाओं से मुक्ति के लिए श्रद्धा से पढ़ी जाती है। Nakoda Bhairav Chalisa का पाठ नाकोड़ा धाम में मुख्य रूप से भैरव अष्टमी के दिन बहुत श्रद्धा के साथ किया जाता है-
Nakoda Bhairav Chalisa Lyrics
पार्श्वनाथ भगवान की॥
मूरत चित बसाए॥1॥
भैरव चालीसा लिखू॥
गाता मन हरसाए ॥2॥
नाकोडा भैरव सुखकारी॥
गुण गाये ये दुनिया सारी॥3॥
भैरव की महिमा अति भारी॥
भैरव नाम जपे नर नारी॥ 4॥
जिनवर के हैं आज्ञाकारी॥
श्रद्धा रखते समकित धारी ॥5॥
प्रातःउठ जो भैरव ध्याता॥
ऋद्धि सिद्धि सब संपत्ति पाता ॥6॥
भैरव नाम जपे जो कोई॥
उस घर में निज मंगल होई॥7॥
नाकोडा लाखों नर आवे॥
श्रद्धा से परसाद चढावे॥8॥
भैरव–भैरव आन पुकारे॥
भक्तों के सब कष्ट निवारे॥9॥
भैरव दर्शन शक्ति–शाली॥
दर से कोई न जावे खाली॥10॥
जो नर नित उठ तुमको ध्यावे॥
भूत पास आने नहीं पावे॥11॥
डाकण छूमंतर हो जावे॥
दुष्ट देव आडे नहीं आवे॥12॥
मारवाड की दिव्य मणि हैं॥
हम सब के तो आप धणी हैं॥13॥
कल्पतरु है परतिख भैरव॥
इच्छित देता सबको भैरव॥14॥
आधि व्याधि सब दोष मिटावे॥
सुमिरत भैरव शान्ति पावे॥15॥
बाहर परदेशे जावे नर॥
नाम मंत्र भैरव का लेकर॥16॥
चोघडिया दूषण मिट जावे॥
काल राहु सब नाठा जावे॥17॥
परदेशा में नाम कमावे॥
धन बोरा में भरकर लावे ॥18॥
तन में साता मन में साता॥
जो भैरव को नित्य मनाता॥19॥
मोटा डूंगर रा रहवासी॥
अर्ज सुणन्ता दौड्या आसी॥20॥
जो नर भक्ति से गुण गासी॥
पावें नव रत्नों की राशि॥21॥
श्रद्धा से जो शीष झुकावे॥
भैरव अमृत रस बरसावे॥22॥
मिल जुल सब नर फेरे माला॥
दौड्या आवे बादल–काला॥23॥
वर्षा री झडिया बरसावे॥
धरती माँ री प्यास बुझावे॥24॥
अन्न–संपदा भर भर पावे॥
चारों ओर सुकाल बनावे॥25॥
भैरव है सच्चा रखवाला॥
दुश्मन मित्र बनाने वाला॥26॥
देश–देश में भैरव गाजे॥
खूटँ–खूटँ में डंका बाजे॥27॥
हो नहीं अपना जिनके कोई॥
भैरव सहायक उनके होई॥28॥
नाभि केन्द्र से तुम्हें बुलावे॥
भैरव झट–पट दौडे आवे॥29॥
भूख्या नर की भूख मिटावे॥
प्यासे नर को नीर पिलावे॥30॥
इधर–उधर अब नहीं भटकना॥
भैरव के नित पाँव पकडना॥31॥
इच्छित संपदा आप मिलेगी॥
सुख की कलियाँ नित्य खिलेंगी॥32॥
भैरव गण खरतर के देवा॥
सेवा से पाते नर मेवा॥33॥
कीर्तिरत्न की आज्ञा पाते॥
हुक्म–हाजिरी सदा बजाते॥ 34॥
ऊँ ह्रीं भैरव बं बं भैरव॥
कष्ट निवारक भोला भैरव॥35॥
नैन मूँद धुन रात लगावे॥
सपने में वो दर्शन पावे ॥36॥
प्रश्नों के उत्तर झट मिलते॥
रस्ते के संकट सब मिटते॥37॥
नाकोडा भैरव नित ध्यावो॥
संकट मेटो मंगल पावो॥38॥
भैरव जपन्ता मालम–माला॥
बुझ जाती दुःखों की ज्वाला॥39॥
नित उठे जो चालीसा गावे॥
धन सुत से घर स्वर्ग बनावे॥40॥
भैरु चालीसा पढे, मन में श्रद्धा धार,
कष्ट कटे महिमा बढे, संपदा होत अपार ॥
जिन कान्ति गुरुराज के,शिष्य मणिप्रभ राय,
भैरव के सानिध्य में,ये चालीसा गाय ॥
Nakoda Bhairav Chalisa का पाठ न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक ऐसा आत्मिक अनुभव है जो भक्त को भय, शत्रु और जीवन की अनचाही बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करता है। यदि आप नाकोड़ा भैरव मंदिर की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो वहां जाकर Shri Nakoda Bhairav Chalisa का पाठ करना अत्यंत फलदायक माना जाता है। आप चाहें तो इसके साथ-साथ भैरव कवच, भैरव अष्टमी का महत्व, या काल भैरव मंत्र का जाप भी
Nakoda Bhairav Chalisa की जाप विधि
- स्नान: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। इस दिन काले या पीले रंग का वस्त्र पहनना श्रेष्ठ माना जाता हैं।
- पवित्र स्थान: घर के मंदिर या किसी शांत कोने में आसन बिछाकर बैठें और सामने भैरव जी का फोटो, दीपक और अगरबत्ती रखें। याद रहे हमेशा कुश, ऊन या सूती आसन पर ही बैठें।
- ध्यान: पाठ से पहले आँखें बंद कर तीन बार गहरी साँस लें और फिर “ॐ नमः नाकोड़ा भैरवाय” मंत्र का 11 बार जप करें।
- पाठ करें: अब पूरे भाव और भक्ति से नाकोड़ा भैरव चालीसा का पाठ करें। हर शब्द में अपनी आस्था और विश्वास को समर्पित करें।
- प्रार्थना: पाठ के बाद भैरव जी को फल, मिश्री या नारियल अर्पित करें और फिर नमन कर अपनी विनती और धन्यवाद अर्पित करें।
- आरती करें: भोग अर्पित करने के बाद दीप और अगरबत्ती घुमा कर आरती करें। आरती समाप्त होने के बाद वहाँ उपस्थित सभी को प्रसाद दें और स्वयं भी ग्रहण करें।
- धन्यवाद करें: पाठ के अंत में बाबा को धन्यवाद दें और यह अनुभव करें कि वे आपकी रक्षा कर रहे हैं और आशीर्वाद दे रहे हैं।
FAQ
नाकोड़ा भैरव कौन हैं?
नाकोड़ा भैरव जी राजस्थान के प्रसिद्ध नाकोड़ा तीर्थ स्थान के रक्षक देवता हैं। इन्हें बहुत चमत्कारी माना जाता है।
यह भैरव चालीसा कब पढ़नी चाहिए?
मंगलवार और रविवार को प्रातः या संध्या समय पाठ करना श्रेष्ठ होता है। किसी विशेष संकट के समय भी इसका पाठ लाभ देता है।
क्या इस चालीसा का पाठ बिना गुरु के दीक्षा के कर सकते हैं?
हां, श्रद्धा और विश्वास के साथ कोई भी भक्त इसका पाठ कर सकता है।
क्या इस चालीसा का कोई तांत्रिक प्रभाव है?
हां, यह चालीसा विशेषकर तांत्रिक बाधाओं, बुरी नजर, और अज्ञात भय से रक्षा करती है।
मैं शिवप्रिया पंडित, माँ शक्ति का एक अनन्य भक्त और विंध्येश्वरी देवी, शैलपुत्री माता और चिंतापूर्णी माता की कृपा से प्रेरित एक आध्यात्मिक साधक हूँ। मेरा उद्देश्य माँ के भक्तों को उनके दिव्य स्वरूप, उपासना विधि और कृपा के महत्व से अवगत कराना है, ताकि वे अपनी श्रद्धा और भक्ति को और अधिक दृढ़ बना सकें। मेरे लेखों में इन देवी शक्तियों के स्तोत्र, चालीसा, आरती, मंत्र, कथा और पूजन विधियाँ शामिल होती हैं, ताकि हर भक्त माँ की आराधना सही विधि से कर सके और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भर सके। जय माता दी! View Profile 🙏🔱