हमारे शास्त्रों में भगवान गणेश की आरती एक अत्यंत धार्मिक और महत्वपूर्ण गान है। भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ और ‘मंगलकर्ता’ के रूप में जाना जाता है। Bhagwan Ganesh Ki Aarti करने मात्र से हमारे सभी बाधाओं का नाश हो जाता है और हमारे जीवन में सुख और समृद्धि का संचार होता है। सुख कर्ता दुख हर्ता आरती लिरिक्स भगवान गणेश की प्रसिद्ध आरती में से एक है।
इस आरती के दौरान गणेश जी का वर्णन इस प्रकार किया गया है कि उनके आने से दुखों का अंत हो जाता है और भक्तों के जीवन में खुशियों की बौछार होती है। इनकी आरती करने से भक्तों के मन में एक अद्भुत ऊर्जा और सकारात्मकता आती है जो उन्हें हर कार्य में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। गणेश जी की आरती को हमने आपके संकटो का नाश करने के लिए नीचे उपलब्ध कराया है-
भगवान गणेश की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
आरती के बोल भगवान गणेश और उनके भक्तो के बीच का एक अनोखा संगम है जो हमेशा गणेश जी की कृपा को हमारे ऊपर बनाये रखता है और हमारे सारे बाधाओं को नष्ट करता है। गणेश मंत्र को आरती के बाद करना शुभ माना जाता है। गणेश जी के साथ लक्ष्मी आरती लिरिक्स और कुबेर जी की आरती लिरिक्स भी कर सकते है, ऐसा करने से आपके घर में धन-धान्य आदि की कभी कमी नहीं होती है।
Bhagwan Ganesh Ki Aarti की विधि
गणपति बप्पा की आरती करना श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभ कार्यों की शुरुआत के देवता माना जाता है। उनकी आरती विधिपूर्वक करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- स्थान की शुद्धि: पूजा स्थान को साफ करें और स्वच्छ कपड़ा बिछाएं और गणेश जी की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थान पर रखें। मूर्ति पर फूल, दूर्वा और चंदन चढ़ाएं।
- पूजा सामग्री: आपको आरती के लिए निम्न सामग्री चाहिए दीपक (घी या तेल का), कपूर, धूप, चंदन, फूल (गेंदे या कमल), दूर्वा (गणेश जी को बहुत प्रिय है), मिठाई या लड्डू (भोग के लिए), घंटी।
- आवाहन: हाथ जोड़कर गणेश जी का ध्यान करें और “ॐ गण गणपतये नमः” मंत्र का जाप करते हुए उनके चरणों में अक्षत, फूल और चंदन अर्पित करें।
- दीप प्रज्वलन: दीपक और कपूर जलाकर गणेश जी के सामने रखें और धूप को गणेश जी के चारों ओर दिखाएं।
- आरती गाएं: आरती की शुरुआत करें और आरती पूरे भक्ति भाव से गाएं। आरती करते समय दीपक को गणेश जी की मूर्ति के चारों ओर तीन या सात बार घुमाएं।
- घंटी बजाएं: आरती के दौरान घंटी बजाना शुभ माना जाता है, यह पूजा स्थान में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
- भोग लगाएं: आरती के बाद गणेश जी को लड्डू या मोदक का भोग लगाएं और भोग लगाने के बाद प्रसाद को सभी भक्तों में बांटें।
- प्रार्थना: आरती समाप्त होने के बाद भगवान गणेश से प्रार्थना करें और उनकी कृपा से जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करें।
आरती के लाभ
- कार्यों में सफलता: आरती किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में करने से कार्य में सफलता और समृद्धि मिलती है।
- बुद्धि और विवेक: गणेश जी की कृपा से मन को शांति मिलती है और बुद्धि व विवेक का विकास होता है। यह छात्रों और ज्ञान प्राप्ति के इच्छुक लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
- मानसिक शांति: आरती के दौरान उत्पन्न ऊर्जा से मन को शांति मिलती है और सकारात्मक विचारों का संचार होता है।
- आर्थिक समृद्धि: आरती करने से धन, समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है।
- परिवार में प्रेम: जब परिवार के सभी लोग एक साथ मिलकर आरती रटे है तो, परिवार के सदस्यों में प्रेम, एकता और आपसी समझ बढ़ती है।
- बाधा से मुक्ति: गणेश जी की आरती करने से शत्रुओं का प्रभाव कम होता है और जीवन में सुरक्षा का अनुभव होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आरती करने से आत्मा को आध्यात्मिक बल मिलता है और भगवान के प्रति आस्था गहरी होती है।
- स्वास्थ्य लाभ: आरती के दौरान उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- सुख और शांति: आरती से घर का वातावरण पवित्र और शांत होता है, जिससे परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।
- विघ्नों का नाश: गणेश जी को सभी बाधाओं को दूर करने वाला देवता माना जाता है। उनकी आरती से जीवन में आने वाली परेशानियां और रुकावटें समाप्त होती हैं।
FAQ
गणेश जी की आरती क्या है?
यह आरती भगवान गणेश को समर्पित एक प्रार्थना है, जो उनके दिव्य रूप की स्तुति करती है और उनके आशीर्वाद की कामना करती है।
यह आरती कब गाई जाती है?
यह आरती दीपावली, गणेश चतुर्थी, विशेष पूजा अनुष्ठानों और दैनिक आरती के समय गाई जाती है। महाराष्ट्र में यह विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
यह आरती कीस भाषा में है?
यह आरती हिंदी भाषा में है, लेकिन इसे पूरे भारत में विभिन्न भाषाओं जैसे तमिल, तेलगु, मराठी आदि भाषाओँ में भी गाया जाता है।
क्या इसे व्यक्तिगत रूप से गा सकते हैं या सामूहिक रूप से गाना आवश्यक है?
इसे व्यक्तिगत रूप से भी गा सकते हैं, और सामूहिक रूप से भी। सामूहिक आरती में इसका आनंद और भी बढ़ जाता है।