गुरु न केवल हमारे मार्गदर्शक होते हैं, बल्कि वे माता-पिता, बंधु और सखा के समान हमारे जीवन में प्रेम और संरक्षण प्रदान करते हैं। उनकी कृपा से ही हमें सच्चे ज्ञान और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है। “गुरु मात पिता गुरु बंधू सखा” भजन इसी गहरे भाव को प्रकट करता है, जहां भक्त गुरु को अपने जीवन के हर संबंध से ऊपर मानता है और उनकी शरण में सम्पूर्ण समर्पण कर देता है। जब हम इस भजन को पढ़ते या करते हैं, तो हमारे हृदय में गुरु के प्रति अटूट श्रद्धा जागृत होती है।
Guru Mat Pita Guru Bhandhu Sakha
गुरु मात पिता गुरु बंधू सखा,
तेरे चरणों में स्वामी,
मेरा कोटि प्रणाम,
तेरे चरणों में स्वामी,
मेरा कोटि प्रणाम।।
तुम ही भक्ति हो,
तुम ही शक्ति हो
तुम ही मुक्ति हो,
मेरे सांब शिवा,
गुरु मात-पिता गुरु बंधु सखा,
तेरे चरणों में स्वामी,
मेरा कोटि प्रणाम।।
तुम ही प्रेरणा,
तुम ही साधना
तुम ही आराधना,
मेरे सांब शिवा,
गुरु मात-पिता गुरु बंधु सखा,
तेरे चरणों में स्वामी,
मेरा कोटि प्रणाम।।
तुम ही प्रेम हो,
तुम ही करुणा हो,
तुम ही मोक्ष हो,
मेरे सांब शिवा,
गुरु मात-पिता गुरु बंधु सखा,
तेरे चरणों में स्वामी,
मेरा कोटि प्रणाम।।
गुरु मात पिता गुरु बंधू सखा,
तेरे चरणों में स्वामी,
मेरा कोटि प्रणाम,
तेरे चरणों में स्वामी,
मेरा कोटि प्रणाम।।
गुरुदेव ही सच्चे मार्गदर्शक, रक्षक और हितैषी होते हैं, जिनकी कृपा से जीवन धन्य हो जाता है। यदि यह भजन आपके मन को श्रद्धा और भक्ति से भर देता है, तो “संतों का समागम भक्तों को तीर्थ से भी बढ़कर होता है”, “सतगुरु ने दिया आनंद भजन कर जीवन में”, “गुरुदेव की महिमा अपरंपार” और “तेरी रहमतों का दरिया” जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और गुरुदेव की भक्ति में रम जाएं।

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 🚩 जय सनातन धर्म 🚩