भोग रखा रहा फूल मुरझा गए

भोग रखा रहा फूल मुरझा गए भजन हमें यह समझाता है कि जब हम भगवान को भोग और पूजा अर्पित करते हैं, तो हमें सच्चे मन और श्रद्धा के साथ उनका सम्मान करना चाहिए। इस भजन में भक्ति की शक्ति और भगवान के प्रति श्रद्धा का अभिव्यक्त होता है, जो यह बताता है कि केवल बाहरी भोग नहीं, बल्कि हमारी निष्ठा और प्रेम ही भगवान को प्रिय होते हैं। फूलों की मुरझाने की स्थिति यह संकेत देती है कि जब भक्ति या अर्पण में सच्चाई और प्रेम का अभाव होता है, तो यह अधूरा रहता है।

Bhog Rakha Raha Phool Murjha Gaye

आप आए नहीं और सुबह हो गई,
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई,
भोग रखा रहा फूल मुरझा गए,
आरती भी धरी की धरी रह गई…..

मुझसे रूठे हो क्यों आप आते नहीं,
कोई अपराध मेरा बताते नहीं,
देखते-देखते सांसे रुकने लगी,
क्या बुलाने में मेरे कमी रह गई,
आप आए नहीं

हाल बेहाल है आप आओ हरि,
मन की मोती की माला गले में पड़ी,
वरना मन के यह मोती बिखर जाएंगे,
कौन सी भावना की कमी रह गई,
आप आए नहीं….

ध्यान भी हो गया ज्ञान भी हो गया,
सारे जग से यह मन अब अलग हो गया,
इतना होते हुए ना तुम्हें पा सकी,
इच्छा दर्शन की मन में बनी रह गई,
आप आए नहीं….

भोग रखा रहा फूल मुरझा गए भजन यह सिखाता है कि भगवान के सामने हमारे दिल की पवित्रता और निष्ठा अधिक महत्वपूर्ण है। यदि हम भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा और प्रेम से भरे रहते हैं, तो हमारे द्वारा अर्पित किए गए हर भोग को वह स्वीकार करते हैं, चाहे वह मानसिक हो या भौतिक। इस भक्ति रस को और गहराई से अनुभव करने के लिए आप श्री हरि की महिमा अपार, गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, नारायण, नारायण जय गोविंद हरे और संकट हरन श्री विष्णु जी जैसे अन्य भजनों का भी पाठ करें और भगवान विष्णु की कृपा का अनुभव करें। 🙏💛

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