हृदय साफ किया ना अपना राम कहां से पाओगे

हृदय साफ किया ना अपना राम कहां से पाओगे भजन में एक गहरा संदेश छिपा हुआ है, जो हमें यह सिखाता है कि भगवान श्रीराम की कृपा और आशीर्वाद तभी मिल सकता है, जब हमारा हृदय शुद्ध और निर्मल हो। इस भजन के माध्यम से यह बताया गया है कि भगवान का दर्शन और उनके साथ आत्मिक जुड़ाव तभी संभव है जब हम अपने अंदर की बुराईयों को त्यागकर, खुद को शुद्ध करें। श्रीराम के दर्शन के लिए केवल भक्ति ही नहीं, बल्कि एक शुद्ध हृदय की भी आवश्यकता होती है।

Hirday Saf Kiya Na Apna Ram Kahan Se Paoge

हृदय साफ किया ना अपना,
राम कहां से पाओगे।1।

तन को धोया मल मल तूने,
साबुन लाख लगाये रे,
मन मंदिर को धोया नाहीं,
कैसे प्रभु को पाओगे,
राम कहां से पाओगे।2।

नाना इतर लगाया तूने,
तन को खूब सजाया रे,
मन को तूने किया ना सुंदर,
कैसे उसे लुभाओगे,
राम कहां से पाओगे।3।

रत्न आभूषण तन पर डारे,
खुद के गुण नित गाए रे,
राजेंद्र मुख से फिर उस प्रभु के,
तुम क्या गीत सुनाओगे,
राम कहां से पाओगे।4।

हृदय साफ किया ना अपना,
राम कहां से पाओगे।5।

हृदय साफ किया ना अपना राम कहां से पाओगे भजन हमें यह सिखाता है कि भगवान श्रीराम की सच्ची भक्ति और उनका साक्षात्कार तब ही संभव है, जब हम अपने हृदय की गंदगी को दूर करें। यह भजन राम के भक्तों पे चढ़ गया राम नाम का पारा जैसे भजनों से भी जुड़ता है, जहाँ यह दर्शाया गया है कि राम नाम के जप से हृदय की शुद्धि होती है। जब हम राम के नाम को अपने हृदय में बसाते हैं, तभी हमें उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसीलिए, श्रीराम की भक्ति और उनके दर तक पहुँचने के लिए हृदय की शुद्धता अत्यंत आवश्यक है। जय श्रीराम!

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