भगवान नारायण के रूप और स्वरूप का कोई अंत नहीं है, वे अनंत और सर्वव्यापी हैं। पता नहीं किस रूप में आकार नारायण मिल जाएगा” भजन हमें यह याद दिलाता है कि भगवान श्री नारायण विभिन्न रूपों में हमारे जीवन में प्रकट होते हैं, कभी हमारी मदद के रूप में, कभी हमारे विचारों और भावनाओं में, और कभी किसी अन्य रूप में।
Pata Nahi Kis Roop Me Aakar Narayan Mil Jayega
पता नहीं किस रूप में आकार नारायण मिल जाएगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा,
पता नहीं किस रूप में आकार नारायण मिल जाएगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा……
सांस रुकी तेरे दर्शन को, न दुनिया में मेरा लगता है,
शबरी बांके बैठा हूं मेरा श्री राम में अटका मन,
बेकार मेरे दिल को मैं कितना भी समझा लूं,
राम दरस के बाद दिल चोरेगा ये धड़कन,
काले युग प्राणि हूं पर जीता हूं मैं त्रेतायुग,
कर्ता हूं महसुस पलों को माना न वो देखा युग,
देगा युग कलि का ये पापोन के उपहार का,
चांद मेरा पर गाने का हर प्राण को देगा सुख,
हरि कथा का वक्त हूं मैं, राम भजन की आदत,
राम आभारी शायर, मिल जो राही है दावत,
हरि कथा सुना के मैं चोर तुम्हें कल जाउंगा,
बाद मेरे न गिरने न देना हरि कथा विरासत,
पाने को दीदार प्रभु के नैन बड़े ये तरसे है,
जान सके ना कोई वेदना रातों को ये बरसे है,
किसे पता किस मौके पे, किस भूमि पे, किस कोने में,
मेले में या वीराने में श्री हरि हमें दर्शन दे,
पता नहीं किस रूप में आकार नारायण मिल जाएगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा,
पता नहीं किस रूप में आकार नारायण मिल जाएगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा……
इंतजार में बैठा हूं कब बीतेगा ये काला युग,
बीतेगी ये पीडा और भारी दिल के सारे दुख,
मिलने को हूं बेकार पर पाप का मैं भागी भी,
नाज़रीन मेरी आगे तेरे श्री हरि जाएगी झुक,
राम नाम से जुड़े हैं ऐसे खुद से भी ना मिल पाए,
कोई ना जाने किस चेहरे में राम हमें कल मिल जाए,
वैसे तो मेरे दिल में हो पर आंखें प्यासी दर्शन की,
शाम, सवेरे सारे मौसम राम गीत ही दिल गए,
रघुवीर ये वींटी है तुम दूर करो अंधेरों को,
दूर करो परेशानी के सारे भुखे शेरों को,
शबरी बांके बैठा पर काले युग का प्राण हूं,
मैं जूता भी ना कर दूंगा पापी मुह से बेरो को,
बन चुका बैरागी दिल, नाम तेरा ही लेता है,
शायर अपनी सांसें ये राम सिया को देता है,
और नहीं इच्छा है अब जीने की मेरी राम यहां,
बाद मुझे मेरी मौत के बस ले जाना तुम त्रेता में,
पता नहीं किस रूप में आकार नारायण मिल जाएगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा,
पता नहीं किस रूप में आकार नारायण मिल जाएगा,
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा……
पता नहीं किस रूप में आकार नारायण मिल जाएगा भजन हमें यह समझाने का प्रयास करता है कि भगवान के रूप अनंत हैं और वह हमें हर रूप में अपना आशीर्वाद देने के लिए हमेशा हमारे पास आते हैं। यह भजन हमें विश्वास और धैर्य से भगवान की भक्ति में लगे रहने की प्रेरणा देता है। इस भक्ति रस को और गहराई से अनुभव करने के लिए आप श्री हरि की महिमा अपार, गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, नारायण, नारायण जय गोविंद हरे और संकट हरन श्री विष्णु जी जैसे अन्य भजनों का भी पाठ करें और भगवान विष्णु की कृपा का अनुभव करें। 🙏💛

मैं आचार्य सिद्ध लक्ष्मी, सनातन धर्म की साधिका और देवी भक्त हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को धनवंतरी, माँ चंद्रघंटा और शीतला माता जैसी दिव्य शक्तियों की कृपा से परिचित कराना है।मैं अपने लेखों के माध्यम से मंत्र, स्तोत्र, आरती, पूजन विधि और धार्मिक रहस्यों को सरल भाषा में प्रस्तुत करती हूँ, ताकि हर श्रद्धालु अपने जीवन में देवी-देवताओं की कृपा को अनुभव कर सके। यदि आप भक्ति, आस्था और आत्मशुद्धि के पथ पर आगे बढ़ना चाहते हैं, तो मेरे लेख आपके लिए एक दिव्य प्रकाश बन सकते हैं। जय माँ View Profile